39 साल की वह रहस्यमयी महिला जिसकी काली करतूतों से हिल रही है मुख्यमंत्री की कुर्सी
39 साल की एक रहस्यमय महिला। रसूख और दबदबा ऐसा कि पूछिए मत। उसके निजी जीवन की कोई मुकम्मल जानकारी नहीं। 30 किलो सोना की तस्करी में प्रमुख आरोपी। फर्जी डिग्री पर ली सरकारी संस्थान में नौकरी। आरोप है कि मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव की मदद से मिली थी ये नौकरी। मुख्यमंत्री के साथ रहस्यमयी महिला की वायरल होती तस्वीरें। राजनयिक विशेषाधिकार की आड़ में संयुक्त अरब अमिरात से सोने की तस्करी। संयुक्त अरब अमिरात के दूतावास में काम कर चुकी रहस्यमय महिला के राजनेताओं और अधिकारियों से करीबी संबंध। यौन शोषण विवाद से भी नाता। सोने की तस्करी से आतंकियों को धन मुहैया कराने का अंदेशा। देश की सुरक्षा पर सवाल। न जाने कब ये खेल चल रहा था। हिलने लगी केरल के मुख्यमंत्री की कुर्सी। तस्करी से तूफान बरपा तो सीएम के प्रधान सचिव की हो गयी छुट्टी। रहस्यमयी महिला की भी नौकरी गयी। वह और उसके दो साथी हैं एनआइए की कस्टडी में। जब एनआइए का इंट्रोगेशन पूरा होगा तो केरल पुलिस की एसआइटी उसकी खंगालेगी इनकी कुंडली। इस रहस्यमयी महिला का नाम है स्वप्ना सुरेश। स्वप्ना सुरेश की काली करतूतों से केरल के वामपंथी मुख्यमंत्री पी विजयन की कुर्सी हिलने लगी है। इस गंभीर मुद्दे पर कांग्रेस और भाजपा ने उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।
कौन है स्वप्ना सुरेश ?
कौन है स्वप्ना सुरेश ? क्यों है इसकी रहस्यमयी छवि ? दरअसल स्वप्ना सुरेश के बारे में इतनी कम जानकारी उपलब्ध है कि अटकलों और अफवाहों ने उसकी शख्सियत को रहस्यमय बना दिया। स्वप्ना कितनी पढ़ी लिखी है, कौन उसके पति हैं, परिवार में और कौन-कौन हैं, कैसे उसे सरकारी संस्थान में नौकरी मिली ? कभी ट्रैवल एजेंसी में काम करने वाली महिला आखिर इतनी रसूखदार कैसे हो गयी ? वह कैसे बनी गोल्ड स्मलिंग रैकेट का हिस्सा ? इस मामले को साम्प्रदायिक रंग देने की भी कोशिश हुई। उसके बारे में यह कहा गया कि स्वप्ना का असल नाम मुमताज इस्माइल है और उसने अपनी पहचान छिपाने के लिए स्वप्ना सुरेश का नाम रख लिया है। लेकिन ये बात निराधार निकली। 39 साल की स्वप्ना तलाकशुदा है और तिरुअनंतपुरम में वह अपनी युवा पुत्री के साथ सिंगल मदर के रूप में रहती थी। स्वप्ना का विवाह किससे हुआ था ? कब और कैसे तलाक हुआ ? वह कितनी पढ़ी लिखी है ? इन सवालों का कोई स्पष्ट जवाब नहीं है। उसने जिस बी. कॉम. डिग्री के आधार पर सरकारी संस्थान में नौकरी ली थी वह फर्जी निकली। अब केरल पुलिस की एसआइटी मुम्बई के बाबा साहब अम्बेडकर तकनीकी विश्वविद्यालय में इस बात की जांच कर कर रही है कैसे स्वप्ना ने सर्टिफिकेट के लिए विश्वविद्यालय का प्रतीक चिह्न और संबंधित अधिकारियों के हस्ताक्षर बनाये। स्वप्ना के बारे में कहा जा रहा है कि वह 12वीं फेल है। लेकिन धाराप्रवाह अरबी, अंग्रेजी और मलयालम बोलने के काऱण वह जल्द ही लोगों पर प्रभाव जमा लेती है।
ये है स्वप्ना सुरेश !
