59 साल बाद विलक्षण लक्ष्मी नारायण योग में दो दिन रहेगा पुष्य नक्षत्र
नई दिल्ली। 15 नवंबर को आ रही दीपावली से पहले खरीदी का महामुहूर्त पुष्य नक्षत्र इस बार दो दिन रहेगा। 59 साल बाद विलक्षण लक्ष्मी नारायण योग में आ रहे पुष्य नक्षत्र में हर प्रकार की खरीदी स्थाई समृद्धि प्रदान करेगी। 7 व 8 नवंबर को 24 घंटे 5 मिनट तक पुष्य नक्षत्र की चमक रहेगी। खास बात यह है कि नक्षत्र की साक्षी में शनि-गुरु के केंद्र त्रिकोण योग के साथ सर्वार्थसिद्धि व रवियोग का संयोग भी रहेगा। शुभकार्य व खरीदी के लिए ऐसे महामुहूर्त का संयोग कम ही बनता है। इस दिन भूमि, भवन, वाहन, इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पाद, सोना, चांदी, बीमा पॉलिसी आदि की खरीदी अत्यंत शुभ मानी जाती है। इससे पहले योगों का ऐसा महासंयोग 1961 में बना था।
पंचांगीय तथा नक्षत्र मेखला की गणना से देखें तो 7 नवंबर शनिवार को सुबह 8.04 बजे से पुष्य नक्षत्र का आरंभ होगा, जो अगले दिन रविवार को सुबह 8.46 बजे तक रहेगा। नक्षत्र की कुल अवधि 24 घंटा 42 मिनट रहेगी, लेकिन रविवार को सूर्योदय के बाद करीब दो घंटे तक नक्षत्र का विद्यमान रहना दिवस पर्यंत शुभफल प्रदान करेगा। इसलिए शनिवार सुबह 8.04 बजे से रविवार रात 9 बजे तक हर प्रकार की वस्तुओं की खरीदी की जा सकती है। शनिवार व रविवार को पुष्य नक्षत्र होने से यह शनि पुष्य व रवि पुष्य नक्षत्र कहलाएंगे।
नक्षत्र के स्वामी अपनी-अपनी राशि में
वैदिक ज्योतिष के अनुसार पुष्य नक्षत्र का स्वामी शनि एवं उप स्वामी बृहस्पति हैं। इस बार नक्षत्र के स्वामी अपनी-अपनी राशि में विराजित हैं। मकर शनि तथा धनु बृहस्पति की अपनी राशि है। अर्थात इस प्रकार के दिव्य दुर्लभ संयोग वह भी सर्वार्थसिद्धि व रवि योग की साक्षी में बनते हैं, तो दिन पुण्य व लाभप्रद माना जाता है।
केंद्र-त्रिकोण योग महाफलदायी
पंचांग की गणना से देखंे तो शनि का मकर राशि में होना केंद्र योग बनाता है। वहीं बृहस्पति का धनु में होना त्रिकोण योग बना रहा है। मेष लग्न में इस प्रकार के संयोग के साथ सर्वार्थसिद्धि व रवियोग का संयोग भी बनेगा। संयोग है कि जब पंच महापुरुष योग में शनि का केंद्रगत होना शश योग बनाता है। बृहस्पति का नवम भाव में कारक होना धर्म योग बनाता है। ऐसे योगों के साथ यदि कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष में पुष्य नक्षत्र आता है, साथ ही सर्वार्थसिद्धि व रवियोग का संयोग बनता है, तो विशेष प्रभावशाली माना जाता है।
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