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Assam Red Rice : ब्रह्मपुत्र वैली में बिना केमिकल के पैदा होता है आयरन रिच लाल चावल, जानिए खासियत

असम की मिट्टी में पैदा होने वाली रेड राइस (red rice) अपने आप में काफी यूनिक है। बिना केमिकल के पैदा होने वाली चावल की किस्म लाल चावल विदेश भी भेजी जाती है। जानिए कैसे स्पेशल है रेड राइस

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नई दिल्ली, 02 जून : भारत की मिट्टी में पैदा होने वाले अनाज से दर्जनों देशों के अन्नभंडार भरे जाते हैं। गेहूं 74 देशों में निर्यात किया जाता है। भारत में धान की खेती भी पड़े पैमाने पर होती है। धान से बनने वाले चावल की वेराइटी भी कई देशों में पॉपुलर हैं। लगभग 15 चावल की किस्मों को जीआई टैग मिल चुके हैं। मतलब ये कि ये चावल मूल रूप से भारत में ही पैदा होते हैं और इनकी अपनी-अपनी विशेषताएं है। चावल की पॉपुलर किस्मों में एक असम की रेड राइस (red rice) भी है। असम की ब्रह्मपुत्र वैली में उपजाए जाने वाले इस चावल की खासियत बिना केमिकल के तैयार होने वाला अनाज है। वनइंडिया हिंदी की इस रिपोर्ट में जानिए असम के लाल चावल की विशेषता

असम के खाने का अभिन्न अंग

असम के खाने का अभिन्न अंग

असम में लाल चावल बिना केमिकल फर्टिलाजर के उगाया जाता है। ब्रह्मपुत्र घाटी में उगाए जाने वाले इस चावल को 'बाओ-धान' भी कहा जाता है। असम के फूड कल्चर में लाल चावल यानी रेड राइस का भरपूर इस्तेमाल होता है। आयरन से भरपूर 'लाल चावल' असमिया भोजन का अभिन्न अंग माना जाता है।

पहली खेप अमेरिका भेजी गई

पहली खेप अमेरिका भेजी गई

मार्च, 2021 में असम की ब्रह्मपुत्र घाटी में पैदा होने वाले रेड राइस को अमेरिका एक्सपोर्ट किया गया था। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक लाल चावल की पहली खेप एपीडा की मदद से हरियाणा से अमेरिका भेजी गई थी।

किसानों की आय बढ़ेगी

किसानों की आय बढ़ेगी

रेड राइस एक्सपोर्ट पर एपीडा (APEDA) अध्यक्ष डॉ एम अंगमुथु का मानना है कि 'लाल चावल' का निर्यात बढ़ने पर किसानों की आय बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि रेड राइस की मार्केट में अच्छी डिमांड है। अंगमुथु ने उम्मीद जताई कि रेड राइस की बिक्री बढ़ने से ब्रह्मपुत्र के बाढ़ वाले मैदानी इलाकों के किसान परिवारों की आय में बढ़ेगी।

चावल निर्यात में 109 प्रतिशत का उछाल

चावल निर्यात में 109 प्रतिशत का उछाल

गौरतलब है कि भारत में पैदा होने वाले चावल की डिमांड लगातार बढ़ रही है। मार्च 2022 में वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय से जारी आंकड़ों के मुताबिक भारत ने रिकॉर्ड मात्रा में राइस एक्सपोर्ट किया है। वित्त वर्ष 2013-14 में 2925 मिलियन अमेरिकी डॉलर का राइस एक्सपोर्ट किया गया, जबकि 2021-22 में आंकड़ा 6115 मिलियन डॉलर तक पहुंच गया। इस तरह 8 साल की अवधि में चावल के निर्यात में 109 प्रतिशत का उछाल दर्ज किया गया। इस आंकड़े में बासमती चावल का निर्यात शामिल नहीं है। बता दें कि भारत सरकार ने APEDA के तहत चावल निर्यात संवर्धन मंच (आरईपीएफ) की स्थापना कर चावल के निर्यात को बढ़ावा देने का लगातार प्रयास कर रही है।

भारत के चावल की वैश्विक मांग

भारत के चावल की वैश्विक मांग

रेड राइस के अलावा भारत में पैदा होने वाले दूसरे चावल की किस्मों की वैश्विक मांग से जुड़ा यह भी पहलू दिलचस्प है कि सप्लाई चेन कोरोना महामारी के दौरान बाधित होने के बावजूद भारत ने कोविड प्रोटोकॉल का पालन करते हुए रिकॉर्ड मात्रा में चावल एक्सपोर्ट किए। अप्रैल-जनवरी 2021 के दौरान गैर-बासमती चावल का निर्यात लगभग 26,058 करोड़ रुपये का हुआ। चावल उत्पादकों के लिए ये काफी उत्साहजनक है कि गैर-बासमती चावल के शिपमेंट में उल्लेखनीय बढ़त दर्ज की गई है।

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English summary
know about ‘red rice’ is grown in Brahmaputra valley of Assam. this variety of rice is iron rich, chemical fertilizer free and integral part of the Assamese food.
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