Vedic Astrology Yogas: क्या होते हैं आकृति योग, कैसा होता है इनका प्रभाव?
नई दिल्ली, 21 जून। वैदिक ज्योतिष में किसी जन्म कुंडली में ग्रहों से मिलकर अनेक प्रकार के योग बनते हैं। इनमें से अनेक योग ऐसे होते हैं जिनका नाम उनकी आकृति के आधार पर रखा जाता है। जैसे कुंडली के विशेष घरों में विशेष ग्रहों के संयोग से जो आकृति बनती है उस योग का नाम उसी आकृति के आधार पर रखा गया है। जैसे गदा योग में हनुमानजी की गदा के आकार में ग्रह बैठे होते हैं, शकट योग अर्थात् बैलगाड़ी के आकार में ग्रह बैठे हों तो उसे शकट योग कहा जाता है। श्रृंगाटक यानी कि सिंघाड़े के आकार में ग्रह कुंडली में बैठे हों। इसी प्रकार अनेक योग होते है। जिन्हें आकृति योग कहा जाता है।
आइए इन्हें विस्तार से जानते हैं...
गदा योग : यदि किसी जातक की जन्मकुंडली में समीपवर्ती दो केंद्र स्थानों में सारे ग्रह बैठे हों तो गदा योग बनता है। गदा योग में जन्मा जातक बहुत धार्मिक प्रवृत्ति का होता है। धर्म-कर्म, पूजा-पाठ और यज्ञादि करने में इसका मन लगता है। ऐसा जातक सात्विक प्रवृत्ति का होता है और सेवा कार्यो से सम्मान, धन अर्जित करता है।
शकट योग : शकट का अर्थ है गाड़ी। जब जन्मकुंडली में लग्न और सप्तम स्थान में संपूर्ण ग्रह बैठे हों तो शकट योग बनता है। शकट योग में जन्मा जातक वाहनों के बिजनेस से खूब पैसा कमाता है। वह वाहनों का शौकीन होता है। वाहनों का कारोबार, बसों, ट्रैवल एजेंसी का संचालक होता है। यदि अन्य शुभ की जगह अशुभ ग्रह एक साथ ज्यादा बैठे हों तो जातक ड्राइवर बनता है।
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विहंग योग : विहंग का अर्थ है पक्षी। जब चतुर्थ और दशम स्थान में सभी ग्रह बैठे हों तो विहंग योग होता है। इस योग में जन्मा जातक दूत होता है। देश के उच्च पद पर बैठकर किसी देश में राजदूर बनकर सेवाएं देता है। आधुनिक युग में देखा जाए तो सोशल मीडिया कंपनी में काम करने वाला, पत्रकार, मीडिया मैनेजमेंट, पीआर एजेंसी का मालिक होता है। डाकिया भी हो सकता है।
श्रृंगाटक योग : श्रृंगाटक का अर्थ होता है सिंघाड़ा। यदि लग्न, पंचम और नवम में संपूर्ण ग्रह बैठे हों तो यह योग बनता है। श्रृंगाटक योग जिस जातक की कुंडली में होता है वह सर्वदा सुखी रहता है। इसके जीवन में आजीविका के तीन सशक्त साधन होते हैं।