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Uttarakhand gaurav samman: अजित डोभाल से लेकर बिपिन रावत तक, 5 हस्तियां, जिन्हें मिलेगा उत्तराखंड गौरव सम्मान

उत्तराखंड की पांच विभूतियों को उत्तराखंड गौरव सम्मान

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उत्तराखंड सरकार ने उत्तराखंड गौरव सम्मान के लिए नामों का ऐलान कर दिया है। इस साल एनएसए अजीत डोभाल, भारतीय फिल्म सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष प्रसून जोशी, पूर्व सीडीएस स्वर्गीय जनरल बिपिन सिंह रावत, उत्तराखंड के गीतकार और लेखक स्वर्गीय गिरीश चंद्र तिवारी, स्वर्गीय वीरेन डंगवाल को उत्तराखंड गौरव सम्मान पुरस्कार 2022 के लिए चयनित किया गया है। इनमें से तीन विभूतियों को यह सम्मान मरणोपरांत दिया जा रहा है। इसके साथ ही 2021 के गौरव सम्मान उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय एनडी तिवारी, अनिल जोशी, रस्किन बॉन्ड, बछेंद्री पाल और नरेंद्र सिंह नेगी को भी दिया जा रहा है। उत्तराखंड गौरव सम्मान की शुरुआत साल 2021 के स्थापना दिवस से हुई थी। इस सम्मान में प्रदेश की पांच विभूतियों को यह पुरस्कार दिया जाता है।

भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल

भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल

मुल रूप से उत्तराखंड के रहने वाले अजित डोभाल आईपीएस से रिटायर हुए हैं और वर्तमान में भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार हैं। वे 30 मई 2014 से इस पद पर हैं। डोभाल भारत के पांचवे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार हैं। डोभाल का जन्म 1945 में उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में एक गढ़वाली परिवार में हुआ। उन्होंने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा अजमेर के मिलिट्री स्कूल से पूरी की थी। इसके बाद उन्होंने आगरा विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में एमए किया और पोस्ट ग्रेजुएशन करने के बाद वे केरल कैडर से 1968 में आईपीएस के लिए चुन लिए गए। वे 2005 में इंटेलिजेंस ब्यूरो यानी आईबी के चीफ के पद से रिटायर हुए हैं।

 प्रसून जोशी, सेंसर बोर्ड के चेयरमैन

प्रसून जोशी, सेंसर बोर्ड के चेयरमैन

मूल रूप से उत्तराखंड के अल्मोड़ा के रहने वाले प्रसून जोशी वर्तमान में सेंसर बोर्ड के चेयरमैन हैं। का जन्म 16 सितम्बर 1968 को हुआ था। वे हिन्दी कवि, लेखक, पटकथा लेखक और भारतीय सिनेमा के गीतकार हैं। फिल्म तारे जमीन पर के गाने मां के लिए जोशी को राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिल चुका है। प्रसून का जन्म उत्तराखंड के अल्मोड़ा ज़िले के दन्या गांव में 16 सितम्बर 1968 को हुआ था। उनका बचपन एवं उनकी प्रारम्भिक शिक्षा टिहरी,गोपेश्वर, रुद्रप्रयाग, चमोली एवं नरेन्द्रनगर में हुई। जहां उन्होने एमएससी और उसके बाद एमबीए की पढ़ाई की। उन्होंने रंग दे बसंती, हम तुम और फना जैसी फिल्मों के लिए कई सुपरहिट गाने लिखे हैं।

स्वर्गीय बिपिन सिंह रावत

स्वर्गीय बिपिन सिंह रावत

जनरल बिपिन सिंह रावत का जन्म 16 मार्च 1958 को पौड़ी गढ़वाल उत्तराखंड में हुआ। जिनकी मृत्यु 8 दिसंबर 2021 को हुई। बिपिन रावत भारत के पहले रक्षा प्रमुख या चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ ,सीडीएस, थे। वे 1 जनवरी 2020 को देश के पहले रक्षा प्रमुख बने। इससे पूर्व वो भारतीय थल सेनाध्यक्ष के पद पर 31 दिसंबर 2016 से 31 दिसंबर 2019 तक पर रह चुके थे। 8 दिसम्बर 2021 को एक हैलिकॉप्टर दुर्घटना में 63 वर्ष की आयु में जनरल रावत का निधन हो गया।इनका परिवार कई पीढ़ियों से भारतीय सेना में सेवा दे रहा था।जनरल रावत की शुरूआती शिक्षा देहरादून के कैंबरीन हॉल स्कूल और शिमला के सेंट एडवर्ड स्कूल में हुई। इसके बाद इन्होने खडकवासला स्थित राष्ट्रीय रक्षा अकादमी में दाखिला लिया। इसके बाद रावत ने भारतीय सैन्य अकादमी, देहरादून से प्रथम श्रेणी में स्नातक की उपाधि प्राप्त कि और यहां उनके बेहतरीन प्रदर्शन के लिए सोर्ड ऑफ़ ऑनर दिया गया। रावत ने डिफेंस सर्विसेज स्टाफ कॉलेज, वेलिंगटन से भी स्नातक की शिक्षा ली। इसके अलावा रावत ने कई विश्वविद्यालयों से डिप्लोमा और डिग्री ली। वर्ष 2011 में चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय से रावत को सैन्य मीडिया अध्ययन के क्षेत्र में शोध के लिए पीएचडी की मानद उपाधि दी गयी।

