पात्रों की किल्लत से जूती मथुरा की रामलीला
मथुरा 17 अक्टूबर .वार्ता. अपनी अनूठी रामलीला के लिए मशहूर मथुरा नगरी में ही अब रामलीला के पात्रों का अभाव हो रहा है 1 इसके चलते सार्वजनिक स्थानों पर अब यहां भी रामलीला का मंचन किसी न किसी व्यावसायिक मण्डली द्वारा ही किया जाता है
नाट्य क्षेत्र में मथुरा का अपना विशेष स्थान रहा है 1 यहां की रासलीला जहां विश्व प्रसिद्ध है वहीं यहां की रामलीला इतनी समृद्ध है कि यह अयोध्या और वाराणसी की रामलीला से किसी प्रकार से कम नहीं है1 यहां के रामलीला कलाकारों स्व. गंगे चतुवर्ेदी ् स्व. रामनारायण अग्रवाल ् स्व. यमुना प्रसाद प्रीतम की ख्याति देश के विभिन्न भागों में रही है 1 हरदेव चतुवर्ेदी ् शंकर लाल चतुवर्ेदी ् महेशदत्त व्यास ् बैजनाथ चतुवर्ेदी तथा मथुरा नाथ व्यास आदि भी विभिन्न मण्डलियों के माध्यम से रामलीला में मथुरा की कीर्ति पताका फहरा रहे हैं 1 इस सबके बावजूद समय की व्यवस्तता एवं बदलते परिवेश में युवा पीढी का आकर्षण कम होता गया जिससे जिन स्थानों पर रामलीला संबंधित संस्था के कलाकारों द्वारा की जाती थी उन्हें परेशानी होने लगी और उन्हें भी मण्डलियों की शरण लेनी पडी 1 सं.शिव.प्रभु 1553 जारी वार्ता