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Mohini Ekadashi 2018: पाप कर्मों से मुक्ति प्रदान करता है 'मोहिनी एकादशी' का व्रत

By Pt. Gajendra Sharma
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नई दिल्ली। वर्ष के सबसे पवित्र महीनों में वैशाख माह की भी गिनती की जाती है। पुराणों में इसे कार्तिक माह की तरह ही पुण्य फलदायी माना गया है। इसी कारण इस माह में आने वाली एकादशी भी बहुत महत्व रखती है। वैशाख शुक्ल एकादशी को मोहिनी एकादशी कहा जाता है। इस एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति मोहमाया के बंधनों से मुक्त हो जाता है। उसके सारे पाप कट जाते हैं और उसे मोक्ष प्राप्त हो जाता है। यह एकादशी भगवान श्रीकृष्ण को परम प्रिय है। जो व्यक्ति मोहिनी एकादशी करता है इस संसार में उसका आकर्षण प्रभाव बढ़ता है। वह हर किसी को अपने मोह पाश में बांध सकता है और मृत्यु के बाद वह मोहमाया के बंधनों से मुक्त होकर श्रीहरि के चरणों में पहुंच जाता है।

कैसे नाम पड़ा मोहिनी एकादशी

कैसे नाम पड़ा मोहिनी एकादशी

समुद्र मंथन से निकले अमृत को लेकर देवताओं और दानवों में खींचतान मची हुई थी। चूंकि ताकत के बल पर देवता असुरों को हरा नहीं सकते थे इसलिए चालाकी से भगवान विष्णु ने मोहिनी का रूप धारण कर असुरों को अपने मोहपाश में बांध लिया और सारे अमृत का पान देवताओं को करवा दिया। इससे देवताओं ने अमरत्व प्राप्त किया। वैशाख शुक्ल एकादशी के दिन यह सारा घटनाक्रम हुआ, इस कारण इस एकादशी को मोहिनी एकादशी कहा जाता है।

यह है मोहिनी एकादशी की व्रत कथा

यह है मोहिनी एकादशी की व्रत कथा

किसी समय भद्रावती नामक एक बहुत ही सुंदर नगर हुआ करता था, जहां धृतिमान नामक राजा का राज था। राजा बहुत ही दान-पुण्य किया करते थे। उनके राज में प्रजा भी धार्मिक कार्यक्रमों में डूबी रहती थी। इसी नगर में धनपाल नाम का एक वैश्य भी रहता था। धनपाल भगवान विष्णु का भक्त और एक पुण्यकारी सेठ था। उसकी पांच संतान थी। सबसे छोटे पुत्र का नाम था धृष्टबुद्धि। उसका यह नाम उसके बुरे कर्मों के कारण ही पड़ा। बाकि चार पुत्र पिता की तरह बहुत ही नेक थे, लेकिन धृष्टबुद्धि ने कोई ऐसा पाप कर्म नहीं छोड़ा जो उसने न किया हो। तंग आकर पिता ने उसे घर और संपत्ति से बेदखल कर दिया। भाइयों ने भी ऐसे पापी भाई से नाता तोड़ लिया। जो धृष्टबुद्धि पिता व भाइयों की मेहनत पर ऐश करता था अब वह दर-दर की ठोकरें खाने लगा। ऐशो आराम तो उसे एक वक्त का खाना भी नहीं मिलता था। भटकते-भटकते वह कौण्डिल्य ऋषि के आश्रम में पहुंच गया और उनके चरणों में जाकर गिर पड़ा। उसने महर्षि को अपनी पूरी व्यथा बताई और पश्चाताप का उपाय जानना चाहा। ऋषि को उस पर दया आई और उन्होंने कहा कि वैशाख शुक्ल की एकादशी बहुत ही पुण्य फलदायी होती है। इसका उपवास करो तुम्हें पाप कर्मों से मुक्ति मिल जायेगी। धृष्टबुद्धि ने महर्षि की बताई विधि अनुसार वैशाख शुक्ल एकादशी का व्रत किया। इससे उसे सारे पापकर्मों से मुक्ति मिल गई।

व्रत की पूजा विधि

व्रत की पूजा विधि

एकादशी व्रत के लिए व्रती को दशमी तिथि से ही नियमों का पालन करना चाहिए। दशमी तिथि को एक समय ही सात्विक भोजन ग्रहण करे। ब्रह्मचर्य का पूर्णत: पालन करे। एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नानादि कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इसके बाद लाल वस्त्र से सजाकर कलश स्थापना कर भगवान विष्णु की पूजा करें। दिन में मोहिनी एकादशी व्रत कथा सुनें या पढ़ें। रात्रि के समय श्री हरि का स्मरण करते हुए, भजन कीर्तन करते हुए जागरण करे। द्वादशी के दिन एकादशी व्रत का पारण किया जाता है। सर्व प्रथम भगवान की पूजा कर किसी योग्य ब्राह्मण अथवा जरूरतमंद को भोजनादि करवाकर दान दक्षिणा भेंट दें। इसके बाद स्वयं भोजन कर व्रत खोले।

 व्रत के पुण्यफल

व्रत के पुण्यफल

  • मोहिनी एकादशी का व्रत करने से पापकर्मों से छुटकारा मिलता है।
  • व्यक्ति मोह माया के बंधनों से मुक्त होकर सत्कर्मों की राह पर चलता है।
  • मृत्यु के पश्चात व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
  • जीवित रहते हुए इस व्रत के प्रभाव से व्यक्ति के आकर्षण प्रभाव में वृद्धि होती है।
  • सुख-संपदा में वृद्धि होती है। पारिवारिक जीवन सुखी होता है।

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English summary
Mohini Ekadashi is observed on the ekadashi (11th day) during the Shukla Paksha (the bright fortnight of moon) in the Hindu month of ‘Vaisakha’ that falls during the months of April-May, according to the Gregorian calendar.
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