उत्तराखंड में पुलिसकर्मियों के परिजन फिर आर-पार की लड़ाई के मूड में, धामी सरकार पहले ही उठा चुकी है ये कदम
पुलिसकर्मियों के परिजनों ने फिर उठाया 4600 ग्रेड पे मामला
देहरादून, 1 अगस्त। उत्तराखंड में धामी सरकार के दूसरे कार्यकाल में पहली बार पुलिस ग्रेड पे को लेकर एक बार फिर मुद्दा गरमाने लगा है। पुलिसकर्मियों के परिजनों ने धामी सरकार को 4600 ग्रेड पे लागू करने को लेकर एक सप्ताह का समय दिया है। ऐसे में ये मामला एक बार फिर आंदोलन की राह पर है। मुख्यमंत्री ने पिछले साल पुलिस स्मृति दिवस के कार्यक्रम में 2001 बैच के सिपाहियों को 4600 ग्रेड पे देने की घोषणा की थी, लेकिन इसके बाद सरकार ने दो लाख रुपये देने का शासनादेश जारी कर दिया। तब से इस मुद्दे पर सरकार कोई फैसला नहीं ले पाई। इससे पुलिसकर्मियों के परिजन एक बार फिर गुस्साए हुए हैं। जिससे सरकार की मुश्किलें खड़ी हो सकती है।
आंदोलन की राह पर परिजन
पुष्कर सिंह धामी सरकार के पहले कार्यकाल में पुलिसकर्मियों को ग्रेड पे के वादे को पूरा करने के घोषणा आने वाले दिनों में धामी सरकार-2 के लिए मुश्किल खड़ी कर सकता है। धामी सरकार-2 के 100 दिन पूरे होने के बाद अब पुलिसकर्मियों के परिजन एक बार फिर आंदोलन की राह पर हैं। पुलिसकर्मियों के परिजनों ने सरकार पर विश्वासघात करने का आरोप लगाया है। आरोप है कि मुख्यमंत्री ने पिछले साल पुलिस स्मृति दिवस के कार्यक्रम में 2001 बैच के सिपाहियों को 4600 ग्रेड पे देने की घोषणा की थी, लेकिन इसके बाद सरकार ने दो लाख रुपये देने का शासनादेश जारी कर दिया। इससे पुलिसकर्मियों के परिजन एक बार फिर गुस्साए हुए हैं। जिससे सरकार की मुश्किलें खड़ी हो सकती है।पुलिसकर्मियों के परिजनों ने एकजुट होकर देहरादून में इसकी लड़ाई लड़ने का ऐलान किया है।
ये
है
पूरा
मामला
पुलिसकर्मियों
के
परिजनों
का
कहना
है
कि
उत्तराखंड
पुलिस
में
सबसे
पहले
वर्ष
2001
में
भर्ती
हुई
थी।
इस
बैच
के
सिपाहियों
को
20
साल
की
सेवा
के
बाद
4600
ग्रेड
पे
दिए
जाने
की
बात
कही
गई
थी।
वर्ष
2021
में
बीस
साल
का
पूरा
होते
ही
सोशल
मीडिया
पर
इसको
लेकर
आंदोलन
शुरू
हुआ।
बाद
में
परिजन
सड़कों
पर
उतर
आए।
आंदोलन
उग्र
होता
देख
अक्तूबर
में
डीजीपी
ने
मांग
को
पूरा
करने
का
आश्वासन
दिया
था।
इसके
बाद
21
अक्तूबर
को
पुलिस
स्मृति
दिवस
पर
मुख्यमंत्री
पुष्कर
सिंह
धामी
ने
सितंबर
2021
से
4600
ग्रेड
पे
का
लाभ
देने
की
घोषणा
की,
लेकिन
दो
माह
बाद
भी
शासनादेश
जारी
नहीं
हो
पाया।
जिससे
नाराज
होकर
पुलिसकर्मियों
के
परिजन
फिर
से
आंदोलन
तेज
हो
गया।
इसके
बाद
पिछले
साल
27
दिसंबर
को
डीजीपी
ने
शासन
की
ओर
से
फिर
उन्हें
आश्वासन
दिया
और
कहा
कि
31
दिसंबर
को
कैबिनेट
में
इस
संबंध
में
फैसला
हो
जाएगा।
लेकिन
कैबिनेट
से
मुख्यमंत्री
को
इस
फैसले
के
लिए
अधिकृत
कर
दिया।
आचार
संहिता
लगने
से
पहले
सरकार
ने
दो
लाख
रुपये
एकमुश्त
देने
का
आदेश
जारी
कर
दिया।
जिसके
बाद
परिजन
भड़क
गए
हैं।
विधानसभा
चुनाव
से
पहले
राज्य
सरकार
ने
उत्तराखंड
पुलिस
के
सिपाहियों
के
पहले
बैच
को
4600
ग्रेड
पे
की
जगह
दो
लाख
रुपये
एकमुश्त
दिए
जाने
के
आदेश
जारी
किए।
इससे
पुलिसकर्मियों
के
परिजन
नाराज
हो
गए।
इतना
ही
नहीं
सोशल
मीडिया
पर
सिपाहियों
के
इस्तीफे
की
खबरें
वायरल
होने
के
बाद
सरकार
की
नींद
उड़
गई
है।