कौन हैं Srishti Goswami, जो एक दिन के लिए बनी उत्तराखंड की सीएम
Srishti Goswami one day CM, देहरादून। आज आपकों हम एक ऐसी होनहार छात्रा सृष्टि गोस्वामी के बारे में बताने जा रहे है, जो एक दिन के लिए उत्तराखंड की सीएम बनी। सृष्टि गोस्वामी ने नैशनल गर्ल चाइल्ड डे यानि बालिका दिवस के मौके पर देहरादून पहुंच कर बाल विधानसभा में एक दिन के लिए मुख्यमंत्री का पदभार संभाला। बाल मुख्यमंत्री बनने के बाद सभी विधायकों और अधिकारियों को सृष्टि को शुभकामनाएं दी। आइए जानते है सृष्टि गोस्वामी के बारे में...
कौन हैं Srishti Goswami जो बनी सीएम
19 वर्षीय सृष्टि गोस्वामी, हरिद्वार जिले के गांव दौलतपुर की रहने वाली हैं। सृष्टि के पिता प्रवीन गोस्वामी एक व्यापारी हैं, जो गांव में ही एक छोटी सी दुकान चलाते हैं। जबकि, सृष्टि की मां सुधा गोस्वामी एक गृहणी है। सृष्टि बीएसएम पीजी कॉलेज, रुड़की से बीएससी एग्रीकल्चर कर रही हैं।
हर तीन वर्ष में होता है चयन
मई 2018 में बाल विधानसभा में बाल विधायकों की ओर से सृष्टि का चयन मुख्यमंत्री के रूप में किया गया था और वो बाल मुख्यमंत्री बनीं थी। बता दें कि बाल विधानसभा में हर तीन वर्ष में बाल मुख्यमंत्री का चयन किया जाता है। एक बार फिर से सृष्टि को एक दिन का सीएम बनने का अवसर मिला है, जिससे वो काफी उत्साहित हैं।
24 जनवरी को है बालिका दिवस
बालिका दिवस 24 जनवरी को है, इस दिन सृष्टि गोस्वामी एक दिन के लिए बाल मुख्यमंत्री बनी। प्रदेश के सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इसकी मंजूरी दी थी। बतौर बाल सीएम सृष्टि उत्तराखंड में हुए विकास कार्यों की समीक्षा करेंगी। इसके लिए विधानसभा के कक्ष नंबर 120 में बाल विधानसभा आयोजित की जाएगी, जिसमें एक दर्जन विभागके अधिकारी योजनाओं को लेकर पांच-पांच मिनट की प्रेजेंटशन देंगे।
बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने मुख्य सचिव को लिखा था पत्र
कार्यक्रम के दौरान अफसर मौजूद रहें, इसके लिए उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने मुख्य सचिव को पत्र लिखा था। आयोग की अध्यक्ष ऊषा नेगी ने बताया कि कार्यक्रम विधानसभा भवन में दोपहर 12 से तीन बजे तक होगा। नेगी ने बताया कि आयोग ने बाल विधानसभा गठन किया है।
जानिए क्या कहा सृष्टि के माता-पिता ने
सृष्टि के पिता प्रवीण पुरी का कहना है कि वह बहुत गौरवांवित महसूस कर रहे हैं। तो वहीं, सृष्टि की मां सुधा गोस्वामी का कहना है की जो मुकाम उनकी बेटी ने हासिल किया है, उससे एक संदेश देश के हर माता-पिता को मिलेगा कि बेटियों को कभी आगे बढ़ने से नहीं रोकना चाहिए। बेटी और बेटे को समान प्यार, इज्जत और मौक देना चाहिए क्योंकि बेटों की तरह बेटियां भी अपनी मेहनत के बूते हर मुकाम हासिल कर सकती हैं।