स्वर्गीय गिरीश तिवारी गिर्दा

स्वर्गीय गिरीश तिवारी गिर्दा

गिरीश तिवारी गिर्दा का जन्म 10 सिंतबर 1945 को उत्तराखंड, अल्मोड़ा जिले के हवालबाग ब्लॉक में ज्योली नामक गांव मे हुवा था। गिर्दा की प्रारंभिक शिक्षा अल्मोड़ा से पूर्ण की और 12वी की परीक्षा नैनीताल से की। गिरीश तिवारी गिर्दा, घर से निकल कर पीलीभीत, बरेली रहे। फिर लखनऊ और अलीगढ़ में इन्होंने रिक्शा चलाने का कार्य किया। वही इनकी मुलाकात कुछ वामपंथी मजदूर संगठनों से हुई। वही से इनको गरीबो और वंचितों को समझने और जानने का मौका मिला। कुछ समय लखनऊ में अस्थाई नौकरी करने के बाद, गिर्दा ने 1967 में गीत और नाटक प्रभाग में स्थाई नौकरी की। और लखनऊ आकाशवाणी में भी आना जाना चलता रहा। 1968 में गिर्दा ने कुमाऊनी कविताओं का संग्रह शिखरों के स्वर प्रकाशित किया। इसके बाद गिर्दा ने अनेक कुमाऊनी कविताये लिखी तथा कई कविताओं को स्वरबद्ध किया। इसके साथ साथ अंधेर नगरी चौपट राजा, अंधायुग, नगाड़े खामोश हैं, धनुष यज्ञ जैसे अनेक नाटकों का निर्देशन किया। 1974 से उत्तराखंड में आंदोलन की शुरूआत हुई, चिपको , नीलामी विरोध में आंदोलन। इन आंदोलनों में गिर्दा ने एक जनकवि का रूप धारण कर अपनी कविताओं से इन आंदोलनों को एक नई धार दी। गिरीश चंद्र तिवारी गिर्दा की मृत्यु 22 अगस्त 2010 को पेट मे अल्सर की बीमारी के कारण हुई।

स्वर्गीय वीरेन डंगवाल

स्वर्गीय वीरेन डंगवाल

वीरेन डंगवाल 5 अगस्त 1947 को जन्मे साहित्य अकादमी द्वारा पुरस्कृत हिन्दी कवि थे। उनका जन्म कीर्तिनगर, टिहरी गढ़वाल, उत्तराखंड में हुआ। उनके पिता प्रदेश सरकार में कमिश्नरी के प्रथम श्रेणी अधिकारी थे। वीरेन डंगवाल की रुचि कविताओं कहानियों दोनों में रही है। उन्होंने मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, कानपुर, बरेली, नैनीताल और ,इलाहाबाद विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त की। वीरेन 1971 से बरेली कॉलेज में हिन्दी के अध्यापक रहे। साथ ही शौकिया पत्रकार भी। उनकी पत्नी रीता भी शिक्षक थी।जो कि स्थाई रूप से बरेली के निवासी हैं। उनकी 28 सितंबर 2015 को 68 साल की उम्र में बरेली में देहांत हुआ। 22 साल की उम्र में उन्होनें पहली रचना, एक कविता, लिखी और फिर देश की तमाम स्तरीय साहित्यिक पत्र पत्रिकाओं में लगातार छपते रहे। उनकी ख़ुद की कविताओं का बांग्ला,मराठी, पंजाबी, अंग्रेज़ी, मलयालम और उड़िया जैसी भाषाओं में प्रकाशित हुआ है।

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Uttarakhand gaurav samman Ajit Doval Prasoon Joshi Bipin Rawat Girish Chandra Tiwar Viren Dangwal
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