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BBC Documentary: भारत की चीन समर्थक लॉबी का टूलकिट

BBC Documentary, जिस आरोप से खुद सुप्रीमकोर्ट ने दो-दो बार नरेंद्र मोदी और गुजरात प्रशासन को बरी किया है, बीबीसी की डाक्यूमेंट्री उन्हीं आरोपों को दोहरा रही है। कायदे से याचिका रद्द कर दी जानी चाहिए थी।

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BBC Documentary Toolkit of Indias pro-China lobby

BBC Documentary:भारत में हिन्दुओं और मुसलमानों को एक दूसरे के खिलाफ करके देश में फसाद करवाने के प्रयास एक बार फिर शुरू हो गए हैं।इस बार पर्दे के पीछे से वह चीन भी भारत के मुसलमानों को उकसाने का काम कर रहा है, जिसने खुद ने चीनी मुसलमानों को गुलामों जैसी जिन्दगी जीने को मजबूर किया हुआ है। यह बात अब काफी हद तक सामने आ चुकी है कि भारतीय मुसलमानों को हिन्दुओं के खिलाफ भड़काने के लिए बनाई गई बीबीसी की डाक्यूमेंट्री के पीछे भी चीन की कुछ कंपनियों का हाथ है।

बीबीसी की इस डाक्यूमेंट्री में नरेंद्र मोदी पर आरोप लगाया गया है कि जब वह गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तो उन्होंने हिन्दुओं को मुसलमानों का कत्ल करने की खुली छूट दे दी थी।सांसद महेश जेठमलानी इस डाक्यूमेंट्री को बनवाने के पीछे चीन के हाथ होने संबंधी काफी खोजपूर्ण खुलासे कर रहे हैं।भारत में चीन का समर्थन करने वाली कम्यूनिस्ट पार्टियां जिस तरह बीबीसी की डाक्यूमेंट्री के पक्ष में आ कर खडी हुई हैं, उससे भी साबित होता है कि यह चीन, बीबीसी और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टियों का मिलाजुला खेल है।

BBC Documentary Toolkit of Indias pro-China lobby

डाक्यूमेंट्री को सोशल मीडिया पर बैन करने के खिलाफ जो लोग सुप्रीमकोर्ट में गए हैं, उनमें से कम से कम एक की बेकग्राउंड भी चीन और कम्यूनिस्ट पार्टियों से जुड़ाव की है।द हिन्दू अखबार, जो हमेशा वामपंथी दलों के साथ और भाजपा के खिलाफ रहा है, उसके पूर्व संपादक एन. राम उन तीन लोगों में से एक हैं, जो सुप्रीमकोर्ट गए हैं। एन. राम अब तक दर्जनों बार चीन जा चुके हैं, वह किसी भी अन्य देश में इतनी बार नहीं गए, जितनी बार चीन गए हैं।भारत का कोई अन्य पत्रकार इतनी बार चीन नहीं गया, जितनी बार एन. राम गए हैं।

दूसरी याचिकाकर्ता तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा हैं, जो संसद में मोदी सरकार के खिलाफ भाषण देने के लिए जानी जाती हैं।तीसरे याचिकाकर्ता वही प्रशांत भूषण हैं, जिन्होंने कश्मीर पर पाकिस्तान समर्थक बयान दिया था, जिस कारण केजरीवाल ने उन्हें आम आदमी पार्टी से निकाल दिया गया था।

हैरानी यह है कि सुप्रीमकोर्ट ने तथाकथित मौलिक अधिकारों के हनन वाली इस याचिका को स्वीकार कर लिया है, हालांकि पहली बात तो यह है कि बीबीसी के भारत में क्या मौलिक अधिकार हैं, और दूसरी बात यह कि जिस आरोप से खुद सुप्रीमकोर्ट ने दो-दो बार नरेंद्र मोदी और गुजरात प्रशासन को बरी किया है, यह डाक्यूमेंट्री उन्हीं आरोपों को दोहरा रही है।कायदे से याचिका रद्द कर दी जानी चाहिए थी, लेकिन सुप्रीमकोर्ट ने भी कोलेजियम के मुद्दे पर सरकार से चल रहे टकराव के चलते पूर्वाग्रह से काम किया और याचिका को स्वीकार कर लिया।