विकी फीड के मुताबिक स्वप्ना सुरेश केरल राज्य इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड में मार्केटिंग लाइजन ऑफिसर के रूप में कार्यरत थी। लाइजन ऑफिसर के रूप में उसे अपने सम्पर्कों, प्रभाव और मध्यस्थता के जरिये संस्थान के हित को साधना होता था। इसकी वजह से उसका प्रभावशाली लोगों से अच्छा परिचय हो गया। कई नेताओं और आइएएस अधिकारियों से उसकी जान पहचान हो गयी। वह बड़ी-बड़ी पार्टियों में अक्सर शिरकत करने लगी। विकी फीड के मुताबिक स्वप्ना के पिता का नाम सुरेश सुकुमारन है। उसने अपने पिता के नाम को सरनेम के रूप में जोड़ रखा है। सुरेश सुकुमारन तिरुअनंतपुरम के रहने वाले थे लेकिन उन्हें नौकरी के सिलसिले में संयुक्त अरब अमिरात की राजधानी अबुधाबी जाना पड़ा। आबुधाबी की एक कंपनी में काम करने के कारण सुरेश अपनी पत्नी प्रभा के साथ वहीं बस गये। स्वप्ना का जन्म 1981 में हुआ। स्वप्ना बड़ी हुई तो आबुधाबी में ही उसका विवाह हुआ। उसे एक लड़की भी हुई। लेकिन कुछ दिनों के बाद स्वप्ना का तलाक हो गया। उसकी पढ़ाई के बारे में कोई सटीक जानकारी नहीं है। लेकिन उसने अपने करियर की पहली नौकरी आबुधाबी में की थी। आबुधाबी हवाई अड्डा के यात्री सेवा विभाग में वह काम करती थी। कुछ दिनों तक वहां काम किया। फिर वह अपनी बेटी के साथ तिरुअनंतपुरम आ गयी।
स्वप्ना का प्रभाव
आबुधाबी से भारत लौटने के बाद स्वप्ना ने तिरुअनंतपुरम की एक ट्रेवल एजेंसी में काम शुरू किया। दो साल बाद उसने यह काम भी छोड़ दिया। 2013 में उसे तिरुअनंतपुरम एयरपोर्ट पर AIR INDIA SATS में नौकरी मिली। यहां काम करने के दौरान स्वप्ना एक शर्मनाक विवाद में पड़ गयी। उसने हवाई अड्डा के एक वरिष्ठ अधिकारी के खिलाफ फर्जी नामों से यौन शोषण के 17 मामले दर्ज कराये। अंत में उस अधिकारी ने इस साजिश की जांच के लिए मामला दर्ज करा दिया। स्वप्ना को आरोपी बना कर मामले की जांच शुरू हुई। लेकिन कहा जाता है कि उसने अपने प्रभाव से इस जांच को ठंडे बस्ते में डलवा दिया था। उसने एयर इंडिया की भी नौकरी छोड़ दी। स्वप्ना के खिलाफ पुलिस जांच चल रही थी। इसके बाबजूद उसे तिरुअनंतपुरम स्थित संयुक्त अरब अमिरात के वाणिज्य दूतावास में एग्जीक्यूटिव सेक्रेटरी की नौकरी मिल गयी। वह यूएई की राजधानी आबुधाबी में रह चुकी थी। अंग्रेजी, मलायलम के साथ साथ वह फर्राटे से अरबी भी बोलती थी। इसकी वजह से उसे दूतावास में आसानी से नौकरी मिल गयी। अब आरोप यह लगाया जा रहा है कि स्वप्ना को गोल्ड स्मगलर रैकेट ने दूतावास में प्लांट कराया था। दूतावास में काम करने के दौरान उसका प्रभाव आश्चर्यजनक रूप से बढ़ा। वह बड़े-बड़े लोगों के साथ उठने-बैठने लगी। कहा जाता है कि वह खुद को डिप्लोमेट के रूप में पेश कर नेताओं और अफसरों से मिलती। उसका रसूख बढ़ता गया। लेकिन इस बीच एक गड़बड़ हो गयी। दूतावास में भी स्वप्ना का पंगा हो गया। एक आपराधिक आरोप में उसे नौकरी से निकाल दिया गया। इतने विवादों के बाद भी उसके कदम नहीं रुके। उसने फर्जी डिग्री दिखा कर केरल के सरकारी संस्थान में नौकरी हासिल कर ली। यह सरकारी संस्थान केरल के इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी विभाग के अधीन था। आइटी विभाग मुख्यमंत्री विजयन ने अपने पास रखा हुआ था। इस विभाग के सेक्रेटरी एम. शिवशंकर थे जो सीएम के प्रधान सचिव भी थे। खबरों के मुताबिक शिवशंकर ने बहुराष्ट्रीय कंपनी प्राइस वाटर हाउस कूपर्स के जरिये स्वप्ना की नियुक्ति की सिफारिश की थी। प्राइस वाटर हाउस कूपर्स प्रोफेशनल सर्विस उपलब्ध कराने वाली दुनिया की सबसे बड़ी फर्म है। अब शिवशंकर को सीएम के प्रधान सचिव पद से हटा दिया है। गोल्ड तस्करी के मामले में एनआइए आइएएस अधिकारी शिवशंकर से भी पूछताछ की है।
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कैसे पकड़ी गयी स्वप्ना ?
