ऊर्जा प्रदेश में दोबारा बिजली का करंट लगने से बचे उपभोक्ता, जानिए क्या है पूरा मामला
विद्युत नियामक आयोग ने बिजली दरें बढ़ाने की याचिका की खारिज
देहरादून, 1 जुलाई। उत्तराखंड में इस बार बिजली का करंट नहीं लगेगा। विद्युत नियामक आयोग ने उत्तराखंड में बिजली की दरें बढ़ाने के ऊर्जा निगम के प्रस्ताव को ठुकरा दिया है। निगम ने बिजली दरों में साढ़े 12 प्रतिशत वृद्धि का प्रस्ताव भेजा था। ऊर्जा निगम ने बिजली दर बढ़ाने के लिए आयोग में पुनर्विचार याचिका दायर की थी। आयोग ने पुनर्विचार याचिका स्वीकार करने से पहले जनसुनवाई की। विद्युत नियामक आयोग ने बढोत्तरी का कोई मजबूत आधार नहीं माना है। बिजली दरों में बढोत्तरी की याचिका रद्द होने के बाद अब यूपीसीएल प्रबंधन ने पुर्नविचार याचिका की तैयारी शुरू कर दी है।
वित्तीय
भार
की
भरपाई
की
करी
गई
थी
मांग
ऊर्जा
प्रदेश
में
बिजली
की
किल्लत
की
वजह
से
खरीदी
गई
महंगी
बिजली
का
भार
भी
आम
आदमी
की
जेब
से
वसूलने
की
तैयारी
पर
आयोग
ने
पानी
फेर
दिया
है।
ऊर्जा
निगम
ने
946.48
करोड़
के
अतिरिक्त
वित्तीय
भार
की
भरपाई
की
मांग
की
थी।
इसके
लिए
ऊर्जा
निगम
ने
बोर्ड
से
बिजली
दरों
में
12.27
प्रतिशत
की
वृद्धि
का
प्रस्ताव
पास
कराते
हुए
आयोग
को
भेजा
था।
आयोग
ने
दोनों
पक्षों
को
सुनने
के
बाद
ऊर्जा
निगम
के
प्रस्ताव
को
खारिज
कर
दिया।
उपभोक्ताओं
ने
ऊर्जा
निगम
की
इस
मांग
को
पूरी
तरह
गैरजरूरी
और
उपभोक्ताओं
पर
भार
बढ़ाने
वाला
बताया।
घरेलू,
व्यवसायिक,
उद्योग
जगत
ने
बिजली
के
रेट
में
किसी
भी
तरह
की
बढ़ोतरी
न
किए
जाने
की
मांग
की
थी।
इस
फैसले
से
जहां
आम
लोगों
को
बड़ी
राहत
मिली
है।
विद्युत
दरों
में
12.27
प्रतिशत
बढ़ोतरी
का
था
प्रस्ताव
बाजार
से
महंगी
बिजली
खरीद
रहे
ऊर्जा
निगम
ने
बिजली
दरों
में
दोबारा
बढ़ोतरी
के
लिए
उत्तराखंड
विद्युत
नियामक
आयोग
में
याचिका
दायर
की
थी।
यूपीसीएल
ने
बीपीएल,
आम
उपभोक्ता
से
लेकर
उद्योगों
व
व्यावसायिक
उपभोक्ताओं
के
लिए
सरचार्ज
के
तौर
पर
बढ़ोतरी
करने
की
मांग
की
थी।
बिजली
किल्लत
के
दौर
में
यूपीसीएल
ने
नियामक
आयोग
में
याचिका
दायर
की।
निगम
ने
विद्युत
दरों
में
12.27
प्रतिशत
बढ़ोतरी
की
मांग
आयोग
के
सामने
रखी
है।
यूपीसीएल
ने
यह
वसूली
एडिशनल
एनर्जी
चार्ज
के
तौर
पर
लेने
को
कहा
है।
आयोग
ने
याचिका
स्वीकार
करने
के
बाद
सुनवाई
की।
यूपीसीएल
ने
बीपीएल
उपभोक्ताओं
के
लिए
25
पैसे
प्रति
यूनिट,
डोमेस्टिक
उपभोक्ताओं
के
लिए
करीब
50
पैसे
प्रति
यूनिट
और
उद्योग
व
कॉमर्शियल
उपभोक्ताओं
के
लिए
75
पैसे
प्रति
यूनिट
बढ़ोतरी
की
मांग
की
थी।
नियामक
आयोग
की
ओर
से
बिजली
दरों
में
हाल
ही
में
एक
अप्रैल
से
बढ़ोतरी
की
गई
थी।
बिजली
की
दरों
में
2.68
प्रतिशत
की
बढ़ोतरी
की
गई
है।
पिछले
साल
बिजली
की
दरें
3.54
प्रतिशत
बढ़ाई
गई
थीं।
इस
तरह
उपभोक्ताओं
पर
पिछले
साल
की
तुलना
में
0.86
प्रतिशत
का
कम
भार
डाला
गया
है।
बिजली
दरों
में
बढोत्तरी
की
याचिका
रद्द
होने
के
बाद
अब
यूपीसीएल
प्रबंधन
ने
पुर्नविचार
याचिका
की
तैयारी
शुरू
कर
दी
है।
विभाग
का
तर्क
है
कि
राज्य
सरकार
के
कटौतीमुक्त
आपूर्ति,
चारधाम
यात्रा,
उद्योगों
में
कटौती
होने,
जीएसटी
के
नुकसान
और
बेरोजगारी
से
बचाव
को
बढ़ोत्तरी
की
याचिका
दायर
की
थी।
अब
आयोग
में
पुर्नविचार
याचिका
दायर
करने
की
तैयारी
है।