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क्या है चरणामृत का 'अर्थ', क्यों इसके बिना पूजा है अधूरी?

चरणामृत का मतलब होता है भगवान के चरणों का अमृत, जिसे कि हम पूजा के भोग लगाते समय पाते हैं।

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मुंबई। कोई भी हिंदू पूजा बिना चरणामृत के पूरी नहीं होती है। स्वाद में बेहद स्वादिष्ट चरणामृत के बारे में क्यों कहा जाता है कि ये ईश्वर की पूजा का अभिन्न हिस्सा है।

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क्या कभी आपने इसके पीछे का रहस्य जानने की कोशिश की, अगर नहीं तो चलिए हम आपको आज इस राज से रूबरू कराते हैं...

  • चरणामृत का मतलब होता है भगवान के चरणों का अमृत, जिसे कि हम पूजा के भोग लगाते समय पाते हैं।
  • पंचामृत का मतलब होता है पांच अमृत यानि पांच पवित्र वस्तुओं से मिलकर बना अमृत, जो कि पंच मेवा से ( पांच तरह के मेवा) से मिलकर बनता है।
  • चरणामृत का सेवन करने से इंसान में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
  • मान्यता है कि चरणामृत का सेवन करने से भगवान का आशीष सीधे तौर पर भक्त को मिल जाता है और उसके सारे कष्टों का निपटारा हो जाता है।
  • चरणामृत हमेशा दाएं हाथ से लेना चाहिए ताकि वो आपको स्थिर कर सके।
  • चरणामृत से हेल्थ को फायदा मिलता है, इसके पंच मेवा, दूध, दही, तुलसी, घी, शहद, शकरऔर गंगा जल इंसान को शारीरिक और मानसिक सुख देते हैं।
  • चरणामृत के दूध से मतलब इंसान को हमेशा विचारों से शुद्द होना चाहिए तो दही का मतलब सदगुण से होता है ,घी से मतलब स्नेह और शहद-शक्कर का मतलब मीठापन और शक्ति से होता है।
  • अगर उपरोक्त चीजें इंसान के अंदर है तो उसे कभी भी किसी भी रिलेशन में कोई तकलीफ नहीं होती है।
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English summary
The word Charnamrit means 'nectar from the feet of God'. It is made of two words, charan=feet & Amrit=mythological nectar from Gods, that makes one (the soul and not the body) live for ever.
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