2 जुलाई को भौमवती अमावस्या, जानिए इसका महत्व
नई दिल्ली। धर्म ग्रंथों के अनुसार मंगलवार को आने वाली अमावस्या को भौमवती अमावस्या कहा जाता है। भौमवती अमावस्या या आषाढ़ अमावस्या 2 जुलाई को आ रही है। इस दिन मंगलवार होने के कारण भौमवती अमावस्या का योग बना है। मान्यता है कि भौमवती अमावस्या के दिन पितरों के निमित्त पिंडदान और तर्पण करने से पितृ प्रसन्न् होते हैं और परिजनों को शुभाशीष देते हैं। इस दिन जन्मकुंडली में मौजूद पितृदोष, कालसर्प दोष, नाग दोष आदि की शांति के उपाय भी किए जाते हैं।
2 जुलाई को भौमवती अमावस्या
भौमवती अमावस्या के दिन स्नान, दान का विशेष महत्व होता है। इस दिन दान करने का सर्वश्रेष्ठ फल प्राप्त होता है। देव ऋ षि व्यास के अनुसार इस तिथि में पवित्र नदियों में स्नान करके उचित और योग्य व्यक्ति को दान देने से एक हजार गाय दान करने के समान पुण्य फल प्राप्त होता है। इस दिन पीपल की परिक्रमा कर, पीपल के पेड़ और भगवान विष्णु का पूजन करने से धन-समृद्धि में वृद्धि होती है। इस दिन हरिद्वार, प्रयागराज, उज्जैन आदि जगहों पर स्नान करने के साथ ही कुरुक्षेत्र के ब्रह्मा सरोवर में डुबकी लगाने का भी बहुत अधिक पुण्य माना गया है।
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भौमवती अमावस्या का महत्व
अमावस्या तिथि प्रत्येक चंद्र मास में आती है। अमावस्या को पर्व तिथि माना गया है। इसीलिए पवित्र नदियों, सरोवरों के तट पर इस दिन मेला सा लगता है। भौमवती अमावस्या के दिन विशेष रूप से पितरों की शांति के निमित्त कर्म किए जाते हैं। शास्त्रों में अमावस्या तिथि का स्वामी पितृदेव को माना जाता है। इसलिए इस दिन पितरों की तृप्ति के लिए तर्पण, दान-पुण्य का महत्व है। जब अमावस्या के दिन सोमवार, मंगलवार और गुरुवार के साथ जब अनुराधा, विशाखा और स्वाति नक्षत्र का योग बनता है, तो यह बहुत पवित्र योग माना गया है। इसी तरह शनिवार और चतुर्दशी का योग भी विशेष फल देने वाला माना जाता है।
क्या करें पितरों की शांति के लिए
- किसी योग्य पंडित से सलाह लेकर उनकी सहायता से किसी पवित्र नदी के किनारे पितरों के निमित्त तर्पण, पिंडदान आदि जरूर करवाएं।
- यदि किसी कारणवश या भूलवश पितरों का उत्तर कार्य ठीक से नहीं हो पाया हो या उसमें कोई त्रुटि रह गई हो तो भौमवती अमावस्या के लिए पिंडदान आदि करने से त्रुटि दोष दूर हो जाता है।
- अमावस्या के दिन पितरों के निमित्त गरीबों, जरूरतमंदों को उनकी जरूरत की वस्तुएं दान करने, भोजन करवाने से पितृ प्रसन्न् होते हैं।
- इस दिन गाय, कुत्ते, कौवे, भिखारी, कोढ़ी आदि को भोजन करवाना चाहिए।
- जन्म कुंडली में पितृदोष हो तो उपरोक्त कर्म करने से पितृदोष की शंाति होती है।
- अमावस्या के दिन भगवान शिव का पंचामृत से अभिषेक करने से सुख-समृद्धि, आयु और आरोग्य प्राप्त होता है।
- इस दिन शनि की साढ़ेसाती की शांति के लिए शनि के मंत्रों का जाप करना चाहिए।
- अमावस्या प्रारंभ 1 जुलाई को मध्यरात्रि बाद 3.05 बजे से
- अमावस्या समाप्त 2 जुलाई को मध्यरात्रि में 00.46 बजे तक
अमावस्या तिथि कब से कब तक
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