गुप्त नवरात्रि 5 फरवरी से 14 फरवरी तक, करें देवी की विशेष साधना
नई दिल्ली। देवी दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए वर्ष के सबसे पवित्र और सिद्ध दिन नवरात्रि के माने गए हैं। इन नौ दिनों में देवी अपने भक्तों और साधकों पर पूर्ण कृपा बरसाने को आतुर रहती है। जो लोग जीवन में धन, मान, सुख, संपत्ति, वैभव और सांसारिक सुखों को पाना चाहते हैं, उन्हें नवरात्रि में देवी के सिद्ध दिनों में साधना जरूर करना चाहिए।
क्या होती है गुप्त नवरात्रि?
अधिकांश लोग वर्ष की दो नवरात्रियों के बारे में ही जानते हैं। जो चैत्र शुक्ल प्रतिपदा और आश्विन शुक्ल प्रतिपदा से नौ दिनों के लिए प्रारंभ होती है। इन्हें चैत्र और शारदीय नवरात्रि कहा जाता है। इनके अलावा दो और नवरात्रियां होती हैं जिन्हें गुप्त नवरात्रि कहा जाता है। ये गुप्त नवरात्रि माघ और आषाढ़ माह में आती है। गुप्त नवरात्रियों का महत्व चैत्र और शारदीय नवरात्रियों से भी अधिक हैं क्योंकि इनमें देवी अपने पूर्ण स्वरूप में विद्यमान रहती हैं जो प्रकट रूप में नहीं होता है। गुप्त नवरात्रियों में देवी शीघ्र प्रसन्न होती हैं, लेकिन इसमें सबसे जरूरी और महत्वपूर्ण बात यह है कि साधकों को पूर्ण संयम और शुद्धता से देवी आराधना करना होती हैं। वर्ष 2019 की प्रथम गुप्त नवरात्रि माघ शुक्ल प्रतिपदा यानी 5 फरवरी से प्रारंभ हो रही है, जो माघ शुक्ल नवमी 14 फरवरी को पूर्ण होगी। इस बार गुप्त नवरात्रि 10 दिनों की है क्योंकि द्वितीया तिथि दो दिन रहेगी। गुप्त नवरात्रि आमतौर पर उत्तरी भारत जैसे हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड और इनके आसपास के प्रदेशों में बड़े पैमाने पर मानी जाती है। गुप्त नवरात्रि में भी नौ दिनों तक क्रमानुसार देवी के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है।
तंत्र-मंत्र सिद्धि के लिए खास दिन
जो साधक तंत्र-मंत्र की सिद्धियां प्राप्त करना चाहते हैं उनके लिए गुप्त नवरात्रि के दिन बेहद खास होते हैं। इनमें वे साधक गुप्त स्थान पर रहते हुए देवी के विभिन्न स्वरूपों के साथ दस महाविद्याओं की साधना में लीन रहते हैं।
गृहस्थों के लिए विशेष
गृहस्थ साधक जो सांसारिक वस्तुएं, भोग-विलास के साधन, सुख-समृद्धि और निरोगी जीवन पाना चाहते हैं उन्हें इन नौ दिनों में दुर्गासप्तशती का पाठ करना चाहिए। यदि इतना समय न हों तो सप्तश्लोकी दुर्गा का प्रतिदिन पाठ करें। देवी को प्रसन्न करने के लिए और साधना की पूर्णता के लिए नौ दिनों में लोभ, क्रोध, मोह, काम-वासना से दूर रहते हुए केवल देवी का ध्यान करना चाहिए। कन्याओं को भोजन कराएं, उन्हें यथाशक्ति दान-दक्षिणा, वस्त्र भेंट करें।
ये हैं नौ दिन
5
फरवरी,
मंगलवार,
प्रतिपदा-
घट
स्थापना
एवं
मां
शैलपुत्री
पूजन
6
फरवरी,
बुधवार,
द्वितीया-
मां
ब्रह्मचारिणी
पूजन
7
फरवरी,
गुरुवार,
द्वितीया-
मां
ब्रह्मचारिणी
पूजन
8
फरवरी,
शुक्रवार,
तृतीया-
मां
चंद्रघंटा
पूजा,
गौरी
तृतीया
9
फरवरी,
शनिवार,
चतुर्थी-
मां
कुष्मांडा
पूजा
10
फरवरी,
रविवार,
पंचमी-
मां
स्कंदमाता
पूजा,
वसंत
पंचमी,
सरस्वती
पूजन
11
फरवरी,
सोमवार,
षष्ठी-
मां
कात्यायनी
पूजा
12
फरवरी,
मंगलवार,
सप्तमी-
मां
कालरात्रि
पूजा,
रथ
सप्तमी,
नर्मदा
जयंती
13
फरवरी,
बुधवार,
अष्टमी-
मां
महागौरी
पूजा,
दुर्गा
अष्टमी,
भीष्माष्टमी
14
फरवरी,
गुरुवार,
नवमी-
मां
सिद्धिदात्री
पूजा,
गुप्त
नवरात्र
पूर्ण