Mahashivratri 2022: शिव योग में पूजन से होगी हर मनोकामना पूरी
नई दिल्ली, 23 फरवरी। भूतभावन भगवान भोलेनाथ की आराधना का पर्व महाशिवरात्रि फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी, मंगलवार 1 मार्च को 2022 को आ रही है। इस दिन शिव का प्रिय शिव योग भी बन रहा है। इस योग की साक्षी में भगवान शिव का पूजन करने से पांच गुना फल प्राप्त होता है और समस्त मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।
पंचांग गणना के अनुसार महाशिवरात्रि पर धनिष्ठा नक्षत्र रात्रि 3.49 तक रहेगा, शिव योग प्रात: 11.17 से प्रारंभ होगा, चतुष्पद करण दोपहर 12.04 तक रहेगा। इस दिन सूर्य और चंद्र कुंभ राशि के रहेंगे तथा कुंभ राशि पर पर ही बृहस्पति होने के कारण त्रिग्रही योग भी बना है। तीन महत्वपूर्ण और प्रमुख ग्रहों का साथ होने के कारण इस विशिष्ट संयोग में शिवजी का पूजन विशेष फलदायी और प्रभावी रहेगा। धनिष्ठा नक्षत्र के साथ शिवयोग का आना पूजन, अनुष्ठान आदि कार्यो के लिए शुभ होता है। इस योग में पूजन, साधना, तंत्र साधना आदि करने से पांच गुना फल प्राप्त होता है। अत: जो साधक शिवजी से संबंधित कोई तंत्र अनुष्ठान, मंत्र जपादि करना चाहते हैं वे मध्यरात्रि में साधना करें।
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मध्यरात्रि में पूजन कर विशेष महत्व
महाशिवरात्रि का पूजन मध्यरात्रि में किया जाता है। 1 मार्च को मध्यरात्रि 12.29 बजे से 1.05 बजे तक रहेगी। उज्जैन के सूर्योदय के अनुसार प्रथम प्रहर का प्रारंभ सायंकाल सूर्यास्त 6.27 बजे से, द्वितीय प्रहर का प्रारंभ रात्रि 9.33 बजे, तृतीय प्रहर का प्रारंभ मध्यरात्रि 12.40 से तथा चतुर्थ प्रहर का प्रारंभ अपररात्रि 3.46 बजे से होगा। इसमें शिवजी का पूजन मध्यरात्रि 12.29 से 1.05 बजे तक किया जाना विशेष फलदायी रहेगा।
चतुर्ग्रही योग भी रहेगा
महाशिवरात्रि के दिन सूर्य, चंद्र, बृहस्पति के त्रिग्रही योग के साथ चतुर्ग्रही योग भी बना हुआ है। यह योग मंगल, बुध, शुक्र और शनि के संयुक्त रूप से मकर राशि में अवस्थित होने के कारण बना है। इस योग में भूमि, संपत्ति, बौद्धिक कार्य, भौतिक सुख-सुविधाओं की प्राप्ति, वाहनादि की प्राप्ति के अनुष्ठान सफल होते हैं।