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Bhagat Singh Koshyari के 3 साल के कार्यकाल में 3 बड़े विवाद, जानिए कोश्यारी के बारे में

महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को लगभग 3 साल राज्यपाल की कुर्सी पर हो चुके हैं। लेकिन इस छोटे से कार्यकाल में ही भगत सिंह कोश्यारी के बयानों और फैसलों ने कई बार विवाद खड़ा किया।

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Maharashtra Governor Bhagat Singh Koshyari 3 big controversies statement tenure

महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने अपने पद से हटने की इच्छा जताई है। साफ है कि आने वाले दिनों में कोश्यारी अब राजनीति से दूर रहकर कुछ नया करने की सोच रहे हैं। कोश्यारी को लगभग 3 साल राज्यपाल की कुर्सी पर हो चुके हैं। लेकिन इस छोटे से कार्यकाल में ही भगत सिंह कोश्यारी के बयानों और फैसलों ने कई बार विवाद खड़ा किया।

सिर्फ 4 माह तक ही वे उत्तराखंड सीएम रहे

सिर्फ 4 माह तक ही वे उत्तराखंड सीएम रहे

उत्तराखंड बनने के बाद कोश्यारी ने प्रदेश के पहले सीएम नित्यानंद स्वामी सरकार में ऊर्जा और सिंचाई जैसे अहम विभाग के साथ नंबर दो की कुर्सी संभाली। एक साल से भी कम सीएम रहने के बाद स्वामी को हटाकर 30 अक्टूबर 2001 को कोश्यारी ने अंतरिम सरकार के दूसरे मुख्यमंत्री के रूप में पद संभाला। लेकिन सिर्फ 4 माह एक मार्च 2002 तक ही वे सीएम रहे। 2002 में हुए पहले विधानसभा चुनाव में जनता ने भाजपा को सत्ता से बाहर कर दिया। 2007 में भाजपा सत्ता में लौटी लेकिन हाईकमान ने मेजर जनरल भुवन चंद्र खंडूड़ी (सेनि) को सीएम की कुर्सी सौंपी।

3 साल में उनके साथ कई विवाद जुड़ते चले गए

3 साल में उनके साथ कई विवाद जुड़ते चले गए

इस तरह कोश्यारी का प्रदेश की राजनीति में प्रभाव कम हो गया और पार्टी ने वर्ष 2008 में कोश्यारी को राज्यसभा भेजा। 2014 के लोकसभा चुनाव में वह नैनीताल सीट से जीत कर संसद पहुंचे। वर्ष 2019 में उन्हें सांसद का टिकट नहीं मिला। भाजपा की सरकार आई तो उन्हें गोवा का राज्यपाल बना दिया गया। फिर उन्हें महाराष्ट्र जैसे राज्य का राज्यपाल बनाकर अहम जिम्मेदारी सौंपी गई। लेकिन इस कुर्सी पर भी 3 साल में उनके साथ कई विवाद जुड़ते चले गए।

छत्रपति शिवाजी महाराज को लेकर एक विवादित बयान

छत्रपति शिवाजी महाराज को लेकर एक विवादित बयान

भगत सिंह कोश्यारी ने छत्रपति शिवाजी महाराज को लेकर एक विवादित बयान दिया था। एक कार्यक्रम में भाषण के दौरान उन्होंने कहा था कि जब हम स्कूल में पढ़ते थे तो हमारे टीचर हमसे पूछते थे कि आपके पसंदीदा नेता कौन हैं तो लोग अपनी अपनी इच्छा से अलग-अलग नाम लेते थे। कोई सुभाष चंद्र बोस तो कोई जवाहरलाल नेहरू तो कोई महात्मा गांधी का नाम लेता था और उन्हें अपना हीरो बताता था। लेकिन मुझे ऐसा लगता है कि अगर आप से अब कोई पूछे कि आपका फेवरेट हीरो कौन है तो आपको कहीं दूर जाने की जरूरत नहीं है। सब कुछ आपको यहीं महाराष्ट्र में ही मिल जाएगा। इसके आगे उन्होंने कहा कि शिवाजी महाराज तो पुराने जमाने की बात हैं। मैं नए युग की बात कर रहा हूं, सब यहीं मिल जाएंगे। डॉ. भीमराव अंबेडकर से लेकर नितिन गडकरी तक आपको यहीं मिल जाएंगे।

