PM Modi जिस हाई प्रोफाइल श्री सोमनाथ ट्रस्ट के चेयरमैन बने, उसके बारे में सबकुछ जानिए
Shree Somnath Trust:प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) को गुजरात के प्रसिद्ध सोमनाथ मंदिर ट्रस्ट का नया चेयरमैन नियुक्त किया गया है। गुजरात के गिर-सोमनाथ (gir somnath) जिले के प्रभास पाटन (prabhas patan) शहर में स्थित इस मंदिर को संचालित करने वाले ट्रस्ट के चेयरमैन नियुक्त होने वाले मोदी देश के दूसरे प्रधानमंत्री हैं। पीएम मोदी की इस हाई प्रोफाइल पद के लिए चुनाव सर्वसम्मति से हुआ है। पीएम मोदी से पहले पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई (former PM Morarji Desai) भी इस ऐतिहासिक मंदिर ट्रस्ट के चेयरमैन रह चुके हैं। ट्रस्ट के मौजूद रेकॉर्ड्स के मुताबिक प्रधानमंत्री मोदी इसके आठवें चेयरमैन बने हैं। गौरतलब है कि वे 2010 से ही इस ट्रस्ट के सदस्य हैं।
सर्वसम्मति से ट्रस्ट के चेयरमैन बने पीएम मोदी
पीएम मोदी (PM Modi) से पहले गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री केशुभाई पटेल (former Gujarat Chief Minister Keshubhai Patel)सोमनाथ ट्रस्ट (Shree Somnath Trust)के चैयरमैन थे। पिछले साल अक्टूबर में उनके निधन के बाद से यह पद खाली हो गया था। वह पूरे 16 साल तक यानि 2004 से 2020 तक इस पद पर कायम रहे। ट्रस्ट के ट्रस्टी-सेक्रेटरी पीके लाहेरी (गुजरात के पूर्व मुख्य सचिव) के मुताबिक सोमवार को सोमनाथ ट्रस्ट के सदस्यों की वर्चुअल मीटिंग हुई जिसमें पीएम मोदी को नया चेयरमैन नियुक्त किया गया। ट्रस्ट के दूसरे हाई प्रोफाइल सदस्यों में बीजेपी के बुजुर्ग नेता और मार्गदर्शक मंडल के सदस्य लालकृष्ण आडवाणी (LK Advani),गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah), गुजरात के जाने-माने विद्वान प्रोफेसर जेडी परमार (1975 से सदस्य) और कोलकाता स्थित अंबुजा ग्रुप के कारोबारी हर्षवर्धन नियोटिया शामिल हैं। लाहेरी के मुताबिक गृहमंत्री शाह ने चेयरमैन के लिए पीएम मोदी के नाम का प्रस्ताव रखा और खुद लाहेरी ने उसक समर्थन किया,जिसके बाद सभी सदस्यों ने सर्वसम्मति से उन्हें नया चेयरमैन चुन लिया। ट्रस्ट में शाह की नियुक्ति साल 2016 में हुई थी।
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श्री सोमनाथ ट्रस्ट का अधिकार
श्री सोमनाथ ट्रस्ट (Shree Somnath Trust)एक धार्मिक चैरिटेबल ट्रस्ट है, जो गुजरात पब्लिक ट्रस्ट ऐक्ट, 1950 के आधार पर संचालित होता है। प्रसिद्ध सोमनाथ मंदिर समेत प्रभास पाटन के 64 विभन्न मंदिरों और गेस्टहाउस के प्रबंध का अधिकार भी इसके पास सुरक्षित है। इस ट्रस्ट के पास 2,000 एकड़ से ज्यादा जमीन है। ट्रस्ट का संचालन चेयरमैन और सेक्रेटरी समेत 8 ट्रस्टियों के हाथों में होता है। ट्रस्ट की सदस्यता आमतौर पर उसके जीवन भर के लिए होती है। हालांकि, वह खुद इस्तीफा देकर ट्रस्ट से बाहर हो सकता है। आमतौर पर ट्रस्ट के चेयरमैन का चुनाव हर साल होता है। अगर कोई ट्रस्टी ट्रस्ट का भरोसा तोड़ता है तो उसे इससे बाहर भी किया जा सकता है।
क्यों हाई प्रोफाइल माना जाता है यह ट्रस्ट
