Basil Leaf Farming : किसानों को मालामाल कर देगी तुलसी, औषधीय पौधे की तरह करें खेती
तुलसी का पत्ता अच्छी हवा-पानी और उपजाऊ मिट्टी मिलने पर प्राकृतिक रूप से भी उपजता है। औषधीय पौधे के रूप में तुलसी पत्ते की कॉमर्शियल खेती कर अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है। जानिए खेती से जुड़े नुस्खे
नई दिल्ली 09 जून : तुलसी के पत्ते की खेती (basil leaf farming) कॉमर्शियल तरीके से करने पर अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है। पारंपरिक खेती के अलावा कुछ अलग हट कर करने का प्लान बना रहे किसानों के लिए औषधीय पौधों की खेती करने का विकल्प है। तुलसी का इस्तेमाल कई तरह के घरेलू उपचार के अलावा धार्मिक-सामाजिक गतिविधियों में भी होता है। पर्व-त्योहार के मौके पर मार्केट में तुलसी की अच्छी डिमांड होती है। कुछ जरूरी निस्खे अपनाकर तुलसी पत्ते की खेती कर किसान बढ़िया कमाई कर सकते हैं। सबसे खास बात ये है कि तुलसी पत्ते की खेती किसी भी मौसम में की जा सकती है। बारिश के मौसम में तुलसी काफी बड़े पैमाने पर नैचुरल तरीके से भी उपजती है।
तुलसी के वैश्विक गुणवत्ता मानक
तुलसी के पत्ते कोरोना संक्रमण के इस दौर में दुनियाभर में घरेलू नुस्खों के रूप में इस्तेमाल किए जा रहे हैं। तुलसी में चिकित्सीय शक्तियां हैं, जिससे रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। जड़ी-बूटी पर गठित कॉमर्स एंड इंडस्ट्री मिनिस्ट्री की कोडेक्स कमेटी (सीसीएससीएच) की ओर से तुलसी के लिए वैश्विक गुणवत्ता मानकों को विकसित किए जाने के बाद इसकी कीमतों में बढ़त देखी गई है। अब कई किसान औषधीय पौधे के रूप में तुलसी की कॉमर्शियल खेती कर अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं।
कम
सिंचाई
में
अच्छी
उपज
कई
लोगों
के
घरों
के
बैकयार्ड
में
तुलसी
बारहमासी
पौधे
की
तरह
देखी
जा
सकती
है,
लेकिन
आम
तौर
से
बड़े
पैमाने
पर
खेती
के
संदर्भ
में
इसे
बरसात
की
फसल
माना
जाता
है।
अच्छी
बारिश
होने
पर
सितंबर
तक
तुलसी
के
पौधों
को
सिंचाई
की
जरूरत
नहीं
पड़ती।
अक्टूबर
के
बाद
सर्दियों
में
किसान
भाई
जरूरत
के
हिसाब
से
तुलसी
के
पौधों
को
सींच
सकते
हैं।
कम उपजाऊ जमीन पर तुलसी की खेती
तुलसी की खेती कर किसान अच्छी आमदनी हासिल कैसे हासिल कर सकते हैं ? इसका जवाब है कि तुलसी कम उपजाऊ जमीन पर भी उपजाई जा सकती है। शहरों में कंक्रीट के फैलते जंगलों के बीच छतों पर रखे गमलों में तुलसी उगाई जा सकती है। अगर आपके पास थोड़ी भी खाली जमीन है तो तुलसी के पौधे लगाकर लाभ कमाया जा सकता है। एक अहम बात का ध्यान रखना जरूरी है कि जिस जमीन पर तुलसी उगा रहे हों वहां पानी न जमा हो। यानी सिंचाई के बाद या बारिश होने पर खेत में पानी रूकना नहीं चाहिए। इससे पौधे खराब हो सकते हैं।
हर जलवायु में उगा सकते हैं तुलसी के पौधे
एक अनुमान के मुताबिक दुनिया भर में तुलसी की 150 किस्में मौजूद हैं। मिट्टी की गुणवत्ता और सिंचाई की समस्या से परेशान रहने वाले लोगों या किसानों के लिए राहत की बात ये है कि तुलसी के पौधों की खेती कम उपजाऊ जमीन पर भी की जा सकती है। एक जरूरी बात है कि जिस प्लॉट पर खेती करनी है, वहां पानी जमना नहीं चाहिए। बलुई दोमट मिट्टी तुलसी की खेती के लिए सबसे बेहतरीन मानी जाती है। आम तौर पर तुलसी के पौधे हर तरह की जलवायु में उपजते हैं।
