मोक्ष योग है कुंडली में तो नहीं होगा पुनर्जन्म...!
नई दिल्ली। वैदिक ज्योतिष में अनेक शुभ-अशुभ योगों का वर्णन मिलता है, जिनमें अधिकांश योग धन संपदा, सुख समृद्धि और आयु आरोग्य से जुड़े होते हैं, लेकिन क्या आपने कभी मोक्ष योग के बारे में सुना है। जी हां, वैदिक ज्योतिष में मोक्ष योग का वर्णन भी मिलता है। यह एक ऐसा श्ाुभ योग होता है जो यदि किसी जातक की जन्मकुंडली में बना हुआ है तो माना जाता है कि यह उस जातक का धरती पर अंतिम जन्म है। यानी इस जन्म के बाद उसका अगला जन्म कभी नहीं होगा और वह हमेशा के लिए जीवन-मृत्यु के बंधन से मुक्त हो जाएगा। जिस जातक की जन्मकुंडली में मोक्ष योग होता है वह जातक अत्यंत सदाचारी, सत्यवादी होता है। उसके समस्त कर्म शुभ और परहितकारी होते हैं। ऐसे जातक के मन में बचपन से ही वैराग्य और त्याग की भावना प्रबल होती है और वह कभी भी सांसारिक प्रपंचों में नहीं उलझता। ... तो आइए जानते हैं क्या है यह मोक्ष योग और कैसे बनता है?
मान-सम्मान दिलाता है बृहस्पति
वैदिक ज्योतिष के अनुसार किसी जातक को सद्मार्ग पर ले जाने वाला प्रमुख ग्रह बृहस्पति होता है। जिस जातक की जन्मकुंडली में बृहस्पति प्रबल होता है वह कभी बुरे कार्यों में संलग्न नहीं होता है। बृहस्पति उसे हमेशा सही रास्ते पर चलने की प्रेरणा देता है। बृहस्पति के कारण ही जातक मान-सम्मान और सफलता अर्जित करता है।
कैसे बनता है मोक्ष योग?
जैसा कि ऊपर बताया मोक्ष योग के लिए बृहस्पति का शुभ स्थिति में होना आवश्यक है। केवल इसी ग्रह के कारण व्यक्ति मोक्ष के मार्ग पर चल सकता है। इसके लिए कुछ विशेष ग्रह स्थितियां होना चाहिए।
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जन्मकुंडली
में
बृहस्पति
यदि
कर्क
राशि
में
होकर
पहले,
चौथे,
छठे,
सातवें,
आठवें
या
दसवें
भाव
में
बैठा
हो
तथा
अन्य
सभी
ग्रह
कमजोर
हों
तो
जातक
की
मोक्ष
प्राप्ति
के
योग
बनते
हैं।
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बृहस्पति
यदि
कुंडली
के
लग्न
स्थान
में
मीन
राशि
में
बैठा
हो
या
दसवें
स्थान
में
हो
और
उस
पर
किसी
अशुभ
ग्रह
की
दृष्टि
ना
पड़
रही
हो
तो
मोक्ष
योग
का
निर्माण
होता
है।
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दशम
स्थान
में
बृहस्पति
धनु
राशि
को
होकर
पूर्ण
बली
हो
और
इस
पर
दूषित
ग्रहों
की
दृष्टि
ना
हो
तो
जातक
सद्कर्म
करते
हुए
मोक्ष
की
ओर
अग्रसर
होता
है।
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यदि
जन्मकुंडली
के
12वें
भाव
में
शुभ
ग्रह
हों
तथा
12वें
भाव
का
स्वामी
स्वराशि
या
मित्र
ग्रह
की
राशि
में
हो।
साथ
ही
इन
पर
किसी
अन्य
शुभ
ग्रह
की
पूर्ण
दृष्टि
हो
तो
मोक्ष
योग
बनता
है।
ऐसे बना सकते हैं मोक्ष योग...
कई लोगों की कुंडली में मोक्ष योग नहीं होता है लेकिन फिर भी उनके कर्म अत्यंत शुभ होते हैं और वे मोक्ष प्राप्ति की प्रबल कामना रखते हैं। ऐसे जातकों अपने बृहस्पति को मजबूत बनाने के लिए कार्य करना चाहिए।
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बृहस्पति
को
मजबूत
करने
के
लिए
काम,
क्रोध,
लोभ,
मोह
और
मद
को
अपने
से
दूर
रखने
का
प्रयास
करें।
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घर
की
स्त्रियों
के
साथ
ही
परिवार,
समाज
और
संसार
की
समस्त
स्त्रियों
के
प्रति
आदर
और
सम्मान
का
भाव
रखें।
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दान-पुण्य
करते
रहने
से
बृहस्पति
को
बल
मिलता
है
और
वह
जातक
को
मोक्ष
की
ओर
प्रवृत्त
करने
में
सहायक
होता
है।
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अपने
गुरु
का
आदर-सम्मान
करें
और
उनके
मार्गदर्शन
में
दुर्गा
साधना,
भैरवी
साधना
आदि
करें।