परंपरागत तौर पर गुजरात और केंद्र सरकार ट्रस्ट के चार-चार सदस्यों को नामांकित कर सकती हैं। हालांकि, रिक्त पदों पर नियुक्तियां आमतौर पर बोर्ड की ओर से भेजे गए उम्मीदवारों में से ही तय होती हैं। इस ट्रस्ट की अहमियत इसलिए है कि जबसे इसका आधुनिक इतिहास में जीर्णोद्धार हुआ है, इससे देश के बड़े-बड़े राजनीतिक चेहरों का नाम जुड़ा रहा है। इस मंदिर का पुनर्निर्माण देश के पहले गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल की पहल से हुआ, जिन्होंने आजादी के बाद 13 नवंबर, 1947 को यहां की यात्रा की थी। मौजूदा मंदिर में प्राण-प्रतिष्ठा का कार्य और इसका उद्घाटन खुद देश के पहले राष्ट्रपति डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद के हाथों 11 मई, 1951 को हुआ। देश के प्रधानमंत्री के तौर पर पहली बार मोरारजी देसाई इसके ट्रस्टी बने और वह 1967 और 1995 के दौरान इसके चेयरमैन भी रहे। नरेंद्र मोदी 2010 में इसके सदस्य बने, तब वो गुजरात के मुख्यमंत्री थे। शुरू में इस ट्रस्ट पर कांग्रेस से जुड़े राजनेताओं का दबदबा था, अब इसपर बीजेपी से जुड़े नेताओं का दबदबा है।
ट्रस्ट का बजट और खर्च
उपलब्ध आंकड़े बताते हैं कि हर साल 8 लाख से ज्यादा तीर्थयात्री सोमनाथ और उसके ट्रस्ट द्वारा संचालित मंदिरों में दर्शन करने आते हैं। कुछ वर्ष पहले तक इस ट्रस्ट का सालाना बजट 132 करोड़ रुपये तक का था। इस मंदिर में 200 से ज्यादा वैतनिक कर्मचारी हैं। ट्रस्ट की आमदनी का जरिया चढ़ावा और दान से जुटी रकम है। ट्रस्ट ने 10 करोड़ की लागत से एक राम मंदिर और प्रभास पाटन में उस जगह पर एक और मंदिर भी बनवाया है, जहां के बारे में मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण की एक शिकारी के तीर लगने से मृत्यु हो गई थी। ट्रस्ट ने एक संस्कृत विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए 55 लाख रुपये और एक पैलेस भी दान में दिए हैं। यही नहीं ट्रस्ट की ओर से बच्चों में कुपोषण दूर करने के लिए राज्य सरकार को भी मदद पहुंचाई जाती है।
सोमनाथ मंदिर का 'स्वर्णयुग' लौटा
श्री सोमनाथ को भारत के 12 आदि ज्योतिर्लिंगों में से भगवान शिव का पहला ज्योतिर्लिंग माना जाता है। प्राचीन इतिहास में यह मंदिर अपनी भव्यता के लिए जितना ही प्रसिद्ध माना जाता रहा है, मध्यकालीन इतिहास में इसपर तमाम मुस्लिम आतातायियों की बुरी नजर लग गई और 11वीं से लेकर 18वीं शताब्दी तक इसे लूटा-खसोटा जाता रहा और जब देश आजाद हुआ तो इसके अवशेष ही बच गए थे। लेकिन, सरदार पटेल की कोशिशों की वजह से यह मंदिर फिर से अपना मौजूदा स्वरूप पा सका है। संयोग है कि जब पीएम मोदी इसके नए चेयरमैन बने हैं तो इसके स्वर्णयुग की मानो फिर से शुरुआत हो रही है। मंदिर के 1,451 कलशों पर स्वर्ण कलश चढ़ाए जाने का काम शुरू हो चुका है। इसके लिए 551 लोगों ने स्वर्ण दान दिए हैं। मुंबई से एक शिव भक्त ने 130 किलो सोना दान में उपलब्ध करवाया है। कलश चढ़ाने का काम इसी साल पूरा होना है। जानकारी के मुताबिक यह प्रक्रिया इस तरह से पूरी की जा रही है कि इसकी सुंदरता में भी चार-चांद आए और साथ ही समुद्री जलवायु और मौसम की मार से भी इसे सुरक्षित रखा जा सके। वैसे मंदिर के अंदर के खंभों और दीवारों पर पहले से भी सोने की परतें चढ़ी हुई हैं।