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अच्छी खबर : खेती में महिलाओं को भी मिल रही सफलता, जम्मू-कश्मीर की Mushroom Farmers से एक मुलाकात

खेती-किसानी के प्रति आम धारणा है कि यह पुरुषों के वर्चस्व वाला काम है। हालांकि, अब महिलाओं ने इस धारणा को बदलना शुरू कर दिया है। मशरूम की खेती (Mushroom Farming) को जम्मू कश्मीर की कई महिलाओं ने करियर बना लिया है।

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श्रीनगर, 16 मई : गत कुछ वर्षों में जम्मू-कश्मीर आम तौर से नकारात्मक कारणों से सुर्खियों में रहा है। हालांकि, अब भारत के इस सिरमौर प्रदेश में बदलाव की बयार अपना असर दिखाने लगी है। पॉजिटिव चेंज का ही प्रभाव है कि पुरुषों के वर्चस्व वाले क्षेत्रों में युवतियों और महिलाओं ने भी सफलता के झंडे गाड़ने शुरू कर दिए हैं। हम बात कर रहे हैं जम्मू कश्मीर में मशरूम की खेती (mushroom cultivation) कर रहीं महिला किसानों की। इन युवाओं ने मशरूम फार्मिंग को अपना करियर बना लिया है। नेशनल रूरल लाइवलीहुड मिशन (National Rural Livelihood Mission) के तहत मशरूम फार्मिंग से इन युवतियों को इकोनॉमिक सिक्योरिटी के साथ-साथ विशेष पहचान भी मिल रही है। इस कहानी में मिलिए कुछ ऐसे ही युवाओं से जिन्होंने मशरूम की खेती में सफलता पाई है।

युवतियों ने शुरू की खेती, प्रशासन से सहयोग

युवतियों ने शुरू की खेती, प्रशासन से सहयोग

दक्षिण कश्मीर के पुलवामा जिले में दो कश्मीरी लड़कियों ने राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (National Rural Livelihood Mission- NRLM) के तहत मशरूम की खेती कर रही हैं। युवा उद्यमी, रौकाया जान (Raukaya Jan) ने बताया, प्रदेश के कृषि विभाग से उन्हें सब्सिडी मिली। इससे उन्हें मशरूम का यूनिट शुरू करने में सहूलियत हुई। उन्होंने बताया कि मशरूम की खेती के लिए उन्हें ट्रेनिंग भी दी गई। त्राल गांव में रहने वालीं रौकाया बताती हैं कि एमए (पोस्ट ग्रैजुएट डिग्री) हासिल करने के बावजूद वे बेरोजगार थीं। अब NRLM के तहत आजीविका के लिए उन्होंने अपने घर पर ही खुद की मशरूम इकाई शुरू की है। पुलवामा के जिला विकास समिति के प्रमुख सैयद बारी अंद्राबी के मुताबिक NRLM खास तौर से महिलाओं को समर्पित योजना है।

मशरूम की खेती से जुड़ीं नीलोफर

मशरूम की खेती से जुड़ीं नीलोफर

दक्षिण कश्मीर में ही वीमेन एंटरप्रेन्योरशिप का उदाहरण नीलोफर के रूप में सामने आया। युवा नीलोफर ने मशरूम की खेती शुरू कर बेरोजगारी का रोना रोने वाले लोगों के सामने एक मिसाल पेश की है। मशरूम फार्मिंग कर रहीं नीलोफर से अन्य लोग भी प्रेरित हो सकें, इस मकसद से जिला प्रशासन की ओर से ट्वीट भी किया गया।

सालाना करीब 70,000 रुपये की आमदनी

सालाना करीब 70,000 रुपये की आमदनी

नीलोफर की मशरूम फार्मिंग के बारे में इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट में बताया गया कि पुलवामा जिले के गंगू गांव में रहने वालीं युवा नीलोफर जीविकोपार्जन के साथ साथ अपने परिवार का भी सपोर्ट कर रही हैं। अपने घर पर जैविक मशरूम उगा रहीं नीलोफर जान मशरूम की खेती से सालाना करीब 70,000 रुपये कमा लेती हैं। उन्होंने स्थानीय कृषि केंद्र से मशरूम की खेती का प्रशिक्षण लेने के बाद ऑग्रेनिक मशरूम उगाना शुरू किया। नीलोफर बताती हैं कि पैसे कमाकर सशक्तिकरण का एहसास होता है। परिवार का समर्थन करने के अलावा वे अपनी शिक्षा भी पूरी कर सकती हैं।

