Swami Prasad Maurya के बयान पर भड़के स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती, बोले- ये नेताओं के जूठे पत्तल उठाते थे
अखिल भारतीय संत समिति के महामंत्री स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने रामचरितमानस पर स्वामी प्रसाद मौर्य द्वारा दिए गए बयान को लेकर नाराजगी प्रकट की। उन्होंने कहा कि ये नेताओं के जूठे पत्तल उठाते थे।
अखिल भारतीय संत समिति के महामंत्री स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती शनिवार को ज्ञानवापी के पश्चिमी दीवार पर मां श्रृंगार गौरी के विग्रह पत्थरों की विधि विधान से पूजा किए। इस दौरान उन्होंने नंदी महाराज का भी जलाभिषेक किया और बताया कि हर साल माघ मास की सप्तमी तिथि के दिन यह पूजा की जाती है। दर्शन पूजन के दौरान मीडियाकर्मियों से बात करते हुए उन्होंने Swami Prasad Maurya द्वारा रामचरितमानस पर दिए गए बयान पर अपनी प्रतिक्रिया दी।
नेताओं के जूठे पत्तल उठाते हैं स्वामी प्रसाद मौर्य
उन्होंने स्वामी प्रसाद मौर्य पर निशाना साधते हुए कहा कि वे नेताओं के जूठे पत्तल उठाते थे। कल तक स्वामी प्रसाद मौर्य मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के चरणों में जूठे पत्तल पा जाते थे। उसके बाद जूठे पत्तल के लिए वे अखिलेश यादव के पास गए। इसके पहले वे मायावती के लिए जूठे पत्तल उठाते थे। आगे उन्होंने कहा कि ऐसे नेताओं का कोई ईमान धर्म नहीं होता है। इस दौरान उन्होंने बनारसी कहावत कहते हुए बताया कि 'कोढ़िया डेरवावे देहिया पर थूक देब...' तो ऐसे डरवाने वाले और थूकने वालों से कोई फर्क नहीं पड़ता है। आगे उन्होंने कहा कि जो खुद से एक विधानसभा चुनाव नहीं जीत सकता, उसे हम नेता कैसे मान सकते हैं।
विग्रहों की पूजा के दौरान मौजूद रहे काफी लोग
माघ मास के सप्तमी तिथि पर आयोजित मां श्रृंगार गौरी के विग्रहों के पूजा के दौरान वहां पर काफी संख्या में लोग मौजूद रहे। भक्तों के साथ ही अखिल भारतीय संत समिति के महामंत्री जितेंद्रानंद सरस्वती और कई अन्य संत भी मौजूद थे। परंपरा अनुसार विधि विधान से मां श्रृंगार गौरी की पूजा की गई इसके बाद ज्ञानवापी मस्जिद के बाजू खाने की तरफ मुख किए नंदी महाराज का भी जलाभिषेक किया गया। दर्शन पूजन के दौरान मंत्रोच्चार से पूरा परिसर गुंजायमान रहा। इस दौरान मंदिर परिसर में सुरक्षा व्यवस्था के लिए भी भारी पुलिस फोर्स तैनात रही।
साल में दो बार की जाती है पूजा
मीडियाकर्मियों से बात करते हुए स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि मां श्रृंगार गौरी के विग्रहों कि पूजा साल में दो बार की जाती है। पहला पूजा माघ मास की सप्तमी और दूसरा पूजा चैत्र नवरात्र के चौथे दिन की जाती है। यह परंपरा काफी पहले से चली आ रही है। चैत्र नवरात्र में मां का मुखौटा लगाया जाता है और सुबह 5:00 बजे से रात्रि 11:00 बजे तक दर्शनार्थी ज्ञानवापी परिसर में पहुंचकर मां श्रृंगार गौरी का दर्शन करते हैं। यह भी बता दें कि हर दिन मां श्रृंगार गौरी की पूजा करने के लिए 5 महिलाओं द्वारा पूजा की इजाजत मांगी गई थी। इसी मामले को लेकर कोर्ट के आदेश पर मस्जिद परिसर में सर्वे कराया गया और मामला अभी न्यायालय में चल रहा है।
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