काशी में गंगा का रौद्र रूप: कहीं टूट न जाए 44 साल पुराना रिकार्ड, 17 हजार परिवार प्रभावित
वाराणसी में गंगा का पानी स्थिर होने का नाम नहीं ले रहा है। गंगा के जल स्तर में वृद्धि होने के चलते वरुणा नदी भी उफान पर है, जिसके चलते ग्रामीण क्षेत्रों में सैकड़ों एकड़ फसल जलमग्न हो गई हैं
वाराणसी, 29 अगस्त : वाराणसी में गंगा का पानी स्थिर होने का नाम नहीं ले रहा है। गंगा के जल स्तर में वृद्धि होने के चलते वरुणा नदी भी उफान पर है, जिसके चलते ग्रामीण क्षेत्रों में सैकड़ों एकड़ फसल जलमग्न हो गई है। गंगा और वरुणा से सटे हुए शहरी क्षेत्र के कई इलाकों में लोग अपने घरों से पलायन करके बाढ़ राहत शिविर में शरण लिए हुए हैं। सोमवार को सायं काल एक सेंटीमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से गंगा के जल में वृद्धि बताई गई। ऐसे में भले ही धीमी गति से गंगा का जलस्तर बढ़ रहा हो लेकिन अब रिहायशी इलाकों में पहुंचने के चलते पानी तेजी से फैल रहा है। वहीं जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने बताया कि बाढ़ के चलते वाराणसी में करीब 17 हजार परिवार प्रभावित हुए हैं।
1978 में आई थी भीषण बाढ़
इससे पहले साल 2013 में वाराणसी में 72.630 मीटर के करीब गंगा का जलस्तर पहुंच गया था। हालांकि इस वर्ष रविवार को सायंकाल जारी हुई रिपोर्ट में गंगा का जलस्तर 72.11 मीटर दर्ज किया गया है। ऐसे में 1 सेंटीमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से बढ़ रहा है गंगा का जलस्तर यदि इसी तरह बढ़ता रहा तो आगामी कुछ दिनों में साल 2013 का रिकॉर्ड टूट जाएगा। गंगा के बढ़ते जलस्तर को देखते हुए लोगों के अंदर सन 1978 जैसी बाढ़ का डर सताने लगा है। उस समय गंगा का जलस्तर 73.901 पहुंच गया था, जो अबतक का सबसे हाईएस्ट रिकॉर्ड है।
पानी घटने के बाद फैलेगी बीमारी
कोइराजपुर के रहने वाले वयोवृद्ध बिरजू पटेल ने बताया कि सन 78 में आई बाढ़ के चलते शहर ही नहीं गांव से भी काफी संख्या में लोगों को पलायन करना पड़ा था। बाढ़ कई दिनों तक रही और रिहायशी इलाकों में पानी प्रवेश कर चुका था। बाढ़ के पानी घटने के बाद कई प्रकार की बीमारियां भी फैल गई थी जिसके चलते काफी संख्या में लोग बीमार हुए थे। लोगों का कहना है कि यदि सन 1978 जैसी बाढ़ आई तो वाराणसी में बहुत बड़ी क्षति होगी।
नाव से मणिकर्णिका घाट पहुंचाए जा रहे शव
बाढ़ के कारण काशी की कई गलियां जलमग्न हो चुकी हैं, बाढ़ के पानी में काशी के सभी घाट समाहित हो चुके हैं। आलम यह है कि मणिकर्णिका घाट पर शवदाह करने के लिए पहुंचने वाले लोगों को भी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। मणिकर्णिका घाट के छत पर बने प्लेटफार्म पर शवदाह किया जा रहा है लेकिन गलियों में पानी पहुंच जाने के चलते नाव से मणिकर्णिका घाट तक शव पहुंचाए जा रहे हैं। इसके अलावा छत पर प्लेटफार्म की संख्या कम होने के चलते अंत्येष्टि करने के लिए लोगों को काफी देर तक इंतजार करना पड़ रहा है।
मजिस्ट्रेट और नोडल अधिकारी कर रहे चक्रमण
