उत्तराखंड विधानसभा में बेहद सख्त धर्मांतरण-विरोधी विधेयक पेश, 10 साल तक की सजा का प्रावधान
उत्तराखंड की पुष्कर सिंह धामी सरकार ने विधानसभा में बेहद कड़ी सजा और जुर्माने के प्रावधान वाला धर्मांतरण-विरोधी विधेयक पेश किया है। इसमें दोषी को 10 साल तक की सजा, जुर्माना और पीड़ित को मुआवजे देने की भी व्यवस्था है।
उत्तराखंड सरकार ने मंगलवार को विधानसभा में धर्मांतरण-विरोधी विधेयक पेश किया है, जिसके प्रावधान बहुत ही सख्त हैं। इसमें दोषी पाए जाने पर अपराधी को अधिकतम 10 साल तक की सजा की व्यवस्था की गई है। यही नहीं दोषी पर जुर्माना भी लगाया जाएगा और पीड़िता को मुआवजा देने के लिए भी कहा जा सकता है। विधेयक के मुताबिक किसी भी तरह से धर्मांतरण के लिए गलत तरीका अपनाए जाने पर व्यक्ति कसूरवार माना जाएगा। राज्य सरकार ने कहा है कि उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता अधिनियम, 2018 के प्रावधानों में कुछ दिक्कतें हैं, जिसके लिए संशोधन किया जाना आवश्यक है।
उत्तराखंड
विधानसभा
में
बेहद
सख्त
धर्मांतरण-विरोधी
विधेयक
पेश
उत्तराखंड
की
पुष्कर
सिंह
धामी
सरकार
ने
मंगलवार
को
राज्य
विधानसभा
में
बहुत
ही
सख्त
धर्मांतरण-विरोधी
विधेयक
पेश
किया
है।
इसमें
गैर-कानूनी
तरीके
से
होने
वाले
धर्मांतरण
को
संज्ञेय
और
गैर-जमानती
अपराध
की
श्रेणी
में
रखा
गया
है।
इसमें
दोषी
पाए
जाने
पर
कम
से
कम
तीन
साल
से
लेकर
अधिकतम
10
साल
तक
की
सजा
का
प्रावधान
रखा
गया
है।
उत्तराखंड
धर्म
स्वतंत्रता
(संशोधन)
विधेयक-2022
में
कैद
की
सजा
के
अलावा
दोषियों
पर
कम
से
कम
50,000
रुपए
जुर्माने
का
भी
प्रावधान
रखा
है।
5
लाख
रुपए
तक
मुआवजे
का
भी
प्रावधान
यही
नहीं,
उत्तराखंड
धर्म
स्वतंत्रता
(संशोधन)
विधेयक-2022
के
तहत
अपराधी
को
पीड़ित
को
5
लाख
रुपए
तक
मुआवजा
देने
के
लिए
भी
कहा
जा
सकता
है।
विधेयक
के
मसौदे
के
मुताबिक
'कोई
व्यक्ति
किसी
दूसरे
व्यक्ति
को
प्रत्यक्ष
या
परोक्ष
रूप
से
जबरन,
प्रलोभन
या
धोखे
से
एक
धर्म
से
दूसरे
में
परिवर्तित
या
परिवर्तित
करने
की
कोशिश
नहीं
करेगा।
कोई
व्यक्ति
ऐसे
धर्म
परिवर्तन
के
लिए
दुष्प्रेरित,
राजी
या
साजिश
नहीं
करेगा।'
'संशोधन
विधेयक
लाना
जरूरी
हो
गया
था'
उत्तराखंड
के
धार्मिक
मामलों
के
मंत्री
सतपाल
महाराज
ने
इस
विधेयक
को
लाने
के
बारे
में
बताया
कि
'....भारत
के
संविधान
के
अनुच्छेद
25,
26,
27
और
28
के
तहत
धार्मिक
स्वतंत्रता
के
अधिकार
के
अनुसार
प्रत्येक
धर्म
को
समान
रूप
से
मजबूत
करने
के
उद्देश्य
में
आ
रही
कठिनाइयों
के
हल
के
लिए
यह
संशोधन
विधेयक
लाया
गया
है।'
उन्होंने
बताया,
'उत्तराखंड
धर्म
स्वतंत्रता
अधिनियम,
2018
में
कुछ
कठिनाइयों
को
दूर
करने
के
लिए
संशोधन
आवश्यक
है।'
राज्य
सरकार
ने
विधानसभा
के
शीतकालीन
सत्र
के
पहले
दिन
कुल
10
विधेयक
पेश
करने
का
तय
किया
था।
उत्तराखंड विधानसभा के शीतकालीन सत्र के पहले दिन सदन में जो बिल पेश किए गए, उनमें उत्तराखंड पब्लिक सर्विसेज (हॉरिजेंटल रिजर्वेशन फॉर वुमेन) बिल, 2022 भी शामिल हैं। इसके तहत राज्य में महिलाओं को सरकारी सेवाओं में 20 से 30 फीसदी क्षैतिज आरक्षण उपलब्ध करवाना है। यह प्रावधान उन महिलाओं के लिए किया जा रहा है, जो राज्य में स्थायी रूप से रह रही हैं।