मुन्नाभाई यमलोक में
पहला
कक्ष
आग
की
लपटों
और
गर्म
हवाओं
से
इस
कदर
भरा
हुआ
था
कि
वहां
सांस
लेना
भी
दूभर
था।
मुन्नाभाई
ने
कहाः
ओए
सर्किट!
यहां
रहकर
तो
अपुन
की
हालत
खराब
हो
जाएगी...
चल
कोई
दूसरा
रूम
देखते
हैं...
यमदूत
उन्हें
दूसरे
नरक
कक्ष
में
ले
गया।
यह
कक्ष
सैंकड़ों
आदमियों
से
भरा
हुआ
था।
वहां
बेहद
गर्मी
थी
और
धुआं
फैला
हुआ
था।
चारों
ओर
चीखपुकार
का
माहौल
था।
मुन्नाभाई
और
सर्किट
यह
सब
देखकर
घबरा
गए
और
उन्होंने
यमदूत
से
कोई
और
कक्ष
दिखाने
की
प्रार्थना
की।
तीसरा और अंतिम कक्ष ऐसे लोगों से भरा हुआ था जो बस आराम कर रहे थे और कॉफी पी रहे थे। यहां अन्य दो कक्षों जैसी कष्टदायक कोई बात नहीं दिखी। मुन्नाभाई ने कहाः अबे सर्किट! यह रूम अपुन के हाथ से नहीं निकलना चाहिए... इस यमदूत को पटा, फटाफट इसी रूम का नंबर लगा लेते हैं!!
यमदूत ने दोनों उसी कक्ष में छोड़ा और चला गया। मुन्नाभाई और सर्किट ने एक-एक कॉफी ली और आराम से एक तरफ बैठ गए।
कुछ मिनटों बाद लाउडस्पीकर पर एक आवाज गूंजीः ब्रेक टाइम खत्म हुआ। अब फिर से दस हजार घूंसे खाने के लिये तैयार हो जाओ!
कुछ और चुटकुलेः संता के लिए बुरी खबर
प्रोफेसर
:
गांधी
जयंती
के
बारे
में
क्या
जानते
हो
?
मुन्ना
भाई
:
गांधी
बहुत
जबरदस्त
आदमी
था
,
बाप-मां
कसम...
...पर अपुन को यह नहीं मालुम कि यह जयंती कौन है?
कुछ और भी देखें: संता और नेपोलियन
मुन्नाभाई (सर्किट से): अबे कान खोलकर सुन ले... अगर तेरे को इस इस दुकान में काम करना है तो याद रख कि ग्राहक जब भी बोलेगा ठीक ही बोलेगा.. क्या? अब जल्दी से बता वह लड़की क्या कह रही थी?
सर्किटः बॉस !! वह कह रही थी कि इस दुकान का मालिक गधा है!
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