जनपद वाराणसी में आई भीषण बाढ़ को देखते हुए जिलाधिकारी के निर्देश पर मजिस्ट्रेट और नोडल अधिकारी बाढ़ राहत शिविर का निरीक्षण करते हुए वहां पर शरणार्थियों को दी जाने वाली सुविधाओं के बारे में जानकारी ले रहे हैं। इसके अलावा गंगा और वरुणा के तटवर्ती क्षेत्रों में चक्रमण करते हुए नजर रखा जा रहा है। जिन इलाकों के घरों में बाढ़ का पानी प्रवेश कर चुका है वहां पर रहने वाले लोगों को सुरक्षित बाढ़ राहत शिविर में पहुंचाने का कार्य भी किया जा रहा है। अधिकारियों ने बताया कि बाढ़ राहत चौकियों और बाढ़ राहत शिविर पर एंटी स्नेक इंजेक्शन तथा अन्य जीवन रक्षक दवाएं भी उपलब्ध हैं। लोगों से अपील की जा रही है कि बाढ़ की स्थिति को देखते हुए यदि घर में पानी प्रवेश करता है तो वह अपने नदी की बाढ़ राहत शिविर में चले आएं।
एनडीआरएफ और जल पुलिस भी कर रही चक्रमण
एनडीआरएफ के जवानों द्वारा गंगा और वरुणा नदी में आई बाढ़ के चलते फंसे हुए लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया जा रहा है। एनडीआरएफ के द्वितीय कमान अधिकारी देवेंद्र कुमार एवं उप कमांडेंट संतोष कुमार ने बताया कि बाढ़ राहत क्षेत्रों में एनडीआरएफ के जवान लगातार नजर जमाए हुए हैं कहीं भी किसी प्रकार की समस्या होने पर एनडीआरएफ की टीम तत्काल राहत एवं बचाव के लिए पहुंच रही है। इसके अलावा जिन इलाकों में पानी प्रवेश कर जाने के बाद लोग अपने मकान को छोड़कर बाढ़ राहत शिविर में शरण लिए हैं, वहां पर चोरी जैसी घटनाओं को रोकने के लिए पुलिस कर्मियों द्वारा भी नाव से गस्त किया जा रहा है।
बाढ़ प्रभावित इलाकों में बांटी गई राहत सामग्री
उत्तर प्रदेश के स्टांप एवं न्यायालय पंजीयन शुल्क राज्य मंत्री रविंद्र जायसवाल द्वारा सोमवार को ढेलवरिया इलाके में रह रहे बाढ़ प्रभावित लोगों के बीच राहत सामग्री बांटी गई। सामग्री का वितरण करते हुए उन्होंने लोगों को आश्वासन दिलाया कि सरकार इस आपदा की घड़ी में उनके साथ खड़ी है और उन्हें किसी प्रकार की परेशानी नहीं होने दी जाएगी। यह दौरान उन्होंने वहां पर मौजूद अधिकारियों को निर्देशित किया कि जिन इलाकों के लोग बाढ़ में प्रभावित हुए हैं उनकी सूची तैयार कर ली जाए और उन्हें राहत एवं खाद्य सामग्री समय से उपलब्ध कराई जाय। उन्होंने लोगों से भी अनुरोध किया कि पास पड़ोस में जिन लोगों को जानकारी नहीं है और जो लोग अधिकारियों तक नहीं पहुंच रहे हैं उनके भी नाम दर्ज कराए जाएं जिससे बाढ़ राहत सामग्री उनके यहां तक भी पहुंच सके।
2 मीटर बढ़ने पर विश्वनाथ धाम में प्रवेश कर जाएगा बाढ़ का पानी
श्री काशी विश्वनाथ धाम की सीढ़ियों तक गंगा में आई बाढ़ का पानी पहुंच चुका है। हालांकि अभी गेट से गंगा नदी का पानी करीब 2 मीटर नीचे है। अधिकारियों का कहना है कि हाईएस्ट फ्लड लेवल को ध्यान में रखते हुए श्री काशी विश्वनाथ के सभी भवन हाईएस्ट फ्लड लेवल से ऊपर बनाए गए हैं। अभी तक गंगा किनारे ललिता घाट की तरफ बने हुए गेट के रैम्प और सीढ़ियों तक ही गंगा का पानी पहुंचा हुआ है। मंदिर से जुड़े लोगों ने यह भी बताया कि 2 मीटर जल बढ़ने पर शहर के काफी इलाके जलमग्न हो जाएंगे।
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