Apara Ekadashi 2023: अपरा एकादशी आज, जानिए पूजा विधि और कथा
Apara Ekadashi 2023: एकादशी की पूजा करने से मनुष्य समस्त सुख-वैभव, सम्मान का भोग करता है और मृत्यु पश्चात हरिधाम को चला जाता है।
Apara Ekadashi 2023 : आज अपरा एकादशी है। इसे अचला एकादशी भी कहा जाता है। इस एकादशी का व्रत रखकर भगवान श्रीहरि का पूजन करने से अपार पुण्यफल की प्राप्ति होती है इसलिए इसका अपरा एकादशी नाम विख्यात हुआ। अपरा एकादशी के दिन खरबूजा या ककड़ी का नैवेद्य भगवान विष्णु को लगाकर उसी को फलाहार के रूप में ग्रहण किया जाता है। अपरा एकादशी का व्रत जो मनुष्य रखता है, उसके अनजाने में किए गए समस्त पापों का क्षय हो जाता है। यह एकादशी भाग्योदय करके अपार धन-संपत्ति प्रदान करती है। अपरा एकादशी का व्रत करने, इसकी कथा सुनने या पढ़ने से मनुष्य को समस्त भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है।
अपरा एकादशी व्रत की विधि
अपरा एकादशी के दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नानादि से निवृत्त होकर व्रत का संकल्प लें और पूरे दिन निराहार रहें। भगवान विष्णु की पूजा में तुलसीदल, पुष्प, चंदन, धूप-दीप का प्रयोग करें। मखाने की खीर बनाएं और भोग के रूप में विष्णु भगवान को अर्पित करें। पूजा के बाद खीर का प्रसाद बांट दें। अगले दिन द्वादशी को व्रत का पारण करें।
अपरा एकादशी व्रत की कथा
प्राचीन काल में महीध्वज नामक एक धर्मात्मा राजा राज करता था। राजा का छोटा भाई वज्रध्वज उससे द्वेष रखता था। एक दिन मौका पाकर उसने महीध्वज की हत्या कर दी और एक पीपल के पेड़ के नीचे शव को गाड़ दिया। अकाल मृत्यु होने के कारण राजा की आत्मा प्रेत बनकर पीपल के पेड़ पर रहने लगी। वह आत्मा उस मार्ग से गुजरने वाले प्रत्येक व्यक्ति को परेशान करती थी। एक दिन एक ऋषि उस रास्ते से गुजर रहे थे। प्रेत आत्मा उन्हें भी परेशान करने के उद्देश्य से पेड़ से नीचे उतरकर आई। ऋषि ने अपने तपोबल से उसके प्रेत बनने का कारण जान लिया। ऋषि ने प्रेतात्मा को प्रेत योनी से मुक्ति दिलाने के लिए स्वयं अपरा एकादशी का व्रत रखा। द्वादशी के दिन व्रत पूरा होने पर व्रत का पुण्य प्रेत को दे दिया। एकादशी व्रत का पुण्य प्राप्त करके राजा प्रेतयोनी से मुक्त हो गया और स्वर्ग चला गया।
एकादशी तिथि का समय
- एकादशी तिथि प्रारंभ 15 मई रात्रि 2:46 बजे
- एकादशी तिथि पूर्ण 16 मई रात्रि 1:03 बजे
- व्रत का पारण 16 मई को प्रात: 6:41 से 8:25
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