'खाद्यान्न की बढ़ती कीमतों से निपटने के लिए भारत-चीन सहयोग जरूरी'
बोआओ (चीन), 11 अप्रैल (आईएएनएस)। कृषि क्षेत्र में भारत और चीन के बीच सहयोग से खाद्यान्न की बढ़ती कीमतों से पार पाया जा सकता है।
यह कहना है भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ के महासचिव अमित मित्रा का। चीन में बोआओ फोरम ऑफ एशिया (बीएफए) की बैठक में मित्रा ने कहा कि ऐसे समय कृषि शोध, कृषि विस्तार और कृषि तकनीकी के क्षेत्रों में भारत-चीन का सहयोग आवश्यक है जब अनाज की कीमतें तेजी से चढ़ रही हैं।
एशिया और शेष विश्व से संबंधित अनेक जरूरी मुद्दों पर चीन में 11 से 13 अप्रैल तक चलने वाली बैठक के दौरान एक साक्षात्कार में मित्रा ने कहा, "इस सहयोग से महंगाई अचानक ही कम नहीं होगी, क्योंकि महंगाई कम आपूर्ति के कारण है और आपूर्ति को एकदम नहीं बढ़ाया जा सकता। लेकिन सहयोग की शुरुआत की जानी चाहिए।"
उन्होंने कहा, "भारत-चीन सहयोग की संभावना चीन की अनाज उत्पादकता को देखते हुए भी जरूरी है क्योंकि वह अनाज, चावल, गेहूं और आलू का भारत से दो से तीन गुना उत्पादन करता है।"
उन्होंने कहा कि भारत की सोलह प्रतिशत भूमि को बरसात पर निर्भर रहना पड़ता है।
मित्रा ने वैश्विक तौर पर उत्पादन को मांग के अनुसार न किए जाने पर अफसोस जाहिर किया और कहा कि अमेरिका की जैव-ऊर्जा के विकास के कारण विश्व बाजार में मक्का की कमी हुई है।
इसके साथ ही चीन और भारत में मांस की भारी मांग से भी अनाज के दामों में बढ़ोतरी हुई है।
उन्होंने कहा, "विश्व में गेहूं और चावल की कम आपूर्ति की कठिनाई देखी जा रही है। इससे निपटने के लिए प्रति हैक्टेयर उत्पादन को तेजी से बढ़ाया जाना चाहिए।"
मित्रा ने कहा कि गेहूं की कीमतें मुख्यत: ऑस्ट्रेलिया से निर्धारित होती हैं जहां बड़े गेहूं उत्पादकों ने लगातार पांचवें वर्ष सूखे की कमी झेली है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।