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जानिए भाद्रपद माह में क्यों नहीं खाया जाता है दही?

By Pt. Gajendra Sharma
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नई दिल्ली। हिंदू धर्म शास्त्रों में बताई गई तमाम बातें वैज्ञानिकता के धरातल पर खरी उतरती है। कोई माने या न माने लेकिन इनमें बताई गई प्रत्येक बात के पीछे कोई न कोई ठोस वैज्ञानिक तर्क अवश्य होता है। धर्म शास्त्रों की तरह ही भारत की प्रमुख रोगोपचार पद्धति आयुर्वेद में भी बताया गया है कि वर्ष भर पूर्ण स्वस्थ रहने के लिए किस महीने क्या खाना चाहिए और क्या नहीं। 4 अगस्त 2020 से 2 सितंबर 2020 तक भाद्रपद माह रहेगा। यह हिंदू पंचांग का छठा महीना होता है। इस माह में व्यक्ति को क्या खाना चाहिए और क्या नहीं, इस संबंध में अनेक बातें बताई गई है। इनमें सबसे प्रमुख है दही के सेवन को लेकर।

जानिए भाद्रपद माह में क्यों नहीं खाया जाता है दही?

आयुर्वेद कहता है भाद्रपद माह में मनुष्य को दही और इससे बनी वस्तुओं छाछ, लस्सी आदि का सेवन नहीं करना चाहिए। आयुर्वेद का तर्क है कि यह समय वर्षाकाल होता है, इसमें दही का सेवन करने से कफजनित रोग होने की आशंका अधिक रहती है। वहीं आयुर्वेद की इस बात से आधुनिक वैज्ञानिक भी सहमत हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि इन दिनों में दही में बैक्टीरिया की मात्रा बढ़ जाती है, जो आंतों को नुकसान पहुंचा सकते हैं। इनसे आंतें हमेशा के लिए कमजोर हो सकती हैं।

तिल का सेवन लाभदायक

भाद्रपद माह में तिल का सेवन करना सबसे अच्छा माना जाता है। तिल गर्म होता है और इसे खाने से शरीर में गर्मी पैदा होती है, जो बारिश के नम मौसम से शरीर की रोग प्रतिरोधक प्रणाली को बचाती है और उसे मजबूत करती है। आयुर्वेद कहता है भाद्रपद माह में तिल खाने से शरीर को मजबूती मिलती है और मौसमी रोगों से लड़ने की शक्ति प्राप्त होती है। भादौ माह में

भाद्रपद का धार्मिक महत्व

जिस प्रकार श्रावण माह भगवान शिव की पूजा-आराधना का माह होता है, उसी प्रकार भाद्रपद माह में भगवान श्रीगणेश और श्रीकृष्ण की पूजा फलदायी बताई गई है। भाद्रपद में जन्माष्टमी और श्रीगणेश स्थापना की जाती है। श्रीकृष्ण के मंत्रों का जाप भाद्रपद में सर्वसिद्धिदायक माना जाता है। जिन दंपतियों को विवाह के कई वर्ष बाद भी अब तक संतान प्राप्त नहीं हुई है, वे इस पूरे माह यदि श्रीकृष्ण के संतानगोपाल मंत्र का जाप करें तो उन्हें शीघ्र ही संतान सुख प्राप्त होता है। गणपति अथर्वशीर्ष का पाठ प्रतिदिन करने से समस्त सुखों की प्राप्ति होती है।

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English summary
As per Ayurveda in the month of Shravan and Bhadon, the digestive fire is weak and, therefore, any substance which can obstruct the digestive channels should be avoided and curd is one of them.
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