नवरात्र 2016: कैसे और कब करें कन्याओं का पूजन?
लखनऊ। प्राचीन काल से ही हिन्दू धर्म में कन्या बचाओं अभियान को धर्म से जोड़ दिया गया था। उसी के फलस्वरूप कन्याओं को पूजने का पर्व नवरात्र जिसे हम नौ दिनों तक मनाते है।
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इस दौरान स्त्री के उन सभी नौं रूपों की पूजा होती है, जो स्त्री के व्यक्तित्व में पहले से विद्यमान होते है।नौं दिनों तक स्त्रियों की घर-घर पूजी जाती है।
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नवरात्र के आठवें दिन कन्याओं के पूजन के पीछे भी हमारे मनीषियों का उद्देश्य था 'कन्या पूजो, कन्या पर अत्याचार रोको'। चॅूकि उस समय आधुनिक विज्ञान इस स्तर पर नहीं थी कि कन्या भू्र्ण हत्या हो सके। इसलिए बेटियों को सताया जाता था, भेदभाव किया जाता था और बेटियों पर अपने आदेश आदि थोपे जाते थे। बेटियों पर इन्हीं सब अत्याचारों को रोकने के लिए हमारे मनीषियों ने कन्या पूजन का विधान रखा था।
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किस दिन करें कन्या पूजन?
विशेष कामना के लिए नवरात्र में नौं दिनों तक कन्याओं को भोजन कराना लाभप्रद होता है। शास्त्रों के अनुसार नवरात्र में कन्या पूजन के लिए सबसे शुभ तिथि अष्टमी को माना जाता है।
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जो लोग पूरे नौं दिनों तक उपवास रखते है। वह लोग नवमी को कन्या पूजन करने के बाद प्रसाद ग्रहण करें।
कन्या पूजन विधि?
एक दिन पहले कन्याओं को आमंत्रित करना चाहिए फिर दूसरे दिनो कन्याओं का पूजन करें साथ में एक लड़का भी होना चाहिए। नौं कन्याओं के साथ एक लड़के की भी पूजा करनी चाहिए।
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कन्याओं के घर आने पर पूरे परिवार के साथ मुख्यद्वार पर कन्याओं पर पुष्प वर्षा करते हुये नव दुर्गा के सभी नौं नामों का उच्चारण करके जयकारा लगाना चाहिए। तत्पश्चात इन कन्याओं को स्वच्छ स्थान पर बिठाकर सभी के पैरों को दूध भरी थाली में धोने चाहिए, उसके बाद माथे पर अथत, फूल व कुमकुम लगाना चाहिए।
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फिर मॉ भगवती का ध्यान करके इन देवी रूपी कन्याओं मनपसन्द भोजन करायें। उसके बाद सामर्थ्य अनुसार कपड़े, उपहार व दक्षिणा देकर चरण स्पर्श करके आशीर्वाद प्राप्त करें। नोट-नवरात्र के अलावा भी महीने में एक बार नौं कन्याओं का पूजन करके भोजन कराने से घर में किसी भी प्रकार की दरिद्रता नहीं रहती है एंव इच्छित मनोकामनायें पूर्ण होती है।