 छत्रपति शिवाजी महाराज के गुरु का विवाद

छत्रपति शिवाजी महाराज के गुरु का विवाद

औरंगाबाद में एक कार्यक्रम के दौरान राज्यपाल ने यह कहकर विवाद खड़ा कर दिया था कि छत्रपति शिवाजी महाराज के गुरु स्वामी समर्थ रामदास थे। कोश्यारी ने कहा था कि जिस तरह से चाणक्य के बिना चंद्रगुप्त को कौन पूछेगा? उसी तरह से समर्थ के बिना शिवाजी को कौन पूछेगा? जीवन में गुरु का काफी महत्व होता है। इस बयान के बाद सुप्रिया सुले ने बॉम्बे हाईकोर्ट की औरंगाबाद खंडपीठ की उस आर्डर कॉपी को भी ट्वीट किया था। जिसमें यह बताया गया था कि शिवाजी महाराज और स्वामी समर्थ रामदास के बीच में किसी भी तरह का गुरु और शिष्य का रिश्ता नहीं था।

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गुजराती और राजस्थानी लोगों को लेकर विवादित बयान

गुजराती और राजस्थानी लोगों को लेकर विवादित बयान

पिछले साल कोश्यारी ने एक और विवादित बयान दिया था। अंधेरी में एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा था कि अगर गुजराती और राजस्थानी लोग को लोगों को मुंबई और ठाणे से हटा दिया जाए तो मायानगरी में पैसा नहीं बचेगा। जिसका जमकर विरोध हुआ था। जिस पर शिंदे फडणवीस सरकार को विरोध झेलना पड़ा और कहना पड़ा कि राज्यपाल को इस तरह का बयान नहीं देना चाहिए।बाद में कोश्यारी ने अपने इस बयान को लेकर माफी भी मांगी थी।

 बाल विवाह पर टिप्‍पणी

बाल विवाह पर टिप्‍पणी

इसी तरह कोश्यारी ने मार्च 2022 में ज्योतिराव फुले और सावित्रीबाई फुले के बाल विवाह पर टिप्‍पणी कर दी थी, जिस पर जमकर बवाल हुआ। कोश्यारी की टिप्पणी थी कि 'सावित्रीबाई की शादी 10 साल की उम्र में हुई थी और उनके पति उस समय 13 साल के थे. अब, इसके बारे में सोचें, कि शादी करने के बाद लड़की और लड़का क्या सोच रहे होंगे। हालांकि इस बयान की भी कोश्यारी ने खंडन किया था।

तड़के मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के रूप में शपथ दिलाई थी

तड़के मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के रूप में शपथ दिलाई थी

महाराष्ट्र के राज्यपाल के रुप में भगत सिंह कोश्यारी का एक फैसला सबसे ज्यादा विवादों में रहा।​ जिसके बाद गर्वनर और भाजपा दोनों विपक्ष के निशाने पर आ गए थे। कोश्यारी ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के बाद 23 नवंबर, 2019 को सुबह तड़के देवेंद्र फडणवीस और अजीत पवार को मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के रूप में शपथ दिलाई थी। जिसके तीन दिन बाद, फडणवीस ने अजीत पवार के अपनी सरकार से बाहर निकलने के बाद फ्लोर टेस्ट से पहले मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। गर्वनर के इस तरह शपथ कार्यक्रम कराने पर महाराष्ट्र में लंबे समय तक सियासत चली। इसके अलावा महाराष्‍ट्र में उद्धव ठाकरे के मंत्रियों की शपथ के दौरान विवाद हो गया था। मंत्रियों के पद और गोपनीयता की शपथ लेने के दौरान कांग्रेस विधायक केसी पाडवी ने कुछ ऐसे शब्‍द कहे जिससे राज्‍यपाल भगत सिंह कोश्‍यारी नाराज हो गए। कोश्‍यारी ने पाडवी को नसीहत दी कि शपथ लेने की जो लाइनें निर्धारित हैं, उन्‍हें ही पढ़ें। इसके बाद उन्‍होंने पाडवी को दोबारा शपथ दिलाई।

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English summary
Maharashtra Governor Bhagat Singh Koshyari 3 big controversies statement tenure
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