Holashtak 2023: होलाष्टक आज से प्रारंभ, 8 दिन नहीं होंगे कोई मांगलिक कार्य
होलाष्टक के आठ दिनों में ग्रहों की उग्रता में अनेक तांत्रिक सिद्धियां प्राप्त करते हैं। इसलिए इस दौरान गर्भवती स्ति्रयों को विशेष तौर पर सतर्क रहने की सलाह दी जाती है।
Holashtak 2023: धर्म शास्त्रों में होलिका दहन से पूर्व के आठ दिन शुभ कार्यो में निंदित रहते हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार इन आठ दिनों में भक्त प्रहलाद को कड़ी यातनाएं दी गई थीं। इसके साथ ही इन आठ दिनों में ग्रह अपने उग्र स्वरूप में होते हैं इसलिए मनुष्य की निर्णय क्षमता कमजोर हो जाती है। कार्यो का शुभ फल मिलने की जगह विपरीत असर होता है। इसी कारण इस समय कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है।
किस दिन कौन-सा ग्रह उग्र
- 27 फरवरी अष्टमी- चंद्र
- 28 फरवरी नवमी- सूर्य
- 1 मार्च दशमी- शनि
- 2 मार्च एकादशी- शुक्र
- 3 मार्च द्वादशी- बृहस्पति
- 4 मार्च त्रयोदशी- बुध
- 5 मार्च चतुर्दशी- मंगल
- 6 मार्च पूर्णिमा- राहु-केतु उग्र
गर्भवती महिलाएं रखें विशेष सावधानी
होलाष्टक के आठ दिनों में ग्रहों की उग्रता में अनेक तांत्रिक सिद्धियां प्राप्त करते हैं। इसलिए इस दौरान गर्भवती स्ति्रयों को विशेष तौर पर सतर्क रहने की सलाह दी जाती है। इन्हें बाहर निकलने, नदी-नाले पार करने, यात्रा आदि करने से रोक दिया जाता है। फाल्गुन माह के इन अंतिम आठ दिनों में तंत्र-मंत्र की क्रियाएं अपने चरम पर होती हैं जो गर्भस्थ शिशु को हानि पहुंचा सकती है।
होलाष्टक का पौराणिक महत्व
होलाष्टक की कथा भगवान शिव और कामदेव से जुड़ी हुई है। पुराण कथा के अनुसार कामदेव ने भगवान शिव की तपस्या भंग कर दी थी। इससे क्रोधित होकर शिवजी ने कामदेव को भस्म कर दिया था। यह दिन फाल्गुन शुक्ल अष्टमी का था। अपने पति के भस्म हो जाने से दुखित रति ने भगवान शिव से कामदेव को पुनर्जीवित करने की याचना की। रति की आठ दिन की तपस्या के बाद भगवान शिव ने फाल्गुन पूर्णिमा के दिन कामदेव को जीवित कर दिया। कामदेव के जीवित होने के अवसर को सभी ने उत्सव के रूप में मनाया।
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