आशिक माशूक की दरगाह, वैलेंटाइन डे को यहां लगती है कपल्स की भीड़
लोगों ने देखा कि आशिक और माशूक की आपस में जुड़ी हुई लाश पानी में तैर रही है, लाश निकाली गयी। मगर दोनों इस तरह एक थे कि अलग नहीं हुए। बाद में लोगों ने सिद्दीगीरीबाग में दोनों को दफना दिया।
वाराणसी। वैलेंटाइन डे को प्रेमी-प्रेमिकाओ का दिन माना जाता है। वाराणसी में एक प्रेमी जोड़े की ऐसी कहानी जमीन के नीचे दफन है, जिसका अहसास हर प्यार करने वाला जरुर करता है। वाराणसी के सिद्दीगीरीबाग इलाके में आशिक-माशूक की दरगाह यादगार मोहब्बत की नजीर है। सैकड़ों साल बाद भी लोग जब भी मोहब्बत का तजकरा होता है शीरी- फरहाद, लैला-मजनू, रोमियो- जुलियट की तरह ही आशिक-माशूक का भी नाम लेते हैं। इस दर पर आम जायरीन के साथ ही इश्क के बीमार भी मुराद मांगते हैं।
क्या
हैं
मान्यता
?
मान्यता
है
कि
इस
दर
से
कई
आशिक
और
माशूक
की
मोहब्बत
परवान
चढ़ी
और
वो
एक-
दूजे
के
हो
गए।
आज
भी
प्रेमी
युगल
यहां
आते
है
और
अपनी
प्रेम
कहानी
को
सफल
जीवन
के
रूप
में
तब्दील
करने
की
कामना
करते
है
और
दुआ
मांगते
है
की
जिंदगी
में
कभी
एक
दूसरे
का
साथ
न
छूटे।
क्या
हैं
इस
दरगाह
की
कहानी?
आशिक
माशूक
दरगाह
के
सदर
सिराज
अहमद
बताते
है
कि
आशिक-माशूक
दरगाह
से
जुड़े
सैकड़ों
साल
की
इस
अज़ीम
मोहब्बत
की
दास्तां
कुछ
यूं
है,
ईरान
के
मोहम्मद
समद
के
बेटे
युसूफ
अलवीपुरा
में
सावन
का
मेला
घूमने
आए
थे।
जहां
मरियम
से
उनकी
नजर
चार
हो
गई।
धीरे-धीरे
इलाके
में
दोनों
की
मोहब्बत
के
चर्चे
शुरू
हो
गए।
लोग
युसुफ
को
आशिक
और
मरियम
को
माशूका
के
नाम
से
जानने
लगे।
एक
दिन
इस
इश्क
की
दास्तां
मरियम
के
वालिद
के
कानों
तक
जा
पहुंची।
उनके
वालिद
ने
बदनामी
के
डर
से
मरियम
को
गंगा
के
उस
पार
अपने
रिश्तेदार
के
घर
भेज
दिया।
जिस
रास्ते
से
मरियम
गंगा
उस
पार
गई
थी।
आशिक
युसुफ
ने
देखा
कि
मरियम
की
एक
चप्पल
पानी
में
है
तो
लड़की
के
मौसी
ने
कहा
की
अगर
मरियम
से
प्यार
है
तो
वो
चप्पल
लेकर
आओ
और
वह
गंगा
में
कूद
पड़ा
और
वापस
नहीं
निकला।
इस
दर्द
भरी
दास्तां
को
जब
मरियम
को
पता
चला
तो
वो
रिश्तेदार
के
घर
से
भाग
कर
गंगा
में
जा
कूदी।
क्या
हुआ
करिश्मा?
कुछ
दिनों
बाद
एक
करिश्मा
हुआ,
गंगा
में
लोगों
ने
देखा
कि
आशिक
और
माशूक
की
आपस
में
जुड़ी
हुई
लाश
पानी
में
तैर
रही
है
..
लाश
निकाली
गयी।
मगर
दोनों
इस
तरह
एक
थे
कि
अलग
नहीं
हुए।
बाद
में
लोगों
ने
सिद्दीगीरीबाग
में
दोनों
को
दफना
दिया।
तब
से
दोनों
की
मोहब्बत
की
मिसाल
दरगाह
पर
इश्क
करने
वाले
जोड़े
पहुंचते
हैं।
इसलिए
यहां
आते
हैं
या
प्रेमी
युगल
?
वैलेंटाइन
डे,
पर
यहां
दूरदराज़
से
प्रेमी
युगल
अपनी
फ़रियाद
लेकर
पहुँचते
है
इसके
अलावा
भी
बाकी
दिनों
में
भी
जोड़े
यहाँ
आते
रहते
है
स्थानीय
लोग
भी
बताते
है
की
बाबा
के
पास
लोग
अपने
फ़रियाद
लिख
कर
भी
जाते
है
और
जोड़ो
का
विश्वास
है
की
बाबा
के
दर
पर
आने
के
बाद
वो
कभी
जुदा
नहीं
होंगे।
क्या
कहते
हैं
यहां
प्रेमी
युगल
इस
बार
वेलेंटाइन
को
पहुचें
यहाँ
प्रेमी
युगल
अनुराधा
,राहुल
और
परी
कहते
है
कि
हम
यह
एक
होने
और
कभी
न
जुदा
होने
की
फ़रियाद
को
लेकर
आशिक
माशूक
की
दरगाह
पर
आते
है
और
इन्हें
विश्वास
है
की
जो
भी
इस
मजार
पर
अपनी
प्यार
की
दुआ
मांगता
है
वो
जरूर
पूरी
होती
है।
क्या
है
खास
बात
?
आशिक-माशूक
दरगाह
की
की
एक
खास
बात
और
भी
है
की
यहां
शादीशुदा
लोग
भी
आते
है
अपने
दाम्पत्य
जीवन
की
खुशहाली
के
लिए
और
यही
नहीं
जिनकी
शादी
होने
वाली
होती
है
उनके
घर
के
लोग
भी
यहाँ
आकर
शादी
का
कार्ड
चडाते
है
इस
ख्वाहिश
के
साथ
उन
का
रिश्ता
कई
जन्मों
तक
चलेगा।
इस्लामाबाद हाईकोर्ट ने पूरे पाकिस्तान में वैलेंटाइन डे मनाने पर लगाई रोक!