जून में तैयार करें खेत
अगर किसान भाई तुलसी के पौधे की व्यावसायिक खेती करने की योजना बना रहे हैं तो उन्हें नर्सरी तैयार करनी चाहिए। दरअसल, आम तौर पर तुलसी के पौधे की खेती दो चरणों में की जाती है। पहले स्टेज में तुलसी के बीज की बुआई कर नर्सरी तैयार करना और दूसरे चरण में पौधे तैयार होने पर रोपाई। बड़े पैमाने पर तुलसी के पौधे की खेती के लिए जून के दूसरे हफ्ते तक खेत तैयार कर लें। 15 से 20 सेंटीमीटर गहरी जुताई कर गोबर की सड़ी खाद डालें। इससे उत्पादन अच्छा होगा।
ऐसे मिलेंगे बेहतरीन पत्ते
हाई क्वालिटी बेसिल लीफ यानी तुलसी पत्ते और पत्तों का अच्छी मात्रा में उत्पादन हो। इसके लिए जरूरी है कि एक हेक्टेयर जमीन में गोबर की सड़ी खाद 15 से 20 टन डाली जाए। हालांकि, मिट्टी की जांच के आधार पर इसकी मात्रा कम या अधिक भी हो सकती है। गोबर की खाद डालने के बाद खेत की दुबारा जुताई करें, जिससे खाद और मिट्टी अच्छी तरह से मिल जाएं। किसान भाई तुलसी के पौधों की रोपाई के एक महीने बाद निराई-गुड़ाई कर सकते हैं। जड़ों के आसपास जमने वाली घास और खरपतवार की सफाई करने से पौधों का अच्छा विकास होता है। तीन-चार सप्ताह के बाद जरूरत पड़ने पर खरपतवार हटाएं।
10-12 हफ्ते में पौधे तैयार, 80-10 किलो तक निकलेगा तेल
विशेषज्ञों के मुताबिक क्यारियों में तुलसी के पौधे लगाने पर उपज अच्छी होती है। रोपाई के 10 से 12 हफ्ते बाद तुलसी के पौधों की कटाई की जा सकती है। इस समय पौधे में फूल आ जाते हैं। नीचे के पत्ते पीले पड़ने लगते हैं। एक हेक्टेयर खेत में 750 ग्राम से एक किलो तक बीज लग सकता है। इसके अलावा 20 किलो फास्फोरस, 20 किलो पोटाश और 20 किलो नाइट्रोजन की भी जरूरत पड़ सकती है। हालांकि, किसानों को मिट्टी की जांच कराने के बाद ही किसी भी उर्वरक का इस्तेमाल करना चाहिए। एक हेक्टेयर में लगाए गए तुलसी के पौधों से लगभग 20 से 25 टन पैदावार होती है। इससे 80 से 100 लीटर तक तेल भी निकाला जा सकता है।
तुलसी के पौधों की बुआई
नर्सरी में पौधे तैयार करने के अलावा तुलसी के पौधों की खेती बीज से भी की जा सकती है। हालांकि, दूसरे बीजों की तरह इसकी बुआई सीधे नहीं होती। भुरभुरी मिट्टी या रेत में मिलाकर तुलसी के बीज बोए जाते हैं। बीज ज्यादा गहराई में नहीं बोई जाती। कतार में बुआई से बेहतर उत्पादन मिलता है। दो कतारों के बीच की दूरी 8 से 10 सेंटीमीटर रखें। पौधे निकलने के 15 से 20 दिन बाद एक हेक्टेयर में 20 किलो नाइट्रोजन का छिड़काव किया जा सकता है। हालांकि, विशेषज्ञ के परामर्श के बिना ऐसा नहीं करना चाहिए।
इतनी
दूरी
पर
लगाएं
पौधे
बीज
लगाने
के
5
से
6
सप्ताह
के
अंदर
तुलसी
के
पौधे
रोपाई
के
लिए
तैयार
हो
जाते
हैं।
पौधे
नाजुक
होते
हैं
ऐसे
में
रोपाई
दोपहर
के
बाद
ही
करनी
चाहिए।
दो
क्यारियों
के
बीच
की
दूरी
60
सेंटीमीटर
रखें।
पौधें
से
पौधे
की
दूरी
30
सेंटी
मीटर
रखना
बेहतर
है।
इससे
सभी
पौधे
अच्छे
से
विकसित
होंगे।
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