गांधीजी का ब्रह्मचर्य
नयी दिल्ली .07 फरवरी. वार्ता. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के ब्रह्मचर्य के प्रयोग को लेकर उस जमाने के मराठी अखबारों ने चटखारे लेकर खबरें प्रकाशित की थीं और बि्रटेन की लोकसभा में भी यह चर्चा काविषय बना रहा
महात्मा गांधी ने तब आहत हो कर इसका जोरदार खंडन किया था और . हरिजन.. में इसके जवाब में एक लंबा लेख भी लिखा था1 गांधी जी अपने ब्रह्मचर्य के प्रयोग के कारण हमेशा विवाद के केन्द्र में रहे1 लखनऊ के पत्रकार दयाशंकर शुक्ल की नयी पुस्तक .महात्मा गांधी. ब्रह्मचर्य के प्रयोग . में यह जानकारी दी गयी है1 आज विश्व पुस्तक मेले में इस पुस्तक का लोकार्पण किया गया1 पुस्तक के अनुसार कुछ मराठी अखबारों ने यह खबर छापी की कि गांधी जी कामी पुरुष हैं और उनका ब्रहा्मचर्य उनकी . काम वासना. को छिपाने का साधन मात्र है1 यह खबर बि्रटेन की लोकसभा तक मेंचर्चा का कारण बन गयी1 इलाहाबाद आये अंग्रेज इतिहासकार मि.एडवर्ड टामसन ने इसे और हवा दी1 उन्होंने इस बारे में पंडित जवाहरलाल नेहरु . सर तेज बहादुर सप्रू और पी.एन.सत्रू से भी चर्चा की1 सब ने एक स्वर में खंडन किया1 पुस्तक के अनुसार 1939 में बांबे क्रोनिकल में गांधीजी के ब्रह्मचर्य के बारे में रपट छपी1 इस रपट के जवाब में गांधी जी ने चार नवम्बर 1939 हरिजन सेवक में एक लेख . मेरा जीवन. शीर्षक से लिखा1 उन्होंने लिखा.. मेरे खिलाफ जो आरोप लगाये गये हैं . वे अधिकतरमेरी आत्म .स्वीकृतियों पर आधारित हैं जिन्हें संदर्भ से अलग करके पेश किया गया है1 कहा गया है कि मेरा ब्रह्मचर्य अपनी वासना को छिपाने का साधन है 1.. उन्होंने लिखा.. अगर स्ति्रयों के प्रति मेरा ुकाव वासनापूर्ण होता तो अपने जीवन के इस काल में भी मुे इतना साहस है कि मैंने कई शादियां कर ली होती1 गुप्त या खुले स्वच्छंद प्रेम में मेरा विश्वास नहीं है1..अरविंद.नरेश.सुरेश.अजय.ति्रपाठी2004जारी.वार्ता