Margashirsha Amavasya 2022: क्यों आज होती है पीपल की पूजा? क्या ये पितृदोष और कालसर्पदोष को करता है खत्म?
Margashirsha Amavasya 2022 (पीपल की पूजा): आज मार्गशीर्ष माह की अमावस्या है। माना जाता है कि अगर आप पितृदोष और कालसर्प दोष से ग्रसित हैं तो आज के दिन आपको पीपल के पेड़ की विशेष पूजा करनी चाहिए, जिससे आप दोषमुक्त तो होंगे ही साथ ही आपको सुख, शांति और वैभव की भी प्राप्ति होगी। आज के दिन हर किसी को पीपल के पेड़ की पूजा दो बार करनी चाहिए। पहली सूर्योदय से पहले और दूसरी सूर्यास्त के बाद, अगर आप सूर्योदय से पहले की पूजा नहीं कर पाए हैं तो सूर्यास्त के बाद की पूजा तो जरूर ही करें।
आज के दिन पीपल के पेड़ को जल और दूध अर्पित करें और इसके बाद कुमकुम, चंदन से उसका टीका करें। फिर घी का दीपक जलाकर पितरों से क्षमायाचना करें और सुख, शांति की कामना करें। इसके बाद पीपल के पेड़ की 11 परिक्रमा करें, आरती करें ,फिर प्रसाद लोगों को बांटें और पीपल की जड़ का थोड़ा सा जल लाकर अपने घर में छिड़कें और शुद्धिकरण करें।
परिक्रमा करते वक्त इन मंत्रों का जाप करें
- मूलतो ब्रह्मरूपाय मध्यतो विष्णुरूपिणे। अग्रत: शिवरूपाय वृक्षराजाय ते नम:।।
- आयु: प्रजां धनं धान्यं सौभाग्यं सर्वसम्पदम्। देहि देव महावृक्ष त्वामहं शरणं गत:।।
आपको बता दें कि पीपल को विष्णु का प्रतीक माना गया है, गीता में इस बात का जिक्र भी है। कहते हैं इस पेड़ पर श्रीहरि और मां लक्ष्मी का वास होता है इसलिए पीपल की पूजा करते हुए श्रीहरि-लक्ष्मी की आरती जरूर करनी चाहिए। शास्त्रों के अनुसार यदि पीपल के वृक्ष के नीचे बैठकर हनुमान चालीसा का पाठ करें तो इंसान को धन की प्राप्ति होती है और शनिदोष भी दूर होता है।
हनुमान चालीसा
दोहा
- श्रीगुरु चरन सरोज रज निजमनु मुकुरु सुधारि।
- बरनउँ रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल चारि।।
- बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार।
- बल बुधि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार।।
चालीसा
- जय हनुमान ज्ञान गुन सागर। जय कपीस तिहुं लोक उजागर।। रामदूत अतुलित बल धामा। अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा।।
- महावीर विक्रम बजरंगी। कुमति निवार सुमति के संगी।। कंचन वरन विराज सुवेसा। कानन कुण्डल कुंचित केसा।।
- हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै। काँधे मूँज जनेऊ साजै। शंकर सुवन केसरीनंदन। तेज प्रताप महा जग वन्दन।।
- विद्यावान गुणी अति चातुर।राम काज करिबे को आतुर।। प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया। राम लखन सीता मन बसिया।।
- सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा। विकट रूप धरि लंक जरावा।। भीम रूप धरि असुर संहारे। रामचंद्र के काज संवारे।।
- लाय सजीवन लखन जियाये। श्रीरघुबीर हरषि उर लाये।। रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई। तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई।।
- सहस बदन तुम्हरो जस गावैं। अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं।। सनकादिक ब्रह्मादि मुनीशा। नारद सारद सहित अहीसा।।
- जम कुबेर दिगपाल जहां ते। कवि कोविद कहि सके कहाँ ते।। तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा। राम मिलाय राज पद दीन्हा।।
- तुम्हरो मंत्र विभीषन माना। लंकेश्वर भये सब जग जाना।। जुग सहस्र योजन पर भानू। लील्यो ताहि मधुर फल जानू।।
- प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं। जलधि लांघि गये अचरज नाहीं।। दुर्गम काज जगत के जेते। सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।।
- राम दुआरे तुम रखवारे। होत न आज्ञा बिनु पैसारे।। सब सुख लहै तुम्हारी सरना। तुम रक्षक काहू को डरना।।
- आपन तेज सम्हारो आपै। तीनों लोक हांक तें कांपै।। भूत पिसाच निकट नहिं आवै। महाबीर जब नाम सुनावै।।
- नासै रोग हरै सब पीरा। जपत निरंतर हनुमत बीरा।। संकट तें हनुमान छुड़ावै। मन क्रम वचन ध्यान जो लावै।।
- सब पर राम तपस्वी राजा। तिनके काज सकल तुम साजा। और मनोरथ जो कोई लावै।सोई अमित जीवन फल पावै।।
- चारों युग परताप तुम्हारा। है परसिद्ध जगत उजियारा।। साधु-संत के तुम रखवारे। असुर निकंदन राम दुलारे।।
- अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता। अस वर दीन जानकी माता।। राम रसायन तुम्हरे पासा। सदा रहो रघुपति के दासा।।
- तुम्हरे भजन राम को भावै। जनम-जनम के दुख बिसरावै।। अन्त काल रघुबर पुर जाई। जहाँ जन्म हरि-भक्त कहाई।।
- और देवता चित्त न धरई। हनुमत सेई सर्व सुख करई।। संकट कटै मिटै सब पीरा। जो सुमिरै हनुमत बलबीरा।।
- जै जै जै हनुमान गोसाईं। कृपा करहु गुरुदेव की नाईं।। जो सत बार पाठ कर कोई। छूटहिं बंदि महा सुख होई।।
- जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा। होय सिद्धि साखी गौरीसा।। तुलसीदास सदा हरि चेरा। कीजै नाथ हृदय महँ डेरा।।
Margashirsha Amavasya 2022 Do-Donts: मार्गशीर्ष अमावस्या आज, जानिए क्या करें और क्या ना करें
दोहा
- पवनतनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।
- राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप।।