क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

Sita Navami 2023: दशरथ दुलारी क्यों कहलाईं सीता? किस उम्र में हुआ था प्रभु राम से विवाह? जानिए रोचक तथ्य

Sita Navami 2023: वाल्मीकि रामायण के मुताबिक मां सीता जनकपुर में प्रकट हुई थीं, जो कि वर्तमान में बिहार के दरभंगा से 24 मील दूर नेपाल में स्थित है।

Google Oneindia News
 Sita Navami 2023

Sita Navami 2023: वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को सीता नवमी का पर्व मनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि ये दिन माता का प्राकट्य दिवस है। मां सीता करूणा, दया, सुंदरता, धैर्य, त्याग और प्रेम की मानक हैं। वो एक आदर्श चरित्र के रूप में हर किसी के मन-मस्तिष्क में अंकित हैं, जिनके सामने सिर खुद ब खुद श्रद्धा से झुक जाता है। वैसे तो महागुरु महर्षि वाल्मीकि ने 'रामायण' और महान लेखक गोस्वामी तुलसीदास की 'रामचरित मानस' में मां सीता के हर रूप को बहुत ही सुंदर रूप से वर्णित किया है लेकिन फिर भी दोनों ही ग्रंथों में सीता के किरदारों में कुछ फर्क दिखाई पड़ता है।

मां सीता का वर्णन 147 बार

तुलसीदास जी ने रामचरितमानस में मां सीता का वर्णन 147 बार किया है और साथ ही उन्होंने मां के स्वयंवर के बारे में भी लिखा है, उनके मुताबिक मार्गशीर्ष की पंचमी यानी कि विवाह पंचमी को राम-सीता परिणय सूत्र बंधन में बंधे थे।

विवाह के वक्त उम्र मात्र 6 साल

जबकि वाल्मीकि रामायण में स्वयंवर का जिक्र ही नहीं है और ना ही विवाह को लेकर वहां ज्यादा कुछ वर्णित है। ग्रंथ के मुताबिक राम-सीता का विवाह बाल्यावस्था में ही हो गया था और सीता जी विवाह के वक्त उम्र मात्र 6 साल की थीं।

...इसलिए जानकी पड़ा नाम

कहा जाता है कि मां जानकी ने शादी के बाद कभी भी अपने पिता के घर का रूख नहीं किया। वह राजा जनक की पुत्री थीं इसलिए उन्हें जानकी कहकर पुकारा गया।

पत्नी धर्म का पालन किया

पौराणिक कथाओं में वर्णन है कि वनवास जाते वक्त मां सीता मात्र 18 वर्ष की थीं और उनके पिता ने उन्हें वनवास जाने से रोका था औऱ कहा था कि वो उनके साथ जनकपुर चलें लेकिन जानकी जी ने जाने से मना कर दिया था क्योंकि उन्हें पत्नी धर्म का पालन करना था।

पुष्पक विमान का जिक्र

वाल्मीकि की रामायण में लिखा है कि रावण ने अपने सोने के रथ से ही सीता का हरण किया था लेकिन तुलसीदास ने सीता हरण प्रसंग में पुष्पक विमान का जिक्र किया है, जिससे गरुड़ टकराए थे।

मां को कभी भूख ही नहीं लगी

रामायण में लिखा है कि सीता ने लंका में अन्न-जल को हाथ नहीं लगाया था क्योंकि भगवान इंद्र ने अपनी माया से उन्हें हरण के बाद ऐसी खीर खिलाई थी, जिससे मां को कभी भूख ही नहीं लगी, हालांकि तुलसीदास ने ऐसा कुछ भी नहीं लिखा है।

मां सीता साक्षात लक्ष्मी का अवतार

राम अगर भगवान विष्णु के अवतार हैं तो मां सीता भी साक्षात लक्ष्मी का अवतार हैं। मां सीता का जन्म प्रभु राम के जन्म के पूरे एक महीने बाद मनाया जाता है। रामजी का जन्म चैत्र मास की नवमी यानी कि 'रामनवमी' को हुआ था जबकि मां सीता वैशाख माह की नवमी के प्रकट हुई थीं।

क्यों कहलाई सीता?

पौराणिक कथाओं के मुताबिक जब राजा जनक सन्तान-प्राप्ति की कामना से यज्ञ की भूमि तैयार करने के लिए हल से अपनी पत्नी संग भूमि जोत रहे थे। उसी समय उनका हल एक संदूक से टकाराया, उन्होंने उसे खोलकर देखा तो उसमें एक बहुत प्यारी सी सुंदर कन्या थी, जिसे गोद में लेकर जनक जी ने सीने से लगा लिया था। हल से जोती हुई भूमि को 'सीता 'कहा जाता है, अब चूंकि ये कन्या जोती हुई भूमि से ही प्राप्त हुई थी इसलिए ये सीता कहलाईं। भूमि से प्रकट हुई सीता अंत में भूमि में ही समा गई थीं।

यह पढ़ें: Sita Navami 2023: सीता नवमी पर करें जानकी स्तुति का पाठ, दूर होगा हर कष्टयह पढ़ें: Sita Navami 2023: सीता नवमी पर करें जानकी स्तुति का पाठ, दूर होगा हर कष्ट

Comments
English summary
Sita Navami is celebrated as birth anniversary of Goddess Sita. Sita Navami on 29th April. here is some know unknown facts about Maa Sita in hindi.
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X