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केंचुओं को क्लासिकल म्यूजिक सुनाता है यह युवा, जल्द मिलती है जैविक खाद, जानिए कमाल के किसान की कहानी

कोई युवा अगर डॉक्टरी की पढ़ाई करने के बजाय खेती-किसानी को अपना करियर बनाने का संकल्प कर ले तो आप इसे क्या कहेंगे। मध्य प्रदेश का यह युवा खुद की जैविक खेती के अलावा 40 हजार से अधिक लोगों को ट्रेनिंग भी दे चुका है।

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सागर (मध्य प्रदेश), 11 मई : युवा किसान आकाश चौरसिया खान-पान में बदलाव के मकसद से विष मुक्त गौ आधारित कृषि कर रहे हैं। वे बताते हैं कि उन्होंने देशभर के 43 हजार किसानों और लगभग 8 हजार युवाओं को ट्रेनिंग भी दी है। बकौल आकाश, हर महीने की 27 और 28 तारीख को लोग उनके पास ट्रेनिंग लेने आते हैं। उन्होंने कहा कि स्वावलंबी फार्मिंग के मॉडल के तहत बीज और खाद जैसी चीजें वे बाजार से नहीं खरीदते। उन्होंने किसानों को बेहतर मार्केट के सवाल पर सुझाव दिया कि शहरों में वितरण के कई केंद्र बनाने से किसानों को अपने उत्पाद बेचने में सहूलियत होगी, कीमत भी सही मिलेगी।

ग्राउंड वाटर रिचार्ज सबसे अहम

ग्राउंड वाटर रिचार्ज सबसे अहम

आकाश चौरसिया ने बताया कि वे जैविक खाद और कीटनाशक दवाओं के लिए मिट्टी के घड़ों का प्रयोग करते हैं। खेती में पानी के इस्तेमाल को लेकर चिंता के बारे में आकाश ने बताया कि उन्होंने ग्राउंड वाटर रिचार्ज और भरपूर नैचुरल मिनरल युक्त मिट्टी के लिए एक मॉडल बनाया है। 25 हजार जगहों पर उन्होंने इस मॉडल को लागू कराया है, जिससे करोड़ों लीटर ग्राउंड वाटर रिचार्ज होता है, मिट्टी का कटान भी कम होता है।

बांस की पत्ती से बनती है खाद

बांस की पत्ती से बनती है खाद

खेतों की मेड़ पर बांस जैसी चीजों को उगाने की उपयोगिता बताते हुए आकाश बताते हैं कि बांस की पत्तियों से खाद बनाकर वे मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ाने का काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि बांस की पत्ती में सेल्युलोज होता है, जो बैक्टीरिया का सबसे अच्छा भोजन है। बांस की पत्ती 10 किलो, 10 किलो खेत की मिट्टी, स्टार्च के लिए कुचला हुआ एक किलो आलू का प्रयोग कर 21 दिनों में खाद तैयार हो जाती है।

खेतों की सुरक्षा और छांह के लिए बांस के प्रयोग

खेतों की सुरक्षा और छांह के लिए बांस के प्रयोग

बांस के एक प्रकार के बारे में बताते हुए आकाश ने कहा कि कटंगा बांस 60 दिनों में 50 फीट की ऊंचाई हासिल कर लेता है, इसकी कीमत 250-300 रुपये तक मिलती है। उन्होंने बताया कि खरपतवार और कीट-पतंगों की समस्या से निजात पाने के लिए कपड़े या साड़ी का प्रयोग कर बांस की दीवार जैसा बनाते हैं। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक छायादार धरती के मकसद में भी बांस से शेड बनाने में मदद मिलती है।

केंचुओं को म्यूजिक सुनाकर बनाते हैं खाद

केंचुओं को म्यूजिक सुनाकर बनाते हैं खाद

आकाश चौरसिया केंचुओं को म्यूजिक सुनाकर खेतों की उर्वरा शक्ति बढ़ाने पर भी काम करते हैं। वे दावा करते हैं कि जो केंचुआ बिना म्यूजिक 60 दिनों में खाद तैयार करता है, म्यूजिक के प्रयोग से वही काम 40-45 दिनों में हो जाता है। खाद की खासियत के बारे में उन्होंने बताया कि गोबर के साथ रॉक फॉस्फेट नाम के मिनरल का प्रयोग करते हैं। गोबर और रॉक फास्फेट मिलाने के बाद केंचुआ डाला जाता है। 40-45 दिनों में तैयार होने वाले खाद से मिट्टी में फास्फोरस की कमी पूरी हो जाती है।

दूध न देने वाली गायों का उपयोग

दूध न देने वाली गायों का उपयोग

आकाश बताते हैं कि केंचुओं वाली खाद से सब्जी विषमुक्त, स्वादिष्ट और लंबे समय तक फलने वाली और अधिक मात्रा में उपजती है। खेती के अलावा पशुपालन में गोपालन के बारे में आकाश चौरसिया बताते हैं कि गोमूत्र के इस्तेमाल से कीटनाशक दवाएं बनाते हैं। उन्होंने बताया कि जो गाएं दूध नहीं दे पातीं, उनमें भी गोबर और गोमूत्र के माध्यम से 10 और लोगों के खाने का श्रोत बनी रहती हैं।

देसी प्रजाति के बीजों का कलेक्शन

देसी प्रजाति के बीजों का कलेक्शन

20-22 लाख रुपये की टोटल टर्नओवर हासिल कर रहे आकाश ने बताया कि खर्चों को काटने के बाद 14-15 लाख रुपये की आमदनी होती है। उन्होंने बताया कि बीज बैंक की पहल के तहत उन्होंने 32 प्रकार की देशी प्रजाति के बीजों का कलेक्शन तैयार किया है। उन्होंने बताया कि किसानों को हर साल बीज दिए जाते हैं, बदले में किसान दोगुना बीज लौटाते हैं। अगले साल चार और किसानों को बीज बांटे जाते हैं।

घरेलू उपायों से कीटनाशकों पर कंट्रोल

घरेलू उपायों से कीटनाशकों पर कंट्रोल

जैविक कीटनाशकों के प्रयोग से जुड़े सवाल पर आकाश चौरसिया बताते हैं कि तनाछेदक कीटों के लिए 60 दिन पुरानी देसी गाय की छाछ में एक किलो लहसुन का पेस्ट मिलाकर स्प्रे करने पर किसी भी किस्म के कीटों से निजात मिलती है। रस चूसक कीटों के लिए सात प्रकार की पत्तियों को गोमूत्र में मिलाकर 21 दिनों तक रखा जाता है। इसके बाद स्प्रे किया जाता है, कीटों पर प्रभावी नियंत्रण होता है।

लैब की तकनीक के बदले, स्वावलंबन पर हो जोर

लैब की तकनीक के बदले, स्वावलंबन पर हो जोर

देश के किसानों के रोल मॉडल बनने की संभावना और सरकारों की भूमिका से जुड़े सवाल पर आकाश चौरसिया बताते हैं कि लैब की बजाय अगर कोई युवा ग्रामीण इलाकों में खेती-किसानी से जुड़े शानदार काम कर रहा है, तो स्वावलंबन पर जोर देकर उसे रेप्लिकेट करने की शुरुआत करनी चाहिए। लैब में तैयार तकनीक को मल्टीप्लाई करने से बचना चाहिए। उन्होंने कहा कि रेप्लिकेट करना का काम युवाओं की कार्यशैली के तहत ही होना चाहिए, इससे पूरे देश के युवाओं, किसानों और अर्थव्यवस्था को फायदा पहुंचेगा।

किसानों का नेटवर्क बनाने के लिए पोर्टल

किसानों का नेटवर्क बनाने के लिए पोर्टल

किसानों की फसल को बेहतर बाजार देने की दिशा में जरूरी फैसलों के बारे में आकाश चौरसिया ने सुझाव दिया कि मार्केट बनाने के लिए मंडियों की तर्ज पर लोकल लेवल पर डिस्ट्रीब्यूशन प्वाइंट बनाए जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि शहर के चार कोनों में चार केंद्र भी बना दिए जाएं, तो किसानों को फायदा मिलेगा, जैविक खेती की दिशा में लोगों का झुकाव बढ़ना शुरू होगा। तकनीक के प्रयोग के बारे में आकाश ने कहा, इंटरनेट की मदद से जैविक खेती कर रहे किसानों का नेटवर्क बनाने के लिए पोर्टल बनाया जा सकता है। टेक्नोलॉजी के प्रयोग से कम समय में अधिक काम किया जा सकता है।

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English summary
Akash Chaurasia of Sagar, Madhya Pradesh using indegenous farming with annual turnover of 14-15 Lacs per annum. He trains interested people for multilayer farming and pesticide free agriculture.
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