Vat Savitri Vrat 2023: वट सावित्री आज, जानिए पूजाविधि, महत्व और कथा
Vat Savitri Vrat 2023 date: ज्येष्ठ अमावस्या के दिन शनैश्चर जयंती भी मनाई जाती है, आज के दिन शनि देव की पूजा करने से सुख की प्राप्ति होती है।
Vat Savitri Vrat 2023: अखंड सौभाग्य का व्रत वट सावित्री आज है। यह व्रत सुहागिन महिलाएं अपने अखंड सुहाग की कामना से करती हैं। इस दिन सत्यवान सावित्री तथा यमराज की पूजा करने का विधान है। सावित्री ने इसी व्रत के प्रभाव से अपने मृत पति सत्यवान को धर्मराज के पाश से मुक्त करवाया था। परंपरा भेद से दक्षिण के राज्यों में वट सावित्री पूर्णिमा व्रत भी किया जाता है जो 3 जून 2023 को है।
वट सावित्री व्रत पूजा कैसे करें
इस व्रत में वट अर्थात् बरगद के वृक्ष की पूजा की जाती है। वट वृक्ष के नीचे सावित्री और सत्यवान तथा भैंसे पर सवार यम की मूर्तियां स्थापित करके उनकी पूजा की जाती है। वट वृक्ष की जड़ में पानी डालते हुए उसके चारों ओर कच्चा सूत लपेटते हुए तीन बार परिक्रमा की जाती है। जल, मौली, रोली, भिगोया हुआ चना, पुष्प तथा धूप से पूजा की जाती है। इसके बाद सत्यवान सावित्री की कथा सुनी जाती है। भीगे हुए चनों का बायना निकालकर उस पर यथाशक्ति रुपये रखकर अपनी सास या सास के समान किसी सुहागिन महिला को देकर उनका आशीर्वाद लें।
वट सावित्री व्रत कथा
भद्र देश के राजा अश्वपति को यज्ञ से एक पुत्री उत्पन्न हुई जिसका नाम सावित्री रखा गया। सावित्री रूपवान, गुणवान होने के बाद भी योग्य वर नहीं मिल रहा था। तब राजा ने उसे स्वयं ही अपने योग्य वर तलाशने भेजा। सावित्री तपोवन में पहुंची तो वहां साल्व देश के राजा द्युमत्सेन अपने पुत्र सत्यवान के साथ निवास कर रहे थे क्योंकि उनका राज्य किसी ने छीन लिया था। सावित्री को सत्यवान पसंद आ गया और उसने सत्यवान को पति के रूप में चुन लिया। इधर नारदजी को यह बात पता लगी तो उन्होंने राजा अश्वपति को कहा कि सत्यवान गुणवान प्रतापी है किंतु उसकी आयु अत्यंत कम है। यह सुनकर राजा चिंता में डूब गए और उन्होंने सावित्री को समझाने का प्रयास किया किंतु सावित्री सत्यवान को पति के रूप में वरण कर चुकी थी। सावित्री के हठ के आगे अश्वपति ने उसका विवाह सत्यवान से कर दिया। सावित्री को सत्यवान की मृत्यु का दिन नारदजी ने पहले ही बता दिया था इसलिए सावित्री ने तीन दिन पहले से व्रत प्रारंभ कर दिया था। हर दिन की तरह सत्यवान जंगल में लकड़ी काटने गया तो इस दिन सावित्री भी उसके साथ गई। तभी वहां यमराज आए और सत्यवान को अपने साथ ले जाने लगे। सावित्री भी उनके पीछे-पीछे चल पड़ी। सावित्री को यमराज ने समझाने का प्रयास किया किंतु वह नहीं मानी तो यमराज ने उसे वरदान मांगने को कहा, सावित्री ने एक-एक कर सास-ससुर की नेत्र ज्योति, फिर राज्य पुन: मिल जाने का निवेदन किया और अंत में अखंड सौभाग्य का वरदान मांग लिया। यमराज के तथास्तु कहते ही सत्यवान पुन:जीवित हो गया और वे अपने राज्य में सुख से रहने लगे।
वट सावित्री व्रत करने के लाभ
- यह व्रत सुहागिन महिलाएं करती हैं, इसके प्रभाव से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती हैं।
- व्रत के प्रभाव से स्त्री और उसका परिवार सुख-समृद्धि से जीवन बिताता है।
- व्रत के प्रभाव से दांपत्य जीवन सुखमय होता है। भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है।
- व्रत करने से समस्त रोगों, आपदाओं, कष्टों, आकस्मिक आने वाली पीड़ाओं से छुटकारा मिलता है।
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