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एसोचैम के शोध में परमाणु समझौते की वकालत

By Staff
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नई दिल्ली, 8 अप्रैल (आईएएनएस)। भारत-अमेरिकी असैन्य परमाणु समझौते से भारत के कारपोरेट जगत को दुनियाभर में ऊंचाइयां मिल सकती हैं जबकि इसका रणनीतिक हितों के नजरिए से लगातार विरोध किया जा रहा है।

एसोसिएटेड चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (एसोचैम) द्वारा मंगलवार को जारी एक शोध में कहा गया है कि भारत के एक मजबूत अर्थव्यवस्था के रूप में उभरने के कारण अमेरिका ऐसे समझौते का विशेष रूप से इच्छुक है।

'लिबरेटिंग इंडिया फ्राम टेक्नोलाजी डीनायल रिजीम' शीर्षक से एसोचैम द्वारा किए इस शोध में कहा गया है कि भारत को परमाणु ऊर्जा की अत्यधिक आवश्यकता है और इस आवश्यकता की पूर्ति उसके लिए अब तक चुनौतीपूर्ण रही है।

शोध के मुताबिक अमेरिका ही केवल एक ऐसा देश है जो भारत की इस जरूरत को पूरा कर सकता है।

अध्ययन में कहा गया है कि अमेरिका अपनी ऊर्जा जरूरतों का 21 फीसदी, फ्रांस 78 फीसदी, जापान 40 फीसदी, दक्षिण कोरिया 15 फीसदी और रूस 25 फीसदी परमाणु ऊर्जा से प्राप्त करता है। दूसरी ओर भारत केवल तीन फीसदी ऊर्जा जरूरतों की पूर्ति परमाणु ऊर्जा से कर पाता है।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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