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Pitru Paksha 2022: क्या है महादान? कब और क्यों करना चाहिए महादान?

By Gajendra Sharma
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नई दिल्ली, 12 सितंबर। हिंदू धर्म शास्त्रों में दान की बड़ी महत्ता बताई गई है। दान करने का अर्थ केवल भौतिक वस्तुओं का दान करना ही नहीं अपितु अपने अहंकार, क्रोध, मोह, काम को छोड़ना भी दान ही है। वस्तुत: दान करने से मनुष्य भौतिक जगह के पापों से मुक्त होकर पुण्य फल को प्राप्त होता है और मृत्यु के उपरांत दान कर्म के अनुसार सुखों को भोगता है। श्राद्ध पक्ष में पितरों के निमित्त महादान अवश्य करना चाहिए।

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हमारे धर्म शास्त्रों में महादान का विस्तृत वर्णन आया है। सामान्यरूप से दस विशिष्ट प्रकार के पदार्थो के दान को महादान कहा गया है। महादान देने से मनुष्य जीते-जी पृथ्वी पर सुखों को भोगता है और मृत्यु के उपरांत मोक्ष को प्राप्त होता है। महादान में दस वस्तुएं शामिल होती हैं जिनका दान करना सर्वश्रेष्ठ कहा गया है। ये हैं गाय, भूमि, तिल, सोना, घी, वस्त्र, धान्य, गुड़, चांदी तथा नमक। यह दान पितरों के निमित्त दिया जाता है।

अष्ट महादान

महादान की तरह अष्ट महादान भी बताया गया है। अष्ट महादान में आठ प्रकार की वस्तुओं का दान पितरों के निमित्त दिया जाता है। इनमें तिल, लोहा, सोना, कपास, नमक, सप्तधान्य, भूमि तथा गौ होते हैं।

सप्त धान्य

जौ, गेहूं, धान, तिल, टांगुन, सांवा तथा चना ये सप्त धान्य कहलाते हैं। मतांतर से जौ, धान, तिल, कंगनी, मूंग, चना तथा सांवा को भी सप्त धान्य कहा गया है।

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English summary
Pitru Paksha 2022 is going on, it will ends on Sunday, 25 September. read here importance of Mahadan.
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