Strong or Weak Planet: कैसे पता लगता है ग्रह प्रबल है या निर्बल?
नई दिल्ली, 23 मई। अक्सर हम अपने परिवार में, रिश्तेदारों में, मित्रों या परिचितों में ऐसे कई उदाहरण देखते हैं जिनमें माता-पिता अच्छे संस्कारी होते हैं लेकिन उनकी एक या अनेक संतानें बुरे आचरण वाली, दुराचारी या आपराधिक प्रकृति की निकलती है। या इसका उल्टा उदाहरण भी मिलता है, अत्याचारी, अपराधी किस्म के माता-पिता के घर में सद्गुणी और सदाचारी संतान पैदा होती है। कभी विचार किया है ऐसा क्यों होता है? इसका जवाब ज्योतिष शास्त्र देता है।
दरअसल जातक के व्यवहार और गुणों का निर्धारण उसके जन्म समय के बलवान ग्रह से होता है। ग्रह तीन प्रकार की प्रकृति के होते हैं सत्वगुणी, रजोगुणी और तमोगुणी। यदि जातक के जनम के समय सत्यगुणी ग्रह बलवान होंगे तो जातक निश्चित रूप से सदाचारी, परोपकारी और सेवा भावी होगा। यदि रजोगुणी ग्रह बलवान हुए तो जातक राजसी जीवनशैली पसंद करने वाला होगा और यदि तमोगुणी ग्रह बलवान हुए तो जातक क्रोधी, अत्याचारी और दुराचारी होता है।
गुरुशशिरवय: सत्वं रज: सितज्ञौ तमोअर्कसुतभौमौ ।एतेअन्तरात्मनि स्वां प्रकृतिं जन्तो: प्रयच्छन्ति ।।
अर्थात्- बृहस्पति, चंद्रमा और सूर्य सत्वगुणी, शुक्र और बुध रजोगुनी और शनि व मंगल तमोगुणी ग्रह होते हैं। ये ग्रह प्राणी मात्र के अंत:करण में अपने गुणानुसार गुण पैदा करते हैं।
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कैसे पता लगता है ग्रह प्रबल है या निर्बल
जन्म के समय जिस ग्रह पर शुभ ग्रहों की दृष्टि हो, शुभ ग्रहों के साथ शुभ स्थानों में हों। ग्रह अपने उच्च नवांश में हों। ग्रह की राशि, अंश मजबूत हो तो ग्रह प्रबल होता है। उसी के आधार पर जातक का स्वभाव और गुण तय होते हैं।