दांडारोपिणी पूर्णिमा 19 फरवरी को, एक माह गर्भवती स्त्रियां रहें सावधान
नई दिल्ली। माघ पूर्णिमा को दांडा रोपिणी पूर्णिमा कहा जाता है। इस दिन माघ मास समाप्त हो जाएगा और फाल्गुन माह प्रारंभ होगा। होली से ठीक एक माह पूर्व दांडा रोपकर फाल्गुन के आगमन की सूचना दी जाती है। दांडा रोपिणी पूर्णिमा 19 फरवरी 2019 मंगलवार को आ रही है। संपूर्ण उत्तर भारत, राजस्थान, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश समेत ब्रज भूमि पर दांडा रोपण करने का बड़ा महत्व होता है। इसका शुभ मुहूर्त दोपहर 2 से शाम 5 बजे तक रहेगा, लेकिन अच्छा चौघडि़या देखकर भी दांडा रोपा जा सकता है। ब्रज भूमि पर पूरे फाल्गुन माह में फागुन के उत्सव प्रारंभ हो जाते हैं।
गर्भवती स्त्रियों का नदी-नाले पार करने पर रोक
फाल्गुन माह गर्भवती स्त्रियों के लिए विशेष सावधानी रखने का समय होता है। दांडा रोपने के दिन से लेकर फाल्गुन पूर्णिमा यानी होलिका दहन के दिन तक गर्भवती स्त्रियों के नदी-नाले पार करने पर रोक लगा दी जाती है। प्राचीन परंपराओं के अनुसार यह गर्भवती स्त्री और उनकी कोख में पल रहे बच्चे की सुरक्षा के लिए किया जाता है। इस समय के दौरान नदी-नाले पार करने से गर्भपात का खतरा रहता है। बच्चे की सेहत के लिए यह ठीक नहीं रहता है।
बाल, नाखून यहां वहां न फेंकें गर्भवती स्त्रियों
इन दिनों में तंत्र-मंत्र, टोने-टोटके भी काफी किए जाते हैं इसलिए दांडा रोपिणी पूर्णिमा के बाद से होलिका दहन तक गर्भवती स्त्रियों के कहीं आने-जाने पर प्रतिबंध लगाया जाता है। इस एक माह के दौरान स्त्रियां अपने बाल, नाखून या अपने कपड़े यहां-वहां न फेंके। बाल नाखून काटकर फेंकना ही हो तो उन्हें कहीं जमीन में गड्ढा खोदकर दबा दें या उन्हें गौमूत्र या गाय के गोबर में डाल दें। इससे उन पर टोने टोटके का असर नहीं होगा।
मंत्र सिद्धि के खास दिन
फाल्गुन माह मंत्रों की सिद्धि के लिए अत्यंत जागृत दिन माने जाते हैं। इस माह में यदि आप कोई मंत्र सिद्ध करना चाहते हैं और अपने गुरु से आज्ञा लेकर उनके मार्गदर्शन में मंत्र सिद्ध करें। इन दिनों में मां बगुलामुखी, मां त्रिपुर सुंदरी समेत दसो महाविद्याओं आदि की साधना की जाती है। इन दिनों में भगवान शिव के महामृत्युंजय मंत्र की विशेष साधना भी की जाती है।