बीस साल बाद भी लक्ष्य से दूर है साक्षरता मिशन
नई दिल्ली, 5 मई (आईएएनएस)। अपनी शुरुआत के बीस वर्ष पूरे होने के बाद भी राष्ट्रीय साक्षरता मिशन (एनएलएम) अभी भी तय लक्ष्यों से दस फीसदी पीछे है। मिशन में सहयोग कर रहे संयुक्त राष्ट्र के शैक्षणिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) ने भी सरकार की आलोचना की है।
नई दिल्ली, 5 मई (आईएएनएस)। अपनी शुरुआत के बीस वर्ष पूरे होने के बाद भी राष्ट्रीय साक्षरता मिशन (एनएलएम) अभी भी तय लक्ष्यों से दस फीसदी पीछे है। मिशन में सहयोग कर रहे संयुक्त राष्ट्र के शैक्षणिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) ने भी सरकार की आलोचना की है।
पांच मई 1988 को शुरू किए गए इस अभियान में सन 2007 तक 75 फीसदी साक्षरता पाने का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन अभी तक मात्र 65 फीसदी साक्षरता ही पाई जा सकी है।
यह भी लक्ष्य तय किया गया था कि इस समय तक महिलाओं और पुरुषों के बीच साक्षरता का अंतर घटाकर 10 फीसदी कर लिया जाएगा लेकिन इसमें भी सफलता हाथ नहीं लगी। अभी भी यह अंतर 21 फीसदी से ज्यादा है। एक ओर जहां पुरुषों का साक्षरता स्तर 75.85 फीसदी है वहीं महिलाओं में यह स्तर 54.16 है।
यूनेस्को द्वारा अपने साक्षरता अभियान की आलोचना किए जाने के बाद सरकार ने कहा है कि वह 2015 तक पूर्ण साक्षरता का अपना लक्ष्य हासिल कर लेगी। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी कहा है कि साक्षरता अभियान को महिला साक्षरता पर और अधिक ध्यान देना चाहिए।
प्रमुख शिक्षाशास्त्री प्रोफेसर यशपाल ने यूनेस्को की रिपोर्ट पर सवालिया निशान लगाते हुए कहा, "वे हमें बताने वाले होते कौन हैं। उन्हें हमारे देश की जमीनी हकीकतों का अंदाजा ही नहीं है। सरकार असाक्षरता को दूर करने के लिए दृढ़ संकल्प है और इसे 2015 तक हासिल कर लिया जाएगा।"
गौरतलब है कि देश की 70 फीसदी निरक्षर जनता उत्तरप्रदेश, बिहार, आंध्रप्रदेश, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, राजस्थान, मध्यप्रदेश और कर्नाटक राज्यों से आती है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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