स्कीम महिला सशक्तिकरण को समर्पित

स्कीम महिला सशक्तिकरण को समर्पित

मशरूम की खेती से जुड़ी एक एक अन्य युवती सोबिया ने बताया कि कश्मीर घाटी के युवाओं को NRLM स्कीम का लाभ उठाना चाहिए। उन्होंने बताया कि एनआरएलएम स्कीम के तहत जिस प्रकार उन्होंने मशरूम की यूनिट लगाई है, युवा खुद की व्यावसायिक इकाइयां शुरू कर सकते हैं। पुलवामा के जिला विकास समिति (Pulwama DDC) के अध्यक्ष सैयद बारी अंद्राबी के मुताबिक एनआरएलएम स्कीम प्रगतिशील योजना है। उन्होंने कहा कि पुलवामा के सभी ब्लॉक में NRLM स्कीम पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा। इसका मकसद बेरोजगार युवाओं, खासकर महिलाओं को लाभ पहुंचाना है।

मशरूम तैयार होने के बाद मार्केटिंग

मशरूम तैयार होने के बाद मार्केटिंग

मशरूम तैयार होने के बाद मार्केटिंग के मोर्चे पर इसे कुछ मौकों पर चैलेंज का सामना करना पड़ता है। हालांकि, पैकेजिंग बेहतर होने और ग्राहकों की डिमांड पर फ्रेश मशरूम की कीमत काफी अच्छी मिलती है।

4000 से अधिक वेराइटी के मशरूम, खाने लायक 300

4000 से अधिक वेराइटी के मशरूम, खाने लायक 300

मशरूम की खेती बंद कमरों में की जा सकती है। लकड़ी के सांचों के अलावा पॉलिथीन का भी इस्तेमाल किया जा सकता है। मशरूम उगाने के लिए चावल की भूसी या दूसरी फसलों के अवशेषों की मदद ली जाती है। भूसा कटा न होने की स्थिति में भूसा काटने वाली मशीन की जरूरत भी पड़ सकती है। एक अनुमान के मुताबिक दुनियाभर में मशरूम की लगभग 4000 वेराइटी पाई जाती हैं। हालांकि, इनमें खाने के लिए लगभग 300 प्रकारों का ही इस्तेमाल होता है।

भारत के किन इलाकों में कौन से मशरूम की खेती

भारत के किन इलाकों में कौन से मशरूम की खेती

भारत में अधिकांश तीन प्रकार की मशरूम फार्मिंग की जाती है। ढिंगरी, दूधिया और श्वेत बटन मशरूम। ढिंगरी मशरूम की खेती सर्दियों के मौसम में पूरे भारत में देखी जाती है। हालांकि, समुद्र तट वाले इलाकों में हवाओं की नमी के कारण इसकी बेहतर पैदावार होती है। दूधिया मशरूम की खेती मैदानी इलाकों में होती है। श्वेत बटन मशरूम सबसे अधिक पॉपुलर है। सर्दियों में श्वेत बटन मशरूम की खेती सबसे अधिक होती है। 14-22 डिग्री सेल्सियस तापमान के बीच यह बेहतर तरीके से विकसित होता है।

यह भी पढ़ें- Mushroom Farming : जम्मू-कश्मीर में कुकुरमुत्ता की खेती से सक्सेस की प्रेरणा, कई युवाओं ने हासिल की कामयाबीयह भी पढ़ें- Mushroom Farming : जम्मू-कश्मीर में कुकुरमुत्ता की खेती से सक्सेस की प्रेरणा, कई युवाओं ने हासिल की कामयाबी

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English summary
Mushroom farming : Jammu Kashmir women doing mushroom cultivation under National Rural Livelihood Mission.
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