हालांकि अच्छी बात यह हुई है कि सुप्रीमकोर्ट ने तुरंत बैन हटाने से इनकार कर दिया है, नहीं तो सुप्रीमकोर्ट की ही हंसी उड़ती।क्योंकि यह डाक्यूमेंट्री उसी के फैसले के खिलाफ है।एन. राम की रहनुमाई वाली चीन की लॉबी यह समझ कर सुप्रीमकोर्ट गई थी कि मोदी सरकार से टकराव के चलते सुप्रीमकोर्ट अभिव्यक्ति की आज़ादी के नाम पर बैन तुरंत हटा देगी।लेकिन बैन नहीं हटने से चीन समर्थक लॉबी को गहरा धक्का लगा है। सुप्रीमकोर्ट ने सरकार को तीन हफ्ते में नोटिस का जवाब देने को कहा है और यह भी कहा है कि अगली सुनवाई अप्रेल में होगी।

सुप्रीम कोर्ट में एक दूसरी याचिका भी है, यह याचिका हिन्दू सेना ने दाखिल की है, जिसमें भारत में बीबीसी को बैन करने की मांग की गई है, क्योंकि उसकी सारी रिपोर्टें हिन्दू विरोधी होती हैं।हिंदू सेना के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने मांग की थी कि उनकी इस याचिका को मुख्य मामले के साथ टैग कर दिया जाए। इस तरह चीन की लॉबी के सामने हिन्दू लॉबी खड़ी हो जाती, लेकिन चीफ जस्टिस ने कहा कि उस मामले में पीठ के आदेश का इंतजार करिए।सुप्रीमकोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई के लिए दस फरवरी तय की हुई है, अब लगता है कि 10 फरवरी को यह याचिका उस याचिका के साथ टैग हो जाएगी और फिर दोनों पक्ष आमने सामने खड़े होंगे।एक बैन हटवाने वाली चीन लॉबी और दूसरी बीबीसी पर भारत में बैन की मांग करने वाली हिन्दू लॉबी।

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याचिकाकर्ता विष्णु गुप्ता ने इसे सिर्फ मोदी या हिन्दू नहीं, बल्कि भारत की अस्मिता का सवाल बताया है। उन्होंने याचिका में कहा है कि यह डाक्यूमेंट्री भारत के सामाजिक ताने-बाने को नष्ट करने के लिए बनाई गई है। इसके पीछे किन किन ताकतों का हाथ है, इसकी एनआईए से जांच करवाई जाए।खैर इस खेल के सबूत कभी सामने आएँगे या नहीं, यह तो नहीं कहा जा सकता, लेकिन चीन, बीबीसी, भारतीय कम्युनिस्टों और कांग्रेसियों का मकसद पूरा हो चुका है।

कम्युनिस्ट पार्टियों के छात्र संगठनों ने देशभर के विश्वविद्यालयों में डाक्यूमेंट्री को दिखा कर मुसलमानों को हिन्दुओं के खिलाफ भड़काने का काम कर दिया है।बीबीसी की इस डाक्यूमेंट्री को हिन्दुओं के खिलाफ इसलिए कहा जा रहा है, क्योंकि बीबीसी की डाक्यूमेंट्री का मकसद भाजपा के खिलाफ वातावरण बनाना है, जिसे वह हमेशा हिंदूवादी दक्षिणपंथी पार्टी लिखता और बोलता रहा है।

चीन लॉबी ने कोर्ट में जो याचिका लगाई है, उसका एक अन्य पहलू भी सुनवाई के समय सामने आया।जिसने साबित किया कि देश भर की यूनिवर्सिटियों में डाक्यूमेंट्री दिखाया जाना भी चीन की साजिश का ही हिस्सा था।सुनवाई के दौरान एन. राम के वकील ने कहा कि डॉक्यूमेंट्री को लेकर यूनिवर्सिटी में छात्रों को प्रताड़ित किया जा रहा है, उन्हें यूनिवर्सिटी से निकालने तक की धमकी दी जा रही है।

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इससे यह भी साबित होता है कि यूनिवर्सिटियों में डाक्यूमेंट्री दिखाया जाना कम्युनिस्ट छात्र संगठनों का पहले से तय टूलकिट का हिस्सा था।उन्हें उम्मीद नहीं थी कि यूनिवर्सिटिज सख्त कार्रवाई करेंगी।लेकिन कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई से ही इनकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि वह इस विषय पर सुनवाई नही करेंगी, वह सिर्फ प्रतिबंध की कानूनी वैधता पर सुनवाई करेगी।इस तरह चीन की लॉबी को डबल झटका लगा है।

(इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं। लेख में प्रस्तुत किसी भी विचार एवं जानकारी के प्रति Oneindia उत्तरदायी नहीं है।)

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