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सोपोर आतंकी हमले में वाराणसी के जवान पवन ने बचाई थी मासूम बच्चे की जान, जानिए क्या बोली पत्नी शुभांगी

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वाराणसी। जम्मू-कश्मीर के सोपोर में हुए आतंकी हमले के बीच एक ऐसी तस्वीर सोशल मीडिया पर सामने आई थी, जिसने सबके दिल को छू लिया है। दरअसल, सीआरपीएफ (CRPF) के जवान पवन कुमार चौबे आतंकियों की गोलीबारी के बीच एक मासूम बच्चे की जान बचाते है। वो बच्चे को गोदी में उठाकर उसे सुरक्षित स्थान पर ले जा रहा है। पवन कुमार चौबे की ये तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद वाराणसी ही नहीं, बल्कि देशभर में उनकी बहादुरी और मानवता की प्रशंसा हो रही है। आइए जानते है सीआरपीएफ जवान पवन कुमार चौबे के बारे में....

वाराणसी के रहने वाले है जवान पवन चौबे

वाराणसी के रहने वाले है जवान पवन चौबे

पवन कुमार चौबे, उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले के गोल धमकवा गांव के रहने वाले हैं। पवन के पिता सुभाष चौबे पेशे से किसान है। पवन तीन भाई-बहनों में सबसे छोटे हैं। बड़ा भाई अजय कुमार चौबे मुंबई में कारपेट कम्पनी में कार्यरत हैं। दूसरे नंबर पर बहन रंजना की शादी प्रयागराज के पास हुई है। पवन के पिता सुभाष बताते हैं कि बेटे के बड़े ससुर पुलिस फोर्स में हैं। वह बेटे को हमेशा सेना में जाने के लिए प्रेरित करते थे। बताया कि दोपहर में फोन आया था। फोन पर पवन ने सोपोर आतंकी हमले के दौरान जो घटना घटी उसके बारे में बताया।

पिता सुभाष चौबे को है गर्व

पिता सुभाष चौबे को है गर्व

पवन के पिता सुभाष चौबे ने मीडिया से बातचीत में बताया कि फोन पर पवन ने उन्हें बताया कि आतंकी हमले के दौरान एक साल का बच्चा फंस गया था। उन्होंने जब उसे उठाया तो वह मेरे सीने से चिपक गया। पवन कुछ क्षणों तक बच्चे को सीने से नहीं हटा सके। बाद में पास में खड़े एसओजी के जवानों को उसे सौंपा और घायल जवानों को अस्पताल पहुंचाने में जुट गए। सुभाष चौबे ने बताया कि उन्हें अपने बेटे के ऊपर गर्व है। पवन की प्रशंसा सुन रहा हूं तो सीना गर्व से चौड़ा हो गया है। उन्होंने कहा, बेटा अब लोगों की हिफाजत के लिए सीमा पर तैनात है। यह मेरे लिए फर्ख की बात है। वहीं, मां सुशीला देवी कि बेटे ने न केवल देश का बल्कि घर, परिवार और गांव का नाम रोशन किया है।

पत्नी बोलीं, बच्चा किसी का हो अपना ही होता है

पत्नी बोलीं, बच्चा किसी का हो अपना ही होता है

पत्नी शुभांगी चौबे बताती हैं कि जनवरी में वह यहां से गए हैं। रोज की तरह बुधवार को इनका फोन नहीं आया तो मेरा मन घबराने लगा। ऐसे में मैंने उन्हें फोन करने की कोशिश की लेकिन फोन नहीं मिला। इसके बाद दोपहर करीब 3 बजे उन्होंने मुझे कॉल किया और सारी घटना मुझे बताई। उन्होंने बताया कि किस तरीके से उस बच्चे को बचाया। यह सुनने के बाद मुझे काफी गर्व महसूस हुआ। कहा कि मेरा बच्चा नहीं तो क्या हुआ बच्चा किसी का हो अपना ही होता है। पवन को आठ साल का बेटा और पांच साल की बेटी है।

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English summary
Varanasi jawan Pawan saved innocent child life in Sopore terror attack
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