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Religion: पूजा में क्यों पहनी जाती है कुश की पैंती?

By Pt Anuj K Shukla
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लखनऊ। बहुत सारी पेड़-पौधे इस पृथ्वी पर विद्यमान है किन्तु हमारे ऋषियों ने पूजन करते समय कुश घास की ही पैंती पहने का विधान रखा आखिर ऐसा क्यों ? । उष्मा एक प्रकार ऊर्जा है, जो दो वस्तुओं के बीच उनके तापान्तर के कारण एक वस्तु से दूसरी वस्तु में स्थानान्तरित होती है। स्थानान्तरण के समय ही उष्मा ऊर्जा कहलाती है। जिन पदार्थाे से होकर उष्मा का चालन सरलता से हो जाता है, उन्हें चालक कहते है। ऐसे पदार्थो की उष्मा चालकता अधिक होती है। जिन पदार्थो से उष्मा का चालन सरलता से नहीं होता है या बहुत कम होता है, उन्हें कुचालक कहते है।

Religion: पूजा में क्यों पहनी जाती है कुश की पैंती?

जब हम पूजन करते है तो मन्त्रों का उच्चारण करते है। मन्त्रों के उच्चारण से ध्वनि तरंगे निकलती है। ध्वनि तरंगों को अपने शरीर में ग्रहण करने के लिए हम अनामिका उॅगली में कुश की पैंती पहनते है ताकि मन्त्रों से निकलने वाली ऊर्जा हमारे शरीर में व्याप्त हो जाए।

Religion: पूजा में क्यों पहनी जाती है कुश की पैंती?

कुश की अंगुठी बनाकर अनामिका उंगली मे पहनने का विधान है, ताकि हाथ में संचित आध्यात्मिक शक्ति पुंज दूसरी उॅगलियों में न जाए, क्योंकि अनामिका के मूल में सूर्य का स्थान होने के कारण यह सूर्य की उॅगली है। इस उॅगली का दिल से भी सीधे जुड़ाव होता है। सूर्य से हमें जीवनी शक्ति, तेज और यश मिलता है। दूसरा कारण इस ऊर्जा को पृथ्वी में जाने से रोकता है। कर्मकांड के दौरान यदि भूल से हाथ जमीन पर लग जाए तो बीच में कुश का ही स्पर्श होगा। इसलिए कुश को हाथ में भी धारण किया जाता है। इसके पीछे मान्यता यह भी है कि हाथ की ऊर्जा की रक्षा न की जाए, तो इसका बुरा असर हमारे दिल और दिमाग पर पड़ता है।

ऋषियों ने पूजन कार्य के लिए एक ऐसी घास का चुनाव किया

शायद इसी कारण हमारे ऋषियों ने पूजन कार्य के लिए एक ऐसी घास का चुनाव किया जो उष्मा का सुचालक है। अतः जब हम पूजा करते समय मन्त्रों का उच्चारण करते है तो उससे निकलने वाली ऊर्जा कुश की पैंती के माध्यम से हमारे शरीर में प्रवेश करती है, जिससे हमारा शरीर स्वस्थ्य, सुन्दर व सकारात्मक ऊर्जा से परिपूर्ण होकर मन को शान्ति प्रदान करता है।

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English summary
No traditional Hindu Indian pooja ritual is complete without the use of Durva (Doob) and Kush grasses.
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