देश के सरकारी बैंकों का एनपीए करीब 80,000 करोड़ बढ़ा
देश के सरकारी बैंकों का नॉन परफार्मिंग असेट लगातार बढ़ता जा रहा है। वित्त वर्ष 2016 में जुलाई से सितंबर के दौरान सरकारी बैंकों का एनपीए बढ़कर करीब 80,000 करोड के स्तर पर पहुंच गया है।
नई दिल्ली। देश के सरकारी बैंकों का नॉन परफार्मिंग असेट लगातार बढ़ता जा रहा है। वित्त वर्ष 2016 में जुलाई से सितंबर के दौरान सरकारी बैंकों का एनपीए बढ़कर करीब 80,000 करोड़ के स्तर पर पहुंच गया है।
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इस वर्ष के आंकड़ों के मुताबिक सितंबर 2016 तक सभी सरकारी बैंकों का एनपीए 6,30,323 करोड़ रुपए के स्तर पर पहुंच गया है। जोकि जून 2016 में 5,50,346 करोड़ रुपए के स्तर पर था। तीन महीने की अवधि में एनपीए में करीब 79,977 करोड रुपए बढ़ गया है। बढते एनपीए को देखते हुए सरकार इंफ्रास्ट्रक्चर, पॉवर, रोड टेक्सटाइल, स्टील में बढ़ते एनपीए को रोकने के लिए कदम उठा रही है। इस बाबत की जानकारी केंद्रीय राज्य वित्त मंत्री संतोष कुमार गंगवार ने राज्यसभा में एक लिखित जवाब में दी है।
उन्होंने राज्यसभा में बताया कि सरकार इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्टसी कोड (आईबीसी) और सारफेसी एक्ट के जरिए बैंकों के इस लोन की रिकवरी करवाने का प्रयास कर रही है।
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उन्होंने बताया कि आरबीआई कॉरपोरेट डेब्ट रिस्ट्रक्चरिंग, फोरम ऑफ स्ट्रेटजिक डेब्ट रिस्ट्रक्चरिंग स्कीम के जरिए एनपीए पर काबू पाने की कोशिश कर रही हैं। एक दूसरे जवाब में उन्होंने बताया कि आयरन और स्टील सेक्टर को जून 2016 तक 2.80 लाख करोड़ रुपए का लोन दिया गया था। इसमें से 1.24 करोड़ रुपए का लोन बेड लोन में जा चुका है। वहीं उन्होंने यह भी बताया कि सरकार ने कॉरपोरेट सेक्टर के लिए कोई लोन माफी नहीं की है।