लुप्तप्राय ओलिव रिडले कछुओं के लिए संसद में उठी आवाज
नई दिल्ली, 5 मई (आईएएनएस)। उड़ीसा में विलुप्त होने की कगार पर खड़े 'ओलिव रिडले' कछुओं के लिए आखिर सत्ता के गलियारों से समर्थन की एक आवाज उठी है।
नई दिल्ली, 5 मई (आईएएनएस)। उड़ीसा में विलुप्त होने की कगार पर खड़े 'ओलिव रिडले' कछुओं के लिए आखिर सत्ता के गलियारों से समर्थन की एक आवाज उठी है।
कटक से लोकसभा सदस्य भर्तुहरि महताब ने मांग की है कि कछुओं के प्रजनन का समय होने के कारण हर साल अप्रैल और मई में चांदीपुर से होने वाले सभी मिसाइल परीक्षणों पर रोक लगा दी जाए।
महताब ने लोकसभा में अपनी बात कहते हुए कहा कि अगर उनकी मांग पर ध्यान नहीं दिया गया तो वह यह मुद्दा प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के समक्ष उठाएंगे।
महताब ने आईएएनएस से कहा, "अप्रैल और मई का महीना उनके प्रजनन के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है और मिसाइल परीक्षणों का इस प्रक्रिया पर बुरा असर पड़ सकता है। सरकार को चाहिए कि वह इन दो महीनों के लिए किसी भी मिसाइल परीक्षण पर रोका लगा दे।"
महताब ने उदाहरण देते हुए कहा कि जिन द्वीपों से मिसाइलों का परीक्षण किया जाता है उनके आसपास कछुओं ने प्रजनन नहीं किया है।
ये कछुए हर साल केंद्रपाड़ा जिले के गहिरमठा समुद्रतट के नासी द्वीप और पुरी जिले के देवी नदी के मुहाने और रुसिकुल्या मुहाने पर प्रजनन करते हैं।
उधर, रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने इस बात से इंकार किया है कि मिसाइल परीक्षणों का कछुओं के प्रजनन पर कोई असर पड़ता है।
डीआडीओ के एक अधिकारी ने कहा, "ये परीक्षण दिन में किए जाते हैं। एक मिसाइल के परीक्षण में दो से तीन सेकेंड का समय लगता है ऐसे में कछुओं के इससे प्रभावित होने की संभावना बेहद कम है।"
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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