उत्तराखंड कांग्रेस के अंदर हरीश रावत और प्रीतम सिंह में जारी है जुबानी जंग, प्रदेश अध्यक्ष ने ऐसे दी सफाई
पूर्व सीएम हरीश रावत और वरिष्ठ नेता प्रीतम सिंह आमने सामने
देहरादून, 4 जुलाई। उत्तराखंड कांग्रेस में एक बार फिर सोशल मीडिया पर पलटवार और जुबानी जंग जारी है। जिससे कांग्रेस के अंदर घमासान मचा हुआ है। कांग्रेस के पूर्व सीएम हरीश रावत और वरिष्ठ नेता प्रीतम सिंह के एक बार फिर आमने सामने आ गए है। जिसके बाद प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने दोनों सीनियर नेताओं को पार्टी फोरम में बात रखने की अपील की है।
लंबे
समय
से
जारी
है
दोनों
नेताओं
में
सियासी
जंग
उत्तराखंड
में
पूर्व
सीएम
हरीश
रावत
और
सीनियर
नेता
प्रीतम
सिंह
के
बीच
सियासी
द्वंद
किसी
से
छिपा
नहीं
है।
विधानसभा
चुनाव
के
ऐलान
से
लेकर
चुनाव
परिणाम
के
बाद
दोनों
सीनियर
नेताओं
में
खुलकर
बयानबाजी
हो
चुकी
है।
अब
एक
बार
फिर
पूर्व
सीएम
हरीश
रावत
और
प्रीतम
सिंह
खुलकर
आमने
सामने
आ
गए
हैं।
पूर्व
सीएम
हरीश
रावत
ने
बीते
दिनों
शादी,
ब्याह
के
मौकों
पर
आम
जनता
के
बीच
बेइज्जती
करने
का
आरोप
लगाते
हुए
हरीश
रावत
ने
अपने
ही
नेताओं
के
खिलाफ
सोशल
मीडिया
पर
पोस्ट
लिख
डाली।
हालांकि
पोस्ट
में
नाम
किसी
का
नही
था,
लेकिन
पोस्ट
सामने
आने
के
बाद
प्रीतम
सिंह
ने
भी
मोर्चा
संभाला।
इसके
बाद
प्रीतम
सिंह
ने
2016
की
राजनीतिक
घटनाक्रम
के
लिए
हरीश
रावत
को
जिम्मेदार
बता
दिया।
जिस
दौरान
कांग्रेस
के
विधायक
भाजपा
में
चले
गए।
हरदा
ने
बताया
पार्टी
का
क्या
है
स्टैंड
इसके
बाद
हरीश
रावत
ने
फेसबुक
पर
एक
बार
फिर
लंबी
पोस्ट
डाली
जिसमें
कहा
कि
उत्तराखंड
से
पहले
कई
राज्यों
में
जैसे
असम,
अरुणाचल
आदि
में
भी
ऐसा
ही
दलबदल
करवाया
गया।
उत्तराखंड
के
बाद
मणिपुर,
गोवा,
कर्नाटका,
मध्य
प्रदेश
और
महाराष्ट्र
में
भी
दल-बदल
करवाकर
सरकारें
बनाई
गई
और
कुछ
स्थानों
पर
गिरा
कर
बनाई
गई।
कांग्रेस
का
अधिकारिक
स्टैंड
यह
रहा
है
कि
यह
भारतीय
जनता
पार्टी
व
केंद्र
सरकार
की
कुनीति
का
परिणाम
है।
अंधाधुंध
धन,
सीबीआई,
इनकम
टैक्स,
ईडी
हर
तरीके
के
छल
परपंच
का
उपयोग
कर
सरकारें
गिरायी
व
बनाई
गई
हैं।
कांग्रेस
ने
इसे
लोकतंत्र
व
संविधान
की
हत्या
माना
है।
हरदा
ने
आगे
लिखा
कि
हमारे
कुछ
साथी
व्यक्तिगत
गुस्से
में
इसे
मुझसे
नाराजगी
का
परिणाम
बताकर
भाजपा
को
लोकतंत्र
की
हत्या
के
दोष
से
मुक्त
कर
रहे
हैं।
यह
जताने
की
कोशिश
हो
रही
है
कि
यह
दल
बदल,
धन
और
सेंट्रल
एजेंसीज
के
उपयोग
से
नहीं
हुआ
है
बल्कि
एक
व्यक्ति
से
नाराज
कुछ
लोग
भाजपा
में
पवित्र
तीर्थाटन
के
लिए
चले
गए।
यदि
हमारे
कुछ
साथी
इन
तीर्थ
यात्रियों
को
वापस
लाना
चाहते
हैं
तो
खुशी-2
ले
आयें।
हरीश
रावत
की
राजनीती
से
हटने
की
शर्त
पर
भी
लाना
चाहते
हैं
तो
भी
ले
आयें।
मगर
2024
के
लोकसभा
चुनाव
से
पहले
ले
आएं।
दस
साल
भाजपा
में
तीर्थाटन
का
आनंद
उठाने
के
बाद
कांग्रेस
कार्यकर्ताओं
के
मूल्य
पर
इन्हें
कांग्रेस
में
लाने
का
सपना
उचित
नहीं
है।
कांग्रेस
प्रदेश
अध्यक्ष
करन
माहरा
ने
बताया
आंतरिक
लोकतंत्र
का
हिस्सा
हरीश
रावत
और
प्रीतम
सिंह
के
बीच
जुबानी
जंग
से
पार्टी
के
अंदर
एक
बार
फिर
घमासान
मचा
हुआ
है।
इसको
कांग्रेस
प्रदेश
अध्यक्ष
करन
माहरा
ने
संगठन
के
आंतरिक
लोकतंत्र
का
हिस्सा
बता
डाला।
साथ
ही
बड़े
नेताओं
से
अपील
भी
की
है
की
जो
कुछ
कहना
है
वो
पार्टी
फोरम
में
कहे,
सार्वजनिक
नही।
इसका
कार्यकर्ताओ
के
बीच
गलत
संदेश
जाता
है
और
उनका
मनोबल
टूटता
है।
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