इस महीने के शुरू में तिरुअनंतपुरम के हवाई अड्डे पर तैनात कस्टम अफसरों को एक गुप्त सूचना मिली थी कि यूएई से बड़ी मात्रा में तस्करी का सोना आना है। कस्टम अधिकारियों ने शिकार फांसने के लिए जाल बिछा दिया। 3 जुलाई को एक कार्गो फ्लाइट से बहुत बड़े पैकेट के पहुंचने की सूचना मिली। पहली नजर में पैकेट के आकार को देख कर कुछ संदेह हुआ। उसकी डिलिवरी रोक दी गयी। लेकिन जब कस्टम अफसरों को य़े मालूम हुआ कि यह पैकेट यूएई के वाणिज्य दूतावास का है तो उनकी चिंता बढ़ गयी। राजनयिकों को कई विशेषाधिकार प्राप्त हैं। उन्हें सिविल या क्रिमिनल मामलों के लिए कोर्ट में नहीं घसीटा जा सकता। पुलिस के नियम और आदेश राजनयिकों पर लागू नहीं होते। राज्य की पुलिस या कोर्ट का कोई कर्मचारी बिना अनुमति के दूतावास में प्रवेश नहीं कर सकता। राजनयिकों को पत्राचार की पूरी आजादी है। शांति काल में दूतावास के सील बैग को खोल कर नहीं देखा जा सकता। इसे डिप्लोमेटिक इम्यूनिटिज यानी राजनयिक विशेषाधिकार कहा जाता है। संदिग्घ बैग पर दूतावास की मुहर लगी होने से कस्टम अधिकारी पशोपेश में पड़ गये। यूएई के वाणिज्य दूतावास को खबर दी गयी। इस बीच पीएस सरीथ नाम का एक व्यक्ति आया जिसने खुद को दूतवास का पब्लिक रिलेशन ऑफिसर बताया। उसने उस संगिग्ध पैकेट को नहीं खोलने के लिए पूरा दबाव बनाया। लेकिन सोना तस्करी की सूचना पक्की थी। कस्टम अधिकारियों ने पैकेट की जांच के लिए सरकार से विशेष अनुमति ली। दूतावास के वरिष्ठ अधिकारियों को बुलाया गया। जांच हुई तो उस पैकेट से 30 किलो सोना बरामद हुआ। राजनयिक बैग में करीब 15 करोड़ का सोना मिलने के बाद जैसे भूचाल आ गया। तभी यह मालूम हुआ कि सरीथ दूतावास में एक साल पहले काम करता था। मौजूदा समय में वह दूतावास का कर्मचारी नहीं था। पहले भी वह कस्टम अधिकारियों को फर्जी परिचय दे कर दूतावास के पैकेट ले जाता रहा था। उसकी सच्चाई सामने आते ही उसे हिरासत में ले लिया गया। कड़ाई से पूछताछ हुई तो उसने स्वप्ना सुरेश समेत दो और लोगों के नाम उगले। स्वप्ना को जैसे ही ये मालूम हुआ कि जांच के लिए बैग को खोला जा रहा है तो वह फरार हो गयी। बाद में उसे बेंगलुरू से गिरफ्तार किया गया। गिरफ्तारी के बाद जब स्वप्ना पूछताछ हुई तो उसके बैंक लॉकरों से एक करोड़ रुपये नगद और करीब एक किलो सोने के गहने बरामद किये गये जिसे जब्त कर लिया गया। केरल सरकार की एक साधारण और अनुबंध पर काम करने वाली मुलाजिम के पास इतनी सम्पत्ति आखिर कैसे आयी ? कहा जा रहा है कि सोने की यह बड़ी तस्करी टेरर फंडिग के लिए हुई थी। क्या भारत के खिलाफ एक बड़ी साजिश रची जी रही है ?