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Bengal Election 2021:चुनाव आयोग के एक फैसले से TMC की नींद उड़ी, खत लिखकर की ये मांग

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कोलकाता: मतदान केंद्रों पर उम्मीदवारों की ओर से पोलिंग एजेंटों की नियुक्ति को लेकर चुनाव आयोग के हालिया फैसले से सत्ताधारी टीएमसी की नींद उड़ गई है। पार्टी ने आरोप लगाया है कि चुनाव आयोग ने यह कदम बीजेपी की मदद करने के लिए उठाया है। पार्टी ने पोल पैनल को चिट्ठी लिखकर पुराने नियम को ही फिर से लागू करने की मांग की है। अपने खत के जरिए पार्टी ने सीधे तौर पर आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठा दिया है। शनिवार को इस संबंध में पार्टी का एक प्रतिनिधिमंड आयोग के पास जाकर भी शिकायत कर आया है। गौरतलब है कि पिछले हफ्ते ही आयोग ने पोलिंग एजेंटों से संबिधत नियमों में राजनीतिक दलों की मांग के मद्देनजर रियायत दी है।

पोलिंग एजेंट पर चुनाव आयोग के निर्देश से टीएमसी की नींद उड़ी

पोलिंग एजेंट पर चुनाव आयोग के निर्देश से टीएमसी की नींद उड़ी

चुनाव आयोग के मार्च, 2009 के नियम के मुताबिक अगर उम्मीदवार किसी बूथ पर अपना कोई पोलिंग एजेंट नियुक्त करता है तो उसका उसी बूथ से या फिर उसी विधानसभा क्षेत्र के पड़ोस के किसी मतदान केंद्र से वोटर होना जरूरी है। लेकिन, पिछले हफ्ते ही कोविड की वजह से मतदान केंद्रों की बढ़ी हुई संख्या के मद्देनजर राजनीतिक पार्टियों की ओर से मांग को देखते हुए आयोग ने इस नियम में कुछ संशोधन किया था, जिसके तहत उस विधानसभा क्षेत्र के किसी भी बूथ के वोटर को किसी भी बूथ पर पोलिंग एजेंट नियुक्त करने का प्रावधान किया गया है। लेकिन, अब टीएमसी ने आरोप लगाया है कि चुनाव आयोग का नया निर्देश 'गलत इरादे से भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवारों को फायदा पहुंचाने के लिए' जारी किया गया है। इन आरोपों के साथ ही पार्टी ने चुनाव आयोग से अपने निर्देशों को वापस लेने और पुराने नियम को ही बहाल करने के लिए कहा है।

टीएमसी ने चुनाव आयोग पर पक्षपात का आरोप लगाया

टीएमसी ने चुनाव आयोग पर पक्षपात का आरोप लगाया

दरअसल, सत्ताधारी पार्टी ने 26 मार्च को चुनाव आयोग को लिखे खत में कहा है, जिसे कि उसने रविवार को जारी किया है, 'इसका कारण प्राप्त जानकारियों और उम्मीदवारों की सुविधाओं को देखते हुए बताया गया है। ऐसे तर्क ना केवल अस्पष्ट हैं, बल्कि ये हमें इस निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए मजबूर करता है कि इसे कुछ राजनीतिक पार्टियों, जैसे कि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की मदद करने के लिए लागू किया गया है, क्योंकि उनके पास पर्याप्त पोलिंग एजेंट जुटाने की क्षमता नहीं है।' इतना ही नहीं मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पार्टी ने चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर भी सीधे-सीधे उंगली उठा दी है। खत में लिखा गया है, 'चुनाव की निश्चित तारीख से ठीक पहले भारतीय चुनाव आयोग की ओर से जारी ऐसे निर्देश, जबकि पश्चिम बंगाल में चुनाव होने वाले हैं, मनमाना, प्रेरित होकर और पक्षपातपूर्ण है।'

चुनाव आयोग ने क्यों बदले नियम ?

चुनाव आयोग ने क्यों बदले नियम ?

बता दें कि 26 मार्च को चुनाव आयोग को उसके निर्देशों को वापस लेने की मांग वाली चिट्ठी लिखने के बाद पहले चरण के चुनाव के दिन यानी शनिवार पार्टी सांसद सुदीप बंदोपाध्याय की अगुवाई में एक प्रतिनिधिमंडल कोलकाता में इस संबंध में मुख्य निर्वाचन अधिकारी आरिज आफताब से भी मिला है और यह मुद्दा उठाया है। बता दें कि कोविड प्रोटोकॉल के पालन के लिए चुनाव आयोग को पोलिंग बूथों में भारी इजाफा करना पड़ा है। मसलन, 2019 के लोकसभा चुनाव में राज्य में जहां सिर्फ 78,903 मतदान केंद्र थे, वहीं इस चुनाव में कुल 1,01,790 बूथ बनाने पड़े हैं। ऐसे में राजनीतिक दलों की शिकायत थी कि उन्हें हर बूथ पर उसी बूथ का पोलिंग एजेंट बनाने में दिक्कत हो रही है। राज्य में कुल 294 सीटों के लिए 8 चरणों में चुनाव हो रहे हैं और अभी 7 चरण के चुनाव बाकी हैं। वोटों की गिनती 2 मई को होगी।

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English summary
Bengal Election 2021:TMC upset over decision to make voter of any booth polling agent, accuses Election Commission of favoring BJP
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