ओलंपिक की तरह ही पैरालंपिक गेम्स में भी हरियाणा के खिलाड़ियों का दबदबा, कुल 25 में से 11 यहां से
चंडीगढ़। टोक्यो ओलिंपिक 2021 की तरह पैरालिंपिक गेम्स में भी हरियाणा के खिलाडिय़ों का दबदबा है। इस बार, पैरालिंपिक में शामिल हो रहे 44% एथलीट हरियाणा से हैं। बता दें कि पैरालिंपिक गेम्स के लिए जारी 25 पैरा एथलीटों में सर्वाधिक 11 खिलाड़ी हरियाणा से हैं। दूसरे नंबर पर दिल्ली है, जहां के चार एथलीटों का नाम इस सूची में शामिल है। राजस्थान के 3, उत्तर प्रदेश के दो, महाराष्ट्र के दो और मेघालय, दिल्ली और हिमाचल के एक-एक खिलाडिय़ों के नाम सूची में दर्ज हैं। टोक्यों ओलंपिक में भी सबसे ज्यादा खिलाड़ी हरियाणा से हैं। पदक लाने की उम्मीद भी प्रबल है।
ये
हैं
हरियाणा
के
पैरालिंपिक
खिलाड़ी
सुमित,
भाला
फेंक
नवदीप,
भाला
फेंक
रंजीत
भाटी,
भाला
फेंक
टेक
चंद,
भाला
फेंक
अमित,
क्लब
थ्रो
धर्मबीर,
क्लब
थ्रो
एकता
भ्याण,
क्लब
थ्रो
विनोद
कुमार,
डिस्कस
थ्रो
योगेश
कथूरिया,
डिस्कस
थ्रो
रामपाल,
ऊंची
कूद
अरविंद,
शॉट
पुट
।
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पैरालंपिक
में
हुआ
बहादुरगढ़
के
डिस्कस
थ्रोअर
योगेश
का
चयन
टोक्यो
में
होने
वाले
पैरालंपिक
गेम्स
के
लिए
बहादुरगढ़
की
राधा
कालोनी
निवासी
डिस्कस
थ्रोअर
(श्रेणी
एफ-56)
योगेश
कथूरिया
का
चयन
हुआ
है।
वे
22
अगस्त
को
पैरा
ओलिंपिक
गेम्स
में
भाग
लेने
के
लिए
रवाना
होंगे।
दिल्ली
के
जवाहर
लाल
नेहरू
स्टेडियम
में
पिछले
दिनों
हुई
ट्रायल
में
योगेश
ने
45.58
मीटर
दूर
चक्का
फेंककर
प्रथम
स्थान
हासिल
किया
था,
जिसकी
वजह
से
उनका
चयन
टोक्यो
में
होने
वाले
पैरा
ओलिंपिक
गेम्स
के
लिए
हुआ
है।
टोक्यो
पैरा
ओलिंपिक
में
देश
के
25
पैरा
एथलीट
भाग
लेंगे,
जिनमें
योगेश
भी
शामिल
है।
पैरा
एथलीटों
का
कैंप
दिल्ली
के
जवाहर
लाल
नेहरू
स्टेडियम
में
चल
रहा
है
लेकिन
पिता
रिटायर्ड
आनरेरी
कैप्टन
ज्ञानचंद
की
बीमारी
के
कारण
योगेश
फिलहाल
बहादुरगढ़
में
रहकर
ही
अभ्यास
कर
रहा
है।
यहां
पर
कोई
मैदान
न
होने
की
वजह
से
योगेश
कथूरिया
रोहतक-दिल्ली
बाईपास
के
साथ
लगते
खेतों
में
अभ्यास
कर
रहा
है।
योगेश
बताते
हैं
कि
बहादुरगढ़
में
दो
स्टेडियम
हैं,
मगर
यहां
पर
उनके
गेम्स
से
संबंधित
साधन
नहीं
हैं।
ऐसे
में
अभ्यास
के
दौरान
चक्का
किसी
को
भी
लग
सकता
है,
जिससे
कोई
दुर्घटना
हो
सकती
है।
इसलिए
वे
खेतों
में
जाकर
अभ्यास
करते
हैं।
टिकट
के
लिए
नहीं
थे
पैसे,
दोस्त
ने
की
मदद
तो
पेरिस
में
जीता
स्वर्ण
पदक
वर्ष
1997
में
जन्मे
योगेश
कथूरिया
ने
बताया
कि
वर्ष
2006
में
उसके
हाथ
व
पैर
पैरालाइज
हो
गए
थे।
कुछ
समय
बाद
हाथ
कुछ
ठीक
हो
गए।
वर्ष
2017
में
जब
वह
दिल्ली
यूनिवर्सिटी
में
पढ़ाई
करता
था,
उस
दौरान
उनके
दोस्त
सचिन
यादव
ने
गेम्स
में
भाग
लेने
के
लिए
उसे
प्रोत्साहित
किया।
योगेश
ने
बताया
कि
जब
वह
मैदान
में
गेम्स
खेलने
के
लिए
जाने
लगा
तो
डिस्कस
थ्रो
में
मुझे
स्कोप
दिखाई
दिया।
बाद
में
मां
मीना
देवी
व
पिता
ज्ञानचंद
ने
कहा
कि
जो
भी
करो,
मन
से
करो
सफलता
जरूर
मिलेगी।
उसके
बाद
वह
कड़ी
मेहनत
करने
लगा।
बहादुरगढ़
में
होशियार
ङ्क्षसह
स्टेडियम
में
दिन
ज्यादा
बच्चे
रहते
थे
तो
सुबह
उनके
आने
से
पहले
और
रात
को
बच्चे
जाने
के
बाद
अभ्यास
करता
था।
एक
वक्त
ऐसा
आया
कि
पेरिस
में
मुझे
ओपन
ग्रेंडप्रिक्स
प्रतियोगिता
में
भाग
लेने
जाना
था।
टिकट
व
अन्य
खर्च
के
लिए
86
हजार
रुपये
चाहिए
थे।
घर
में
रुपयों
की
तंगी
थी।
ऐसे
में
एक
दोस्त
ने
उसकी
मदद
की
तो
उसने
न
केवल
प्रतियोगिता
में
भाग
लिया
बल्कि
स्वर्ण
पदक
भी
हासिल
किया।
ये
हैं
योगेश
की
उपलब्धि:
-
2018
में
पंचकूला
में
हुई
राष्ट्रीय
प्रतियोगिता
में
डिस्कस
थ्रो
में
स्वर्ण
पदक
-
2018
में
बर्लिन
में
हुई
ओपन
ग्रेंडप्रिक्स
में
डिस्कस
थ्रो
में
स्वर्ण
पदक
-
2018
में
इंडोनेशिया
में
हुए
एशियन
पैरा
गेम्स
चौथा
स्थान
-
2019
में
फरीदाबाद
में
हुई
राज्य
स्तरीय
प्रतियोगिता
में
स्वर्ण
पदक
-
2019
में
पेरिस
में
हुई
ओपन
ग्रेंडप्रिक्स
डिस्कस
थ्रो
में
स्वर्ण
पदक
-
2019
में
दुबई
में
हुई
वल्र्ड
चैंपियनशिप
में
कांस्य
पदक
-
2021
में
बेंगलुरू
में
हुई
राष्ट्रीय
प्रतियोगिता
के
डिस्कस
थ्रो
में
स्वर्ण
पदक