तीन जनजातीय महिलाओं ने पुलिस पर लगाया पति की मौत का आरोप
रायपुर, 9 अप्रैल (आईएएनएस)। छत्तीसगढ़ के बिजापुर जिले के राहत शिविरों में दिन काट रही तीन जनजातीय महिलाओं ने बुधवार को अपने-अपने पति की मौत के लिए पुलिसकर्मियों को दोषी ठहराया है।
जिले के मतवाडा राहत शिविर में रहने वाली ये तीन महिलाएं हैं, बिजी, हुंगी और आयती।
इन महिलाओं का आरोप है कि 18 मार्च को एक पुलिसकर्मी और दो विशेष पुलिस अधिकारियों (एसपीओ) ने उनकी आंखों के सामने उनके पति को मौत के घाट उतार दिया था।
मृतकों की पहचान देवा मारकमी, मद्दा मारकमी और हादमी मानदवी के रूप में की गई थी। फिलहाल इन महिलाओं ने इंसाफ के लिए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है।
यही नहीं मानवाधिकार संगठन 'फोरम फार फैक्ट-फाइंडिंग डाक्युमेंटेशन एंड एडवोकेसी (एफएफडीएए)' भी इन महिलाओं को आवाज बुलंद करने में मदद कर रहा है।
इस संगठन की सहायता से ये महिलाएं अपनी दुख भरी कहानी बुधवार को मीडिया के समक्ष बयां कर सकीं।
गरीब बिजी ने बताया, "हम बीते तीन साल से इस राहत शिविर में दिन काट रहे हैं। कुछ पुलिसकर्मी 18 मार्च को हमारे पति को घसीटकर शिविर से बाहर ले गए थे। पुलिसकर्मियों ने उन्हें पीट-पीट कर मौत के घाट उतार दिया।"
मामले की जांच में जुटे राज्य के पुलिस महानिरीक्षक गिरधारी नायक ने कहा कि वह फिलहाल इस बारे में ज्यादा कुछ नहीं बता सकते हैं।
नायक कहते हैं कि जांच पूरी होने के बाद ही इस संबंध में कुछ बताया जा सकेगा।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।