Fact Check: क्या दिल्ली में कोरोना से घरों में हो रही हर रोज सैकड़ों मौतें, सरकार छुपा रही आंकड़े?
नई दिल्ली। फेसबुक पर एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें दावा किया जा रहा है कि दिल्ली में कोरोना से मौतों का जो आधाकारिक आंकड़ा है, उससे कहीं ज्यादा मौतें हो रही हैं। शहीद भगत सिंह सेवादल नाम के एनजीओ से जुड़े लोगों ने बनाया है। इस वीडियो में एक शख्स कह रहा है कि दिल्ली में जितने लोग अस्पताल में मर रहे हैं, उससे ज्यादा घरों में कोरोना से मर रहे हैं। हालात भयावह हैं और सरकार के हाथ से भी चीजें निकलती दिख रही हैं। फैक्ट चैक में पाया गया है कि कुछ बातें इसमें ठीक नहीं कही गई हैं लेकिन कुछ चीजें पूरी तरह गलत भी नहीं है।
एनजीओ शहीद भगत सिंह सेवादल कोरोना के दौरान लगातार काम करता रहा है। इस वीडियो को हरपाल सिंह साहनी ने ये वीडियो शेयर किया है। वीडियो में एक शख्स कह रहा है कि रोज सैकड़ों लोग हर रोज दिल्ली में कोरोना से मर रहे है, जिनका कोई रिकॉर्ड नहीं है। इन लाशों को शहीद भगत सिंह सेवादल की टीम रोज लेकर श्मसान आ रही है। इसमें सेवादल से जुड़े लोग कह रहे हैं कि रोज कई-कई लाशें हम ला रहे हैं, हालात बेकाबू हैं। वीडियो में कहा गया है कि दिल्ली में ना बेड हैं, ना वेंटिलेटर हैं और ना मौत होने के बाद कोई लाश उठाने वाला है। वहीं अस्पताल लूट मचा रहे हैं और बेइंतहा पैसा ले रहे हैं।
दिल्ली में कोरोना से मरने वाले लोगों के सरकारी आंकड़े और हकीकत को लेकर ये कोई पहली बार सवाल नहीं उठा है। जुलाई में भी इस तरह की बातें कही गई थीं। नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल की सीरो सर्विलांस स्टडी में कहा गया था कि सरकारी रिकॉर्ड में कोरोना से जितनी मौतें होने की बात कही गई है, उससे कहीं ज्यादा लोग इस बीमारी से मरे हैं।
10 जुलाई तक दिल्ली में 23 फीसदी लोगों के संक्रमण की चपेट में आने की बात स्टडी में कही गई थी। सरकारी आंकड़ों में तब तक कुल केस1 लाख 10 हजार थे। ये दिल्ली की जनसंख्या का करीब .036 फीसदी ही होता है। ऐसे में वीडियो में ये किया गया ये दावा कि दिल्ली में कुल मामले सरकारी रिकॉर्ड से ज्यादा हैं, एक हद तक सही जान पड़ता है। वहीं श्मसान में जगह ना होने और हालात दिल्ली सरकार के हाथ से निकल जाने की बातें सरकार के दावों से अलट हैं।
Fact Check
दावा
दिल्ली में कोरोना से सरकारी आंकड़ों से कहीं ज्यादा को रही हैं मौतें
नतीजा
दिल्ली में बीमारी बेकाबू लेकिन दावे पूरी तरह सच नहीं