नोटबंदी के बाद आया पहला सर्वे, जानिए क्या है मोदी सरकार का हाल
जनता मानती है कि नोटबंदी से थोड़ी परेशानी तो है लेकिन काला धन पर लगाम लगाने के लिए यह बहुत सही फैसला है। यह सर्वे देश की लगभग 200 से ज्यादा लोकसभा सीटों पर किया गया है।
नई दिल्ली। मोदी सरकार की ओर से 500 और 1000 रुपये के नोटों पर पाबंदी लगाए जाने के बाद एक ओर जहां विपक्ष इस मुद्दे पर सरकार को घेर रहा है वहीं घंटों लाइन में खड़े रहने के बाद भी आम आदमी इस फैसले से खुश है। सी-वोटर की ओर से किए गए सर्वे में दावा किया गया है कि 80 फीसदी लोग सरकार के फैसले से खुश हैं।
200 से ज्यादा लोकसभा सीटों पर सर्वे
सर्वे में कहा गया है कि 80-86 फीसदी जनता मानती है कि नोटबंदी से थोड़ी परेशानी तो है लेकिन काला धन पर लगाम लगाने के लिए यह बहुत सही फैसला है। यह सर्वे देश की लगभग 200 से ज्यादा लोकसभा सीटों पर किया गया है। अंतराष्ट्रीय सर्वे एजेंसी ने सोमवार को यह सर्वे किया है।
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नोटबंदी के समर्थन का ग्राफ और बढ़ा
रेजिडेंस, इनकम लेवल और आयु वर्ग के आधार पर जब लोगों से इस मामले में राय मांगी गई तो नोटबंदी के समर्थन का ग्राफ और बढ़ गया। शहरी और ग्रामीण इलाकों में 86 फीसदी लोगों ने माना कि जो परेशानी आ रही है वो बेहतर भविष्य के लिए ठीक है। अर्ध-शहरी इलाकों में यह आंकड़ा 80.6 फीसदी है।
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ज्यादा आय वालों का समर्थन भी ज्यादा
ऊंची आय ग्रुप के लोगों ने फैसले का सबसे ज्यादा समर्थन किया और आंकड़ा 90.6 फीसदी तक पहुंच गया। उन्होंने फैसले को बेहतरीन करार दिया। आयु वर्ग के आधार पर देखें तो 25 साल के कम, 25-45, 45-60 और 60 साल के ऊपर के करीब 83.3 फीसदी लोगों ने इस फैसले पर सहमति जताई है।
'सही तरीके से लागू किया गया फैसला'
फैसला लागू किए जाने और परेशानियों को लेकर लोगों ने कहा कि यह फैसला पूरी तरह सही है और सही तरीके से लागू किया गया है। शहरी इलाकों के 71 फीसदी लोगों ने यह बात कही है। जबकि अर्ध शहरी क्षेत्र में यह आंकड़ा 65.1 और ग्रामीण इलाकों में 59.4 फीसदी लोग इसका समर्थन करते हैं।
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इन्हीं इलाकों में क्रमश: 23.8 फीसदी, 24.3 फीसदी और 36 फीसदी लोग मानते हैं कि फैसला अच्छा है लेकिन इसे लागू करने में कई खामियां रह गई हैं।
विपक्ष के दबाव में अगर वापस हुआ फैसला तो क्या होगा?
सर्वे के दौरान 55 फीसदी लोगों ने यह भी माना कि अगर विपक्ष के दबाव में आकर मोदी सरकार यह फैसला वापस ले लेती है तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का समर्थन करने वालों को गहरा झटका लगेगा। शहरी क्षेत्र में यह आंकड़ा 62.3 फीसदी था। जबकि अर्ध शहरी क्षेत्र में 67.3 और ग्रामीण क्षेत्र के 54.8 फीसदी लोग इस बात